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XIV
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157
164
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229
236
268
283
285
322
331
340
378
384
385
:
393
LINE
FOR
पाथिवम्
21
22 तषितः
2 निरथिका
15
8 मानमात्मान.
15
भयादितः
त्व
8 निमिता
12
भतृ
15
प्राबुध्यत
14
महेन्द्राद्रि
11
धषिता
20
तद्वतं
20 निजितं
गविता
गति
16
12
13
23 तजिता
दुःस्विता
READ
पार्थिवम्
तर्षितः
निरार्थका
त्वं
मानमात्मानं
भयार्दितः
निर्मिता
भर्तृ
प्राबुध्यत
महेन्द्राद्रि
धर्षिता
तहूतं
निर्जितं
गर्विता
गतिं
दुःखिता
तर्जिता
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पाथिवम्
21
22 तषितः
2 निरथिका
15
8 मानमात्मान.
15
भयादितः
त्व
8 निमिता
12
भतृ
15
प्राबुध्यत
14
महेन्द्राद्रि
11
धषिता
20
तद्वतं
20 निजितं
गविता
गति
16
12
13
23 तजिता
दुःस्विता
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पार्थिवम्
तर्षितः
निरार्थका
त्वं
मानमात्मानं
भयार्दितः
निर्मिता
भर्तृ
प्राबुध्यत
महेन्द्राद्रि
धर्षिता
तहूतं
निर्जितं
गर्विता
गतिं
दुःखिता
तर्जिता