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Monier-Williams Sanskrit-English Dictionary (1899)
- बन्ध् cl. 9. P. (Dhātup. xxxi, 37) बध्ना/ति (rarely Ā. बध्नीते/; cl. 1. P. Ā. बन्धति, °ते, MBh.; cl. 4. P. बध्यति, Hariv.; Impv. बधान, AV., बन्धान, MBh., -बध्नीहि, BhP., बन्ध, R.; pf. P. बब/न्ध, 3. pl. बेधु/स्, AV., बबन्धुस्, MBh.; Ā. बेधे/, °धिरे/, AV., बबन्धे Gr.; fut. भन्त्स्यति, Br. &c., बन्धिष्यति, °ते, MBh.; बन्द्धा Gr.; aor. अभान्त्सीत् Gr.; Prec. बध्यात्, ib.; inf. बन्द्धुम्, or बन्धितुम्, R., ब/धे, AV. ind.p. बद्ध्वा/, AV., °ध्वा/य, Br., -बध्य, ib.; -बन्धम्, Pāṇ. iii, 4, 41 Sch.), to bind, tie, fix, fasten, chain, fetter, RV. &c. &c.; to bind round, put on (Ā.; later also P. ‘on one's self’), AV.; ŚBr.; MBh. &c.; to catch, take or hold captive, met. = to attach to world or to sin, Mn.; MBh.; Kap.; to fix, direct, fasten, rivet (eyes, ears or mind) on (loc. or inf.), MBh.; Kāv.; Kathās.; to arrest, hold back, restrain, suppress, stop, shut, close, Yājñ.; MBh.; Kathās.; to bind a sacrificial victim, offer, sacrifice (with dat. of the deity to whom it is presented), RV.; Br. : KātyŚr.; to punish, chastise, Hit.; to join, unite, put together or produce anything in this way, e.g. fold (the hands), clench (the fist), knit or bend (the eyebrows), arrange, assume (a posture), set up (a limit), construct (a dam or a bridge), span, bridge over (a river), conceive or contract (friendship or enmity), compose, construct (a poem or verse), MBh.; Kāv. &c. ; to form or produce in any way, cause, effect, do, make, bear (fruit), strike (roots), take up (one's abode), ib.; to entertain, cherish, show, exhibit, betray (joy, resolution &c.), ib. : Pass. बध्य/ते (°ति, Hariv.), to be bound &c. &c.; (esp.) to be bound by the fetters of existence or evil, sin again, Mn.; BhP.; to be affected by i.e. experience, suffer (instr.), Pañcat. : Caus. बन्धयति (aor. अबबन्धत्), to cause to bind or catch or capture, imprison, ŚBr. &c. &c.; to cause to be built or constructed, Ragh.; Rājat.; to cause to be embanked or dammed up, Rājat.; to bind together (also बाधयति), Dhātup. xxxii, 14 : Desid. बिभन्त्सति Gr.: Intens. बाबन्द्धि, बाबध्यते, ib.
- बन्ध् [cf. Zd. band; Gk. πενθερός, πεῖσμα; Lat. foedus, fides; Lit. béndras; Goth. Angl.Sax. bindan; Germ. binden; Eng. bind.]
Apte Practical Sanskrit-English Dictionary (1890)
- बंध् 9 P. (बध्नाति, बबंध, अभांत्सीत्, भंत्स्यति, बंद्धुं, बद्ध; pass. बध्यते)
Shabda-Sagara (1900)
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Vācaspatyam (1873)
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Śabdakalpadrumaḥ (1886)
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अमरकोशः
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आप्टे संस्कृत-हिन्दी कोश (1966)
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बन्ध्
क्र्या* पर* बध्नाति ,बद्ध कर्म*बध्यते gबांधना, कसना, जकड़ना, बद्धुं न संभावित एव तावत्करेण रुद्धोपि च केशपाशः कु* ७/५७ रघु* ७/९ कु* ७/२५ भट्टि* ९/७५दबोचना, पकड़ना, जेल में डालना, जाल में फांसना, बंदी बनानाकर्मभिर्न स बध्यते भग* ४/१४ बलिर्बन्धे भट्टि* २/३९ १४/५६जंजीर में बांधना, बेड़ी में जकड़नारोकना, ठहराना, दमन करनायथा बद्धकोप, बद्धकोष्ठ आदि मेंपहनना, धारण करनान हि चूडामणिः पादे प्रभवामीति बध्यते पंच* १/७२ बबन्धुरङ्गुलित्राणि भट्टि* १४/७आकृष्ट करना, गिरफ्तार करनाबबन्ध चक्षूंषि यवप्ररोहः कु* ७/१७ या बध्नाति मे चक्षुःचित्रकूटः रघु* ३/४ ६/३६ भट्टि* २०/२२आँख आदि कास्थिर करना, जमाना, निदेशित करना, डालनादृष्टिं लक्ष्येषु बन्धन् मुद्रा* १/२ रघु* ३/४ ६/३६, भट्टि* २०/२२आँख या मन आदि अधि* के साथबाँधना, मिलाकर जकड़ना मुद्रा* ७/१७बाल आदिनिर्माण करना, संरचना करना, रूप देना, व्यवस्थित करनाबद्धोर्मिनाकवनितापरिभुक्तमुक्तम् कि* ८/५७ मृगकुलं रोमन्थमभ्यस्यतु* श* २/६ तस्यञ्जलिं बन्धुमतो बबन्ध रघु* १६/५ ४/३८, ११, ३५, ७८ कु* २/४७ /३० भट्टि* ७/७७एकत्र करना, रचना करना, निर्माण करनातुष्टैर्बद्धं तदलघु रघुस्वामिनः सच्चरित्रम् विक्रम्* १८/१०७ श्लोक एव त्वया बद्धः रामा*कविता श्लोक आदिबनाना, पैदा करना, जन्म देना रघु* १२/६९ श* ६/४फल आदिरखना, अधिकार मे करना, ग्रहण करना, संजो कर रखना उत्तर* २/८बंध’ के अर्थों में उन संज्ञाओं के अनुसार जिनसे वह संयुक्त होता है नाना प्रकार के परिवर्तन होते हैंभ्रुकुटिं बन्ध् क्र्या* पर* gबन्ध भौंहों मे बल डालना, त्योरी चढ़ानामुष्टिं बन्ध् क्र्या* पर* gमुट्ठी बांधनाअञ्जलिं बन्ध् क्र्या* पर* gनम्र निवेदन के लिये हाथ जोड़नाचित्तं बन्ध् क्र्या* पर* gमन लगाना, दिल लगानाधियं बन्ध् क्र्या* पर* gमन लगाना, दिल लगानामनः बन्ध् क्र्या* पर* gमन लगाना, दिल लगानाहृदयं बन्ध् क्र्या* पर* gमन लगाना, दिल लगानाप्रीतिं बन्ध् क्र्या* पर* gप्रेम पाश में बद्ध होना, मुग्ध होनाभावं बन्ध् क्र्या* पर* gप्रेम पाश में बद्ध होना, मुग्ध होनारागं बन्ध् क्र्या* पर* gप्रेम पाश में बद्ध होना, मुग्ध होनासेतुं बन्ध् क्र्या* पर* gपुल बनाना, सेतु का निर्माण करनावैरं बन्ध् क्र्या* पर* gघृणा पैदा होना, शत्रुतासख्यं बन्ध् क्र्या* पर* gमैत्री करनासौहृदं बन्ध् क्र्या* पर* gमैत्री करनागोलं बन्ध् क्र्या* पर* gगोल बांधनामण्डलं बन्ध् क्र्या* पर* gमंडल बनाना, गोल बांध कर बैठनामौनं बन्ध् क्र्या* पर* gचुप्पी साधनापरिकरं बन्ध् क्र्या* पर* gकमर कसना, तैयार हो जानादे* बद्ध के नीचे समस्त् शब्दकक्षां बन्ध् क्र्या* पर* gकमर कसना, तैयार हो जानादे* बद्ध के नीचे समस्त् शब्दबंधवाना, बनवाना, रचवाना, निर्माण करवाना रघु* १२/७०
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