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तार्क्ष्यध्वजे निजनिजचापलातिशय चोदिता शतमखमुख-
[^1]मुख-
बहिर्मुखा जय जय जलन्धरान्धकादिदनुजमहान्धकार-
निवर्तन संवर्त विकर्तनाकार
घोररूप कृतान्तमर्दनोद्दण्ड
-
खण्डित दुर्दान्त विधिपञ्चमवदन मैमदना[^3]ब्धिशोषणबाडव-
ज्वाल खेलकबलीकृत ज़ेक्ष्वेल क्षोभितदक्षाध्वर रक्ष रक्ष
विरूपाक्ष कमलाक्षमुखत्रिपुरदानव भयादित्युद्वाहवस्ते
चुक्रुशुः!
शु:
।
हुंकृत्य त्रिदशगणान मंद न् मद[^4]प्रकोपा-
दुच्चै(रादृत)[^5] वलमान(चैवेत्र)[^6] दण्ड: ।
श्रीनन्दी हृदयमुमापत्तेरंरजानन
न्[^7]
भीमन्दीकृतरभसस्तमालु लोके ॥ २१७॥
♥
[^1. ]A has मुख z॰मुख॰ fon मरळ
r ॰मख॰
[^2. ]M. omits मुख
[^3. ]A omits मदन
[^4. ]M. दि- विनदप्रकोपात
त्, A - विप्रद-कोपात /
त्
[^5. ]M - अनुद्धृत
[^6. J]Thist is the aemendest
Ad reading. All mss. have gap.
[^7. ]M.- अजन्य
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बहिर्मुखा जय जय जलन्धरान्धकादिदनुजमहान्धकार-
निवर्तन संवर्त
खण्डित
ज्वाल खेलकबलीकृत
विरूपाक्ष कमलाक्षमुखत्रिपुरदानव
चुक्रु
हुंकृत्य त्रिदशगणा
दुच्चै(रादृत)[^5] वलमान(
श्रीनन्दी हृदयमुमापत्ते
भीमन्दीकृतरभसस्तमालु
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