2022-08-26 19:51:39 by epicfaace
This page has been fully proofread once and needs a second look.
॥ श्रीः ॥
॥ गणेशभुजंगम् ॥
रणत्क्षुद्रघण्टानिनादाभिरामं
चलत्ताण्डवोद्दण्डवत्पद्मतालम् ।
लसत्तुन्दिलाङ्गोपरिव्यालहारं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ १ ॥
ध्वनिध्वंसवीणालयोल्लासिवक्त्रं
स्फुरच्छुण्डदण्डोल्लसद्वीजपूरम् ।
गलद्दर्पसौगन्ध्यलोलालिमालं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ २ ॥
प्रकाशज्जपारतरत्नप्रसून-
प्रवालप्रभातारुणज्योतिरेकम् ।
प्रलम्बोदरं वक्रतुण्डैकदन्तं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ३ ॥
॥ गणेशभुजंगम् ॥
रणत्क्षुद्रघण्टानिनादाभिरामं
चलत्ताण्डवोद्दण्डवत्पद्मतालम् ।
लसत्तुन्दिलाङ्गोपरिव्यालहारं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ १ ॥
ध्वनिध्वंसवीणालयोल्लासिवक्त्रं
स्फुरच्छुण्डदण्डोल्लसद्वीजपूरम् ।
गलद्दर्पसौगन्ध्यलोलालिमालं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ २ ॥
प्रकाशज्जपारतरत्नप्रसून-
प्रवालप्रभातारुणज्योतिरेकम् ।
प्रलम्बोदरं वक्रतुण्डैकदन्तं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ३ ॥