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किञ्च ते भञ्जित धर्मसेत वो विभिन्न[^1]मर्यादा:

शास्त्रातिलचिङ्घिनो मात्राधिकबलगर्विताः सर्वतः क्रतुभिरेव
[^2]
जीवन्ति देवता इति उत्पा[^3]टितंयज्ञवाटा निर्वापितसर्वाग्नयः
मुं

(मु
)[^4]ण्डितसुस्रुगभाण्डा भक्षयन्तो दीक्षिता नप्यनु[^5]च्चारितयज्ञ

शब्दमाच्छादित धर्म [^6]मस्तमिता[^7]ध्ययनमस्त
विस्तृत[^8]स्वाहा-
कारमनभिस्फुटस्वैधा[^9]कारमलक्षितवषट्कार[^10]मतिबुभुक्षित-

सहस्राक्षम् अतिकृशकृशानु विवशपाशधरम[^11]निःश्वस
-
च्छ्वसनम् अलसबेरकुबेरमनु[^12]द्दण्डदण्ड[^13]धरमपधैर्य-
-
र्य
दिविषदाचार्य[^14]मतिदीन दिनपति हाहाकृतहाहा दिगन्धर्व-

कुलम् अखिलमणिपि जगद्याकुलीचक्रु:
 
3
 

 
[^1]M- विभक्त°
[^
2. M - विभक्त'
 
8.M
]M- एवं
 

[^
3. ]M - उत्पादित '
 
A..
°
[^4]
A,M - मण्डित
°
[^
5. M.]M- अनुच्चारिता:
 

[^
6.] Aaciads °तन्त्र
 
°
[^
7 M]M- has धन for अध्ययन
 

[^
8. M -° ]M- °विचित्रित
 
°
[^
9. ]A -- °स्वाहाकार
 
°
[^
10.8 वर्ष]A- °वर्षुमिति
 
11.

[^11]
A.- निःश्वसित
 

[^
12. ]A- अनुदण्ड
 
°
[^
13. M]M- omits °दण्ड
 
°
[^
14. M -]M – आचान्य
 

 
0
 
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