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११४
एतस्मादात्मन आकाश:
एष सर्वेश्वरः
ऐतदात्म्यमिदं सर्व
कर्मणा पितृलोको
घनच्छन्नदृष्टिर्घन
जागरितस्थानो बहिः प्रज्ञः
तत्त्वमसि
तपसा कल्मषं हन्ति
तमेतमात्मानं वेदानुवचनेन
तरति शोकमात्मवित्
तस्मै स विद्वानुपसन्नाय
ते ह प्राणाः प्रजापतिं
दृशिस्वरूपं
देवात्मशक्तिं स्वगुणैः
द्विधा विधाय चैकैकं
न तस्य प्राणा उत्क्रामन्ति
नास्वादयेद्रसं तत्र
प्रज्ञानघन एवानन्दमयः
प्रविविक्तभुक्तैजम:
वेदान्तसार:
तैत्तिरीयोप ०
माण्डूक्योप •
छान्दोग्यो ०
बृहदारण्यको●
हस्तामलकीयम्
माण्डूक्योप●
छान्दोग्योप •
मनुस्मृतिः
बृहदारण्यको ०
०
छान्दोग्योप
मुण्डकोप
छान्दोग्योप ०
०
उपदेशसाहस्री, दृशि-
स्वरूपपरमार्थदर्शनप्रक-
२. १. १.
तप्रकरणम्
माण्डूक्योप ०
माण्डूक्योप●
६. ८. ७.
१. ५. १६.
३.
६. ८. ७.
१२. १०४.
४. ४. २२.
७. १. ३.
१. २. १३.
५. १. ७.
रणम्
श्वेताश्वतरो०
पञ्चदशी
बृहदारण्यको
गौडपादकारिका, अद्वै-
१.
१. ३.
१. २७.
४. ४. ६.
४.
एतस्मादात्मन आकाश:
एष सर्वेश्वरः
ऐतदात्म्यमिदं सर्व
कर्मणा पितृलोको
घनच्छन्नदृष्टिर्घन
जागरितस्थानो बहिः प्रज्ञः
तत्त्वमसि
तपसा कल्मषं हन्ति
तमेतमात्मानं वेदानुवचनेन
तरति शोकमात्मवित्
तस्मै स विद्वानुपसन्नाय
ते ह प्राणाः प्रजापतिं
दृशिस्वरूपं
देवात्मशक्तिं स्वगुणैः
द्विधा विधाय चैकैकं
न तस्य प्राणा उत्क्रामन्ति
नास्वादयेद्रसं तत्र
प्रज्ञानघन एवानन्दमयः
प्रविविक्तभुक्तैजम:
वेदान्तसार:
तैत्तिरीयोप ०
माण्डूक्योप •
छान्दोग्यो ०
बृहदारण्यको●
हस्तामलकीयम्
माण्डूक्योप●
छान्दोग्योप •
मनुस्मृतिः
बृहदारण्यको ०
०
छान्दोग्योप
मुण्डकोप
छान्दोग्योप ०
०
उपदेशसाहस्री, दृशि-
स्वरूपपरमार्थदर्शनप्रक-
२. १. १.
तप्रकरणम्
माण्डूक्योप ०
माण्डूक्योप●
६. ८. ७.
१. ५. १६.
३.
६. ८. ७.
१२. १०४.
४. ४. २२.
७. १. ३.
१. २. १३.
५. १. ७.
रणम्
श्वेताश्वतरो०
पञ्चदशी
बृहदारण्यको
गौडपादकारिका, अद्वै-
१.
१. ३.
१. २७.
४. ४. ६.
४.