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भारावतारादरं मूलरामदेवं नुमः श्रीपतिम् ॥ १ ॥
 
मणिमयपदचञ्चुलीला
 
लसत्सन्मरालाबला-
जालाभिध-
चोलावरुद्धेन्द्रनीलात्मक स्थूलकीलाभ जङ्घा ॥
 
लालितीदत्तमूलाभिलाषोरुकालापिनच्छादनालाभवच्छोण चेलावृत
 
हालाहलम्
 
कान्तिवेलातिसन्धान
 
खेलासजद्द्योतमालालसज्जम्भकालाश्मकादर्शभालावकाष्ठीवदाला-
सितम् ॥ कामहालारसामोदि शालावनीवापि कूलाधिरूढोरुनाला-
लिरम्भानुवेलादृतश्रीविशालातुलोरुद्वयालानसम्पर्चनाला
 
वाचालतालासिपादाब्जबालातपप्रेमशीलामलद्योत
 
लक्ष्ण
 
चलच्छिञ्जिनीला
केलिकोलाहलाकृष्टखेलामिलद्वंसकालाप
 
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स्मारकालापभागर्व
 
लसोत्कण्ठितेलासुतावाशिता लालगन्मेखलालासिरश्मिप्रचा-
लामलस्वर्णचैलावृतस्वप्रभाला-
विताब्दान्तराला
 
वलच्चञ्चलालातभामानशूलासिकम् ॥ केलिलोलात्मनिर्वृत्त
 
वियुक्
 
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कीलालजावासकैलासवासि
 
धुपालादिलोकौघ
 
सालालिबीजालवालाभ - नाभीविलाभासुरम् ॥२॥
 
विलसितरुचिपूरनामातुलस्वच्छकामामृताम्भोधिसीमालस-
द्वीचिकामानदोद्यद्वलीमालिका- भाभिरामाबृहत्कुक्षिधामावसद्विश्व-
मालहारिप्रभाभाव
 
भूमानमुद्यल्ललामानुयत्तारदामा लसयोवनी
किंमीररामा लघुरुस्थली मानसाम्भोजिनी मारकेली समाघात भोग
प्रकामादरोद्युक्तहेमाहितार्चाविभामानहारिस्ववामाकुचाख्यत्रियामा-
पक्षिसामाधिकोत्थान
 
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सोमानुजग्रावधामाधि-