2023-02-17 12:54:41 by ambuda-bot
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दप्रतिश्रुन्मिश्रित
त्वम्, दूरदेशह
समानधर्मो ग्राह्य
संगमो भविष्यव
परिपालकादिजन
वालंकारो ध्वन्य
षां श्लोकानां त
मिति उत्तरत्र क
इस्तेल
नीता
चूडापाशे
सीमन
अथ तत्र प
तथा वा, यथा य
सौभाग्यातिशय
हतोः प्रथमलि
'भमर रुअ दि
अंतंबिव पडिवु
रिते- 'कोमल
काठपत्रस्तं वि
त्वम्, दूरदेशह
समानधर्मो ग्राह्य
संगमो भविष्यव
परिपालकादिजन
वालंकारो ध्वन्य
षां श्लोकानां त
मिति उत्तरत्र क
इस्तेल
नीता
चूडापाशे
सीमन
अथ तत्र प
तथा वा, यथा य
सौभाग्यातिशय
हतोः प्रथमलि
'भमर रुअ दि
अंतंबिव पडिवु
रिते- 'कोमल
काठपत्रस्तं वि