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प्रमाणवचनम्
 
गगनस्य दिशां च
 
पुटम्
 
प्रमाणवचनम्
 
पुटम्
 

 
चित्रं यथाश्रय
 
139
 
536
 
चित्रस्यापि
 
327
 
गन्धविक्रयिक
 
गुणपर्याय
 
गुणवद्दव्य
 
174 चेतो धीक में
 
150
 
163
 

 
गृहीत्वैतानि
 
गुणात्सहभु
गुणिनित्यत्वेऽपि
 
गौणवेनात्म
 
प्रसते च चरा
ग्राह्यग्राहक
 
घटते न यदै
घटादिनिष्पत्ति
 

 
....
 
****
 
....
 
....
 
164 जगत्सर्व शरीरं ते
 
165 जगाद तत्संवृति
 
2901 । जनी प्रादुर्भाव
 
475
 
"
 
177 जन्मतो नान्यथा
 
294 । जन्मान्तरे
 
59 । जन्माद्यस्य
जहात्येनां भुक्त
80 जातस्य हि ध्रुवः
 
276 । जातास्तत्वविदो
 
176
 
193
 
301
 
311
 
....
 
371
 
340
 
****
 
423
 
....
 
275
 
****
 
310
 
59
 
"
 
277 जायेत पूर्व
 
320
 
चतुर्भिश्चित्तचेत्ता
चतुर्विधा हार
 
चत्वारः प्रत्यया
 
चत्वार्येव भूतानि
 
....
 
347
 
जालसूर्य
 
347 ज्वालेषु निर्णया
 
253
 
गाणम्मि अप्प
 
210
 
....
 
569
 

 
509 । ब्भिाइ सो
 
30
 
30
 
30
 
चलभावस्वरूप
चक्षुराद्यतिरिक्तं हि
 
370
 

 
334 इन्द्रियाणि
 
446
 
चक्षुश्च द्रष्टव्यं च
चक्षुश्श्रोत्रं तथा
 
455 । त ऐत सर्व एव
 
472
 
459
 
त एव तन्तवः
 
229
 
चक्षुश्श्रोत्र
 
458 । ततश्च श्रुति
 
158
 
चक्षुषा चाक्षुष
 
244 । ततश्च तुल्यकक्षा
 
159
 
चित्तस्यापि
 
327
 
ततस्सत्यवतः
 
139
 
चित्तेन सह
 
197 ततो द्रव्यान्तर
 
167
 
चित्रं केशोण्डू
 
328 ततः कर्मफला
 
379