This page has not been fully proofread.

पश्चादुच्चैर्भुजत
पत्तश्यामा दिनकर
 
पाण्डुच्छायोपवन
 
पादन्यासक्कणित
 
पादा निन्दोरमृत
 
प्रत्यासन्ने नभसि
 
प्रद्योतय प्रियदुहि
 
प्राप्यावन्तीनुदय
 
प्रालेयाद्रेरुपतट.
 
ब्रह्मा जनपद
भर्तुः कण्ठच्छविरिति
भर्तुमिंत्रं प्रियमवि
भित्त्वा सद्यः किस
भूयश्चाह त्वमसि
 
मत्वा देहं धनपति
 
मन्दं मन्दं नुदति
 
मन्दाकिन्याः सलिल
 
मार्ग तावच्छृणु
मामाकाशप्रणिहि
यत्र स्त्रीणां प्रियतम
 
यत्रोन्मत्त भ्रमरमुख
 
श्लोकानुक्रमणिका ।
 
पृष्ठम्
 
५५ यस्यां यक्षा: सितम
ये रम्भोत्पत
 
३८ रक्ताशोकश्वलकिस
 
५४ रत्नच्छायाव्यतिकर
 
१३६ रुद्धापाङ्गप्रसर
 
१०
 
४६
 
७३
 
१४५
 
१५९
 
१६७
 
१०९
 
१८
 
१८०
 
२५
 
१५७
 
वक्रः पन्थास्तव
 
वापी चास्मिन्मर
 
वामश्वास्याः कररुह
 
वासश्चित्रं मधु नयन
 
विद्युत्वन्तं ललित
 
विश्रान्तः सन्त्रज
 
वीचिक्षोभस्वनित
 
वेणीभूतप्रतनु
 
शब्दाख्येयं यदपि
 
शब्दायन्ते मधुरम
 
शापान्ते मे भुजग
 
शेषान्मासान्विरह
 
श्यामास्वङ्गं चकित
 
संक्षिप्येत क्षण
 
संतप्तानां त्वमसि
 
१०७
 
१७९ सव्यापारामहनि
 
१८७
 
पृष्ठम्
 
१०२
 
.८३
 
२८
 
१४०
 
११२
 
१४१
 
१८३
 
९८
 
४१
 
१५२
 
८६
 
१६४
 
१२९
 
१५३
 
१६१
 
१४
 
१३२