2025-01-21 07:35:22 by ambuda-bot
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XXX
तत्र-
विषयः
परमाणुकारणतावादनिरासः
पुटम्
1 पञ्चीकरणपक्षे अगुसमूहरूपप्रकृति पर्यवसानेत 185--186
औलक्यपक्षापत्तिशङ्का.
2 अण्वारम्भकत्वानभ्युपगमकृत विशेष निर्वाहकः
तंत्र-
आरम्भवादनिरासः.
1 आरम्भकपरमाण्यंशवाधक तर्कपरस्परा
186--188
2 दिग्भेदबुद्धिभेदसंयोगस्वामित्वादिप्रतिवन्दिनि- 188 - 200
रासः.
3 संयुक्तविभुप्रतिबन्दीनिरासः
200-204
4 अणुत्वाविश्रान्ति त्र्यणुकाचाक्षुषत्वतर्क निरास: 204-206
5 परिमाणवैचित्र्यानुपपत्तितर्कनिरासः
6 श्रौताण्वसिद्धिः श्रुत्या परमाण्वसिद्धिश्च
7 परिमाणोपजीविशास्त्र तात्पर्यनिर्वाहः
8 शास्त्रतस्द्धिावपि परेवासिद्धिः
9 शास्त्रतो नित्यस्पर्श निरवयवाणुसिद्ध्यसंभवः
10 प्रकृतिविषय साङ्ख्योक्तिव्याहतिः
....
207-209
****
209--210
....
210-211
211
211-212
212
सद्दव्यवादसमर्थनम्
तत्र-
1 स्वसिद्धान्तसंक्षेपः
213-215
2 कार्यागन्तुकतावादस्य गुरुत्वाद्यतिशयापच्या 216 221
निरासः.
3 नामसङ्ख्यादिभेदस्य कार्योपादानभेदा साधन- 221-224
त्वम् .
4 कार्योपादानभेदद्बाधकतर्कः
25 वृत्त्युत्पत्तिनाशानुपपत्तिभिरवयविनिरासः
224-226
226-228
6 स्वमते लाघवानित्यानित्यविभागवुद्धिविशेषाणा- 228-238
मुपपत्तिः.
7 न्यायदर्शनोक्तावयविविचाराचातुर्यम्
238--246
तत्र-
विषयः
परमाणुकारणतावादनिरासः
पुटम्
1 पञ्चीकरणपक्षे अगुसमूहरूपप्रकृति पर्यवसानेत 185--186
औलक्यपक्षापत्तिशङ्का.
2 अण्वारम्भकत्वानभ्युपगमकृत विशेष निर्वाहकः
तंत्र-
आरम्भवादनिरासः.
1 आरम्भकपरमाण्यंशवाधक तर्कपरस्परा
186--188
2 दिग्भेदबुद्धिभेदसंयोगस्वामित्वादिप्रतिवन्दिनि- 188 - 200
रासः.
3 संयुक्तविभुप्रतिबन्दीनिरासः
200-204
4 अणुत्वाविश्रान्ति त्र्यणुकाचाक्षुषत्वतर्क निरास: 204-206
5 परिमाणवैचित्र्यानुपपत्तितर्कनिरासः
6 श्रौताण्वसिद्धिः श्रुत्या परमाण्वसिद्धिश्च
7 परिमाणोपजीविशास्त्र तात्पर्यनिर्वाहः
8 शास्त्रतस्द्धिावपि परेवासिद्धिः
9 शास्त्रतो नित्यस्पर्श निरवयवाणुसिद्ध्यसंभवः
10 प्रकृतिविषय साङ्ख्योक्तिव्याहतिः
....
207-209
****
209--210
....
210-211
211
211-212
212
सद्दव्यवादसमर्थनम्
तत्र-
1 स्वसिद्धान्तसंक्षेपः
213-215
2 कार्यागन्तुकतावादस्य गुरुत्वाद्यतिशयापच्या 216 221
निरासः.
3 नामसङ्ख्यादिभेदस्य कार्योपादानभेदा साधन- 221-224
त्वम् .
4 कार्योपादानभेदद्बाधकतर्कः
25 वृत्त्युत्पत्तिनाशानुपपत्तिभिरवयविनिरासः
224-226
226-228
6 स्वमते लाघवानित्यानित्यविभागवुद्धिविशेषाणा- 228-238
मुपपत्तिः.
7 न्यायदर्शनोक्तावयविविचाराचातुर्यम्
238--246