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अप्रतिष्ठिता
 
अप्राधान्यं
 
प्रप्राप्ते तु
प्रप्राप्ते शास्त्रं
 
प्रत्ववभृथेन
 
अमावास्या व सरस्वती
प्रमोनो नाउ
 
अरुणया पिकाच्या
 
अर्थाद्वा स्वविषय-
भव्यक्तासु तु सोमस्य
 
अन्वस्य पदे
 
अश्विनोस्वा
 
अश्वं नवा
 
अष्टवर्ष ब्राह्मण
 
अष्टौ इवौषि
 
स्वतन्त्राः
 
आग्नावैष्णवं
आग्नेयमनिष्टोम
आग्नेयमष्टाकपालं
 
आग्नेयो वै
 
आग्नेयं चतु
आग्नेयः कृष्णग्रीवः
 
माग्नेय्याग्नी
 
आधारमाघारयति
 
आधाराग्निहोत्रम्
 
चतुर्थी कर्म
 
चान्तेन कर्म
 

 
आज्यभागौ यजति
 
आत्मने वा यजमानाय
 
आदित्यं चरुं
 
आदित्यां मल्हां
 
आनयंक्यात्तद
 
आन्यं दिवो
 
श्राम नमस्यामनस्य
 
श्रामनहोमानां
 
आमिक्षां देवता
 
माभावयेति
 
आश्विनं गृह्णाति
 
आश्विनोवा
 
पक्षले
 
है. प्रा.
 
वाक्यप.
 
तं. वा. २.२.३.
 
तै. ३.५.१.
 
of. तै. सं. ६. १. ६. ७.
 
विधिर. ४२.
 
जै. सू. ९. १. १६.
 
cf. तै ब्रा. ३. ९. २३. १
 
तै. सं. ३. २. ५.
 
सामसं. उत्त. ८. १, ७.
 
तै.
 
सं. ५. ५.१.४
 
तै. सं. १.८.२०
of. तै. सं. २. ३० ३.३
 
श्राप. श्रौ. ३.३.२०
तै. सं. ५. ५. २२.
 
तै. सं. २. ५. ११०
 
जै. सू. २.२.१३
 
आप औ. १.२.११
 
विश
 
वं. ना. २. २. ९० ५३४ ५.
तं. सं. १० ६० ११० १०
मै. सं. ४.२ ४.१२.
तै. सं. २.२.५० १०
 
से. नं.
 
मै. सं. १. १०० १५.
 
तै. बा. १. ६. १०. ५
 
तै. सं. १. ८. ११.
 
जै. सू. ३. १. १८
तै. सं. २. ३. १४. २
तै. सं. २. ३.९.३.
शाखदीपिका ४० ४० ४.३९७१
 
१६१
 

 
१२८
 
१००
 
७०
 
मीट
 
१६४
 
१७, १९, २९, ७५, १३९, १६९
 
१६९
 
६९
 
१६९
 
८१
 
१०४
 
१४०, १४९
 
१०६
 
६१
 
७५
 
१५
 
१४६, १४९
 
१४७
 
१७४
 
२०१
 

 
२६,४९
 
श्री २३
 
३९
 
२६, ४९, ८९, १११
 
६४
 
दिव
 
BRIP Bih
 
#fps ex
 
३८
 
१८
 
१३४
 
६५
 
१५४
 
१६५
 
२२,९१,१५३
 
४६