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॥ श्रीः ॥
 
॥ श्रीमत्परमहंसेत्याद्यमन्दबिरुदवृन्दभूषितसर्वतन्त्रस्वतन्त्र
कविकण्ठीरव
 
श्रीमत्सुमतीन्द्रतीर्थगुरुपादविरचितः ॥
 
* श्रीरामदण्डक: *
 
श्रीमदानन्दतीर्थभगवत्पादाचार्येभ्यो नमः । श्रीगुरुभ्यो नमः ॥
भानुवंशाब्धिराकेन्दुं धानुष्ककुलशेखरम् ।
सानुमद्धीरताधारं नोनुमस्त्वां रघूह ॥
 
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नमदमरकिरीटपाली - मिषारार्तिकालीन - सच्चम्पकाली
रुचिप्रौढिकेलीसुहृद्रलपाली समञ्चत्प्रवालीय- रागप्रतोलीक
हीराङ्करालीक दीपप्रणाली (दीपप्राभाली) घनोद्यत्प्रभाली
विनीराजितालीनशोभामधूली - भरामिश्रधूली - भृतप्रान्तनाली
सदिन्द्राश्ममौलीरिताभा
भवद्योमराली
 
निचोली
 
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गमानीलचूलीयुगादियालीढ लक्ष्मीकहेलीरितन्यक्कुहेली
वियोगानरालीभवत्पौष्पगौलीझरी
 
लोलुभालीहितस्तोक
 
कालीभवत्सन्मृणाली
 
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मात्मार्पितालीक
 
तापप्रसाराहितात्यर्थघोरातिसङ्कोचकारागृहस्थान नीरागवास
 
वैरापनोद-
लसत्फुल्लनालीक
 
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प्रकारार्पितेशाङ्घ्रिता राजमानोरुभारामभूताब्ज
 
क्षमाराधनानम्र ताराधिभूमण्डलीराजिधीकृन्नखारारभद्भूरि
गौरानघद्योत - साराभिधज्योत्स्निकाराग - (राशि इति पाठान्तरम्)
- सज्जत्पटीरानुलेपो- रुहारावली सत्पटीराजिताशावधूराजहृन्मोद
 
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