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सचक्षुरचक्षुरिव
सतत्त्वतोऽन्यथा प्रथा
समित्पाणिः श्रोत्रियं
सर्व खल्विदं ब्रह्म
सवा एष पुरुषोऽन्न
सामानाधिकरण्यं
सुषुप्तवज्जाग्रति
वेदान्तसार:
मुण्डकोप •
छान्दोग्योप●
तैत्तिरीयोप •
0
नैष्कर्म्यसिद्धिः
उपदेशसाहस्री, हशिस्व
रूपपरमार्थदर्शनप्रक-
रणम्
स्वयं प्रकाशमानत्वान्नाभास पञ्चदशी
१. २. १२.
३. १४. १.
२.१.१.
३. ३.
१३
७. ९२.
सचक्षुरचक्षुरिव
सतत्त्वतोऽन्यथा प्रथा
समित्पाणिः श्रोत्रियं
सर्व खल्विदं ब्रह्म
सवा एष पुरुषोऽन्न
सामानाधिकरण्यं
सुषुप्तवज्जाग्रति
वेदान्तसार:
मुण्डकोप •
छान्दोग्योप●
तैत्तिरीयोप •
0
नैष्कर्म्यसिद्धिः
उपदेशसाहस्री, हशिस्व
रूपपरमार्थदर्शनप्रक-
रणम्
स्वयं प्रकाशमानत्वान्नाभास पञ्चदशी
१. २. १२.
३. १४. १.
२.१.१.
३. ३.
१३
७. ९२.