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सर्वार्थसिद्ध्यादिगृहीत निबन्धनामानि
अक्षपादसूत्रम् -289.
अद्वैतपरिभाषा-189.
अद्वैतपरिभाषाभूमिका - 464.
अद्वैतसिद्धिः -- 419, 421.
अधिकरणसारावलिः -- 140,
अन्तर्यामिब्राह्मणम् - 177.
आत्मसिद्धि:- 491.
आथर्वणश्रुति:- 158, 154.
आनन्दगिरिटीका- 464.
आनन्दबोधटीका --424.
आर्यभटसिद्धान्तः - 582, 595, 602, 603.
आर्यशालिस्तम्बसूत्रम् - 192.
आर्यसत्यद्वयावतारः - 196, 428.
कल्पतरुः -- 184.
कल्पतरुपरिमलः - 181.
कश्यपसंहिता - 611.
कालोत्तरसंहिता --- 141.
काव्यादर्शः -- 100.
किरणावली - 224, 226, 228.
कुसुमाञ्जलिः - 94, 95.
कुसुमाञ्जलिप्रकाशः - 95.
क्षणभङ्गसिद्धिः - 321, 326, 341, 364.
खण्डनम् - 79, 262, 417, 418, 420, 424.
खण्डनव्याख्या - 424.
गर्भोपनिषत् - 113.
गणितैकदेशिनः – 593.
xli
अक्षपादसूत्रम् -289.
अद्वैतपरिभाषा-189.
अद्वैतपरिभाषाभूमिका - 464.
अद्वैतसिद्धिः -- 419, 421.
अधिकरणसारावलिः -- 140,
अन्तर्यामिब्राह्मणम् - 177.
आत्मसिद्धि:- 491.
आथर्वणश्रुति:- 158, 154.
आनन्दगिरिटीका- 464.
आनन्दबोधटीका --424.
आर्यभटसिद्धान्तः - 582, 595, 602, 603.
आर्यशालिस्तम्बसूत्रम् - 192.
आर्यसत्यद्वयावतारः - 196, 428.
कल्पतरुः -- 184.
कल्पतरुपरिमलः - 181.
कश्यपसंहिता - 611.
कालोत्तरसंहिता --- 141.
काव्यादर्शः -- 100.
किरणावली - 224, 226, 228.
कुसुमाञ्जलिः - 94, 95.
कुसुमाञ्जलिप्रकाशः - 95.
क्षणभङ्गसिद्धिः - 321, 326, 341, 364.
खण्डनम् - 79, 262, 417, 418, 420, 424.
खण्डनव्याख्या - 424.
गर्भोपनिषत् - 113.
गणितैकदेशिनः – 593.
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