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प्राजापत्यं घृते
प्रातिपदिकाथ-
प्राप्तिश्शेषि
 
कर्मण
 
प्रैतु हो तुः
वर्हिर्देवसदन-
बर्हिषि रजतं
 
बहुषु बहुवचनम्
 
बालयावा
 
बाल्ये पितृवशे
 
बुधन्वानाग्नेयः
 
ब्रह्मक्षत्रेण
ब्राह्मणांस्तर्प-
भारतेsपि
 
भारो यो येन.
 
भावनैव हि
 
भावप्रधानं
 
भुवो यज्ञस्य
 
भूतं भव्यायो-
मनोमयः प्राण-
मन्त्रतस्तु विरो-
ममाग्ने वर्चः
 
मरुद्भयो गृह-
मारुत एषः
 
मारुतस्य चैक-
माहिष्येण करण्यां
 
माहिष्योग्रौ
 
मैत्रावरुणं गृह्णाति
 
मैत्रावरुणाय दण्डं
 
य एवं विद्वानमा-
य एवं विद्वान्
पौर्ण-
यजतिषु ये यजा-
यजमानस्य याज्या
 
यज्ञाव
 
यज्ञायज्ञावः
 
यत्किंचित्सोम-
यत्प्रयाजानां
 
यथा चमसं
यथा होमः क्रिया-
यदाग्नेयोऽष्टा-
( १३ )
 
मै. सं. २. २. २.
 
पी. सू. २.३.४६.
विधिर. २१
 
तं. वा. २.२.३.४८५ पृ.
 
श. ब्रा. ४. १.६.२९.
 
मै. सं. १. १. २.
 
of. तै. सं. १. ५. २.
 
पा. सू. १.४. २१.
 
मनु. ५. १४७
 
मनु. ५. १४९
 
बाल्मी. रामा. कि. १७.३९
 
श्लो. वा. १. १. ७. पृ. १४९
 
मयूखमा. ६. १. १.
 
श्लो. वा. १. १. वाक्याधि०. श्लो. ३३०.
 
नि. १.१.
 
तै. ब्रा. ऋक्सं. ३. ५. ७. १.
 
शा. भा
 
बृ. उ.
 
जै. सू. ५. १. १६.
 
तै. सं. ४. ७. १४.१.
 
तै. सं. १.८.४.१.
तै. ब्रा. १. ७. ७. ३.
तै. ब्रा. १. ७. १०.६.
 
याज्ञ. १.९५.
 
of. तै. सं. ६. ६. ४८
तै. सं. ६. १. ४. २.
तै. सं. १. ६.९.१.
 
तै. सं. १. ६ . ९. १.
 
साम. सं. ५. ३५.
 
मै. सं. २.३.२.
.ef श. ब्रा. ४. ४. ३.१०
 
तं. वा. २. १. ४. ४११ पृ.
 
तै. सं. २. ६. ३.३.
 
५९
 

 
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