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आक्षिपसि सर्वजगतां रथरूपतया व क्वते स्थिता लोके ।
त्वष्टाःदृष्टा: पश्याचादिति यदि पौराणिकानन् पृच्छ ॥२७८॥
अथ निखिलजगदाधारः सुमेरुरपि स्मरहरस्य
शरासनीभवितुमुचितमाकारमाकलयन्न[^1]तिजिह्मनिपतित-
ब्रह्मसदनमुपकण्ठगेगलित [^2]वैकुण्ठभवनमनायासकम्पित-
शिवा[^*]वास भुवनम् उद्भूधूयमानवरुणपुररं स्मयमानपवमान-
नगर
नगर(भ्रा)[^3]न्तदेवासुरमुत्प(न्न) [^4]भययक्षराक्षसमुत्कम्पित
[^*]
हृदय किंपुरुषमुत्सन्नधृति [^5]पन्नगमाकुलश्भ्रमदप्सरःकुल-
मात[^6]लोद्वान्तसरोजलमजस्स्रस्तुत [^7]निराधार निर्झरधार -
-
मतवलम्बमृगकदम्ब मन्तरिक्षचलित पक्षिपतन भीत-
शबरयूथहदृढावलम्बिततिरचीन वनराजि चेच[^8] मध्यभाग-
लग्ना[^9] मेदिनीछक्व गतेति पश्यन्निव मत्तोऽपि महीरथोडम-
8
ऽयं-
[^1. ]A. नयति 70- नयति for अति
[^2 अति
है]A omits गलित
6.M- आगलोद्वान्त
7.
[^3]T- स्तुत
8. M, Tamit च
9. A लता for लग्ना
O
3. T has gap in the place of भ्रा
0
[^4. ]T- उत्पत
॰
[^5. ]A., M - प्रति
for धृति
* A.
[^6]M -- आगलोद्वान्त॰
[^7]T- ॰स्तुत॰
[^8]M,T omit च
[^9]A- लता for लग्ना
[^*]A, M- omit from. शिवावास to उत्कम्पित
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त्वष्टाःदृष्टा: पश्
अथ निखिलजगदाधारः सुमेरुरपि स्मरहरस्य
शरासनीभवितुमुचितमाकारमाकलयन्न[^1]तिजिह्मनिपतित-
ब्रह्मसदनमुपकण्ठ
शिवा[^*]वास
नगर
नगर(भ्रा)[^3]न्तदेवासुरमुत्प(न्न)
हृदय
मात[^6]लोद्वान्तसरोजलमजस्स्रस्तुत
मतवलम्बमृगकदम्ब
शबरयूथ
लग्ना[^9] मेदिनी
8
[^1
[^2
है
6.M- आगलोद्वान्त
7.
[^3]T
8. M, Tamit च
9. A लता for लग्ना
O
3. T
0
[^4
[^5
* A.
[^6]M
[^7]T- ॰स्तुत॰
[^8]M,T omit च
[^9]A- लता for लग्ना
[^*]A, M- omit from
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