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प्रमाणवचनम्
 
नित्यस्य संसृति
 
नित्यं जगदिति
नित्यं तत्कार्यतः
 
पुटम्
 
प्रमाणवचनम्
 
पुढंम्
 
423
 
न ह्यत्र का चित्
 
.. 328
 
....
 
214 नीरन्ध्रेऽप्यम्बु
 
..
 
480
 
214 नैकरूपा
 
60
 
नित्यं त्रिलोके
 
नित्यं भ्राम्यति
 
नित्यं विभुं सर्व
 
583 । नैरात्म्यवाद
 
339
 
585 । नैरात्म्येनात्र
 
. 339
 
209
 
नित्यावस्थितान्य
नित्यत्वेपि
 
नित्यत्वं चेष्यते
 
.... 167 । पन्धवदुभयो
 
339 पक्षधर्मस्तदं
 
63
 
274
 
....
 
369 । पङ्कलिप्तं तृणं
 
524
 
निधानं न
 
नियतं महता
 
302 पञ्च चेन्द्रिय
 
445
 
137 पञ्च धर्मा भवे
 
328
 
नियती रागविद्ये
 
150 पञ्चभूतात्मकं
 
253
 
नियमादात्म हेतूत्थ
 
879 पञ्चभ्योद्वा
 
612
 
निरन्तरत्वे
 
191 पञ्चमहा
 
582
 
निरंशस्य च
निरंशा प्रकृति
 
302 पञ्चम्यामाहुता
 
189
 
212
 
वृत्तिर्मनो
 
445
 
निराधारा
 
585 पञ्चेन्द्रिय णीत्यादि
 
160
 
निरुद्धादनिरुद्धा
 
423
 
222
 
**
 
पटवच्च
 
निर्मलत्वात्प्रकाशकं
 
....
 
22 । पदार्थव्यतिरिक्ते
 
374
 
निवृत्तिरूपता
 
....
 
370 परमाणोर
 
191
 
निर्वाणमय एवा
 
....
 
129 परमात्मनः
 
637
 
निषेधाय ततः
 
319 परमार्थमना
 
195
 
निष्क्रमणं प्रवे
 
305 । परस्परविरुद्वा
 
425
 
निष्के तु सत्य
 
564 परिणामात्
 
313
 
निष्पत्तिदर्शनात्
 
279 । परिणामानि
 
290
 
निष्पन्नो नास्ति
 
328 परिणामत
 
290
 
निष्पादितक्रिये
 
320 परिणामताप
 
285
 
निस्स्वभावा अमी
 
196 परिणामैक्या
 
134
 
".
 
329 परिव्राट्कामुकशुनां
 
54
 
43
 
SARVARTHA.