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॥ श्रीः ॥
 
। उदाहरणस्थानसूची ॥
 
अजामेकां
 
अत्रैव समवनीयन्ते
 
अन्योऽन्तर आत्मानन्द •
 
अन्योऽन्तर आत्मा प्राण•
 
अन्योऽन्तर आत्मा मनो०
 
अन्योऽन्तर आत्मा विज्ञान•
 
असदेवेदमग्र आसीत्
 
अहं ब्रह्मास्मि
 
आचार्यवान्पुरुषो वेद
 
आत्मा वै पुत्र
आनन्दभुक्चेतोमुखः
 
इन्द्रो मायाभिः
 
उत तमादेशमप्राक्ष्य:
 
उत्पन्नात्मावबोधस्य
 
एकमेवाद्वितीयं
 
श्वेताश्वतरो •
 
बृहदारण्यको●
 
तैत्तिरीयोप
 
तैत्तिरीयोप●
 
तैत्तिरीयोप
 
तैत्तिरीयोप●
 
छान्दोग्योप
 
बृहदारण्यको ०
 
2
 
O
 

 
छान्दोग्यो ०
 
कौषीत की ब्राह्मणोप
 
माण्डूक्योप●
 
बृहदारण्यको •
 
छान्दोग्यो ०
 
नैष्कर्म्यसिद्धिः
 
छान्दोग्यो •
 

 
३. २. ११.
 
२.५. १.
 
२. २. १.
 
२. ३. १
 
२. ४. १.
 
६. २. १.
 
१. ४. १०.
 
२.
 
६. १४.
 
२. ११.
 
२. ५. १९.
 
६. १. ३.
 
४. ६९.
 
६. २. १.