This page has not been fully proofread.

न होतारं वृणीते
 
नातिरात्रेषोड-
नानूयाजेषु
 
नान्तरिक्षे
 
नामधार्थ
 
नावान्तर-
नेक्षेतो बन्तं
 
पत्र पचनखा:
 
पदमशात-
पयसा जुहोखि
 
परप्रकरण-
पर्यझिकृतं
 
पर्युदासः स
 
पशुना बजेत
 
पार्क तु पचि-
पाणिग्रहणात्तु
 
पुंसां नेश-
पुरोडाशं चतुं.
 
पृषदाज्येनानू.
 
प्रकृतौ वा
 
प्रतितिष्ठन्ति इवे
 
प्रतिषेधः स
 
प्रयत्नव्यति-
प्रयाजादिवा-
प्राकृतस्यैवा-
प्राचीनप्रवणे
 
प्राप्ते कर्मणि
 
प्रायणीय निष्कास-
फलतो गुण-
फलदेवत-
फलबुद्धि-
फलमात्रेयः
 
बहिर्देवसदनं
 
बर्हिषि रजत
 
बहुषु बहुवचनं
 
ब्राह्मणो न इन्त-
भूतं भव्यायो-
मध्यारपूर्वा -
मन्त्रतस्तु बिरोध
 
य इच्च्या पशुना.
 
( ३ )
 
मै. सं. १.१०.१८.
 
आप. औ. २४. १३. ६.
 
तै. सं. ५. २. ७. १. मै. सं. ३. २.६.
श्लो. वा. अपोहवादश्लो. ३३. पृ. ५७५.
तं. वा-१-४-३. पृ. २९३.
मनुस्मृ. ४:३७.
 
बाल्मी. रा. कि. १७. ३९.
तं. वा. १.४. २. पृ. २८६.
 
तं. वा. ३.१.१४. पृ. ७५८
तै. सं. ६. ६. ६. २.
 
आप. घ. २-१२-१७, १८.
 
विधिवि. पृ. २४२.
 
तै. सं. ६. ३. ११. ६.
जै. सू. ३. ६.२.
 
ofai. बा. २३, २०.४.
 
न्यायसु. पृ. ५७९.
 
तं. वा. १. २. १. पृ. ५१.
शास्त्र. दी. १०. ४. २६. ७१६. पृ.
 
मै. सं. १-१०: ७. भाय. श्रौ ८. १.५
 
तं. वा. २. २. ३. पृ. ४७६.
 
तै. ६. १. ५. ५.
 
पू. मी. २.२.५.१३६.१.
जै. सू. ९. १. ४
 
न्यायसु. १. ३. ७. पृ. २०१.
जै. सु. ४. ३. १८
 
मै. सं. १-'- २.
तै. सं. १. ५. १. २.
 
पा. सु. १. ४ २७:
 
प. श्रौ. २. १८.
 
जै. सू. ५. १, १६.
 
१७४
 
१६५
 
१६७
 
१६३
 
११, ५२
 
PEAL
१६२
 
११४. ११६
 
६९
 
२४
 
२९
 
१६१, १७३
 
३२
 
७८
 
१०७
 
१८५
 
ME
 
.१७२
 
४५, १२७
 
४९
 
१६२
 
१८८
 
९५
 
१४८
 
१४
 

 
६७
 
१५९
 
४९
 
३८, ३९,४३,५२
 
१७७
 
१६७, १६८
 
१८
 
२९
 
८४