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गन्धर्व किन्नरादयस्तपडकेशभीता विजयत रे परिश्रान्तो
• भगवान, मुकुन्दो भांवत्तीरे (निविद्रियाय) नैर्ऋलो जले
निमग्नों मूर्च्छितोऽयमग्निस्सलिलगतः पश्यत रे न पैश्यामः
चिरादश्विनाविति क्रोशन्तः सव्याज ससंभ्रम प्रचाराः कथ-
श्चित्तपःदेशादुत्तीर्णाः। एवमेव देवगणैस्सह गणनाव्यामृत-
भुजचतुष्टमीवर्जित पाञ्चजन्मसुदर्शना दिर्हति मण्डलपरिवृते
परितोऽपि सैरस्तीरकुण्डलितभोगकुण्डलीश्वरोपरि विस्तार्य
माणफणासहस्र प्रच्छायवासिनि सेविनयवैनतेयचालित-
चामशनिलनिर्मृष्ट निरन्तरमन्त्र पाठ कन्द लितमुखारविन्द-
स्वेदवारिणि वॉरिनिमग्नवक्षस्तटसरभ सोत्तिष्ठदिन्दिरागदा-
श्लिष्टपुलकितकण्ठन्ले लक्ष्णतानाहत पीताम्बरान्वितकटि-
भागे भगवति लवमानवनमालाधरे दामोदरे तपस्थति सति
10
2. M - अपश्नितान्तो
2. A, T. धावत रे
5
3. This is the emended reading
An miss, have निभाय
4. M. वश्याम:
0
ङ. T-
पञ्चजन्य
6. A,M हेतु"
7. AM - अपकृतो. पि
13
8. A.M. संरक्षित
9. A विनय वैनतेय
टेल - विनयेन ते
10. M - दृष्ट
0
0
0
11. M. पाठक
12. M- धारि... निमग्न
13. A omits तिष्ठ
14. (A.M. गाथालिष्ठ
होगामगाश्लिष्ट
▸
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गन्धर्व किन्नरादयस्तपडकेशभीता विजयत रे परिश्रान्तो
• भगवान, मुकुन्दो भांवत्तीरे (निविद्रियाय) नैर्ऋलो जले
निमग्नों मूर्च्छितोऽयमग्निस्सलिलगतः पश्यत रे न पैश्यामः
चिरादश्विनाविति क्रोशन्तः सव्याज ससंभ्रम प्रचाराः कथ-
श्चित्तपःदेशादुत्तीर्णाः। एवमेव देवगणैस्सह गणनाव्यामृत-
भुजचतुष्टमीवर्जित पाञ्चजन्मसुदर्शना दिर्हति मण्डलपरिवृते
परितोऽपि सैरस्तीरकुण्डलितभोगकुण्डलीश्वरोपरि विस्तार्य
माणफणासहस्र प्रच्छायवासिनि सेविनयवैनतेयचालित-
चामशनिलनिर्मृष्ट निरन्तरमन्त्र पाठ कन्द लितमुखारविन्द-
स्वेदवारिणि वॉरिनिमग्नवक्षस्तटसरभ सोत्तिष्ठदिन्दिरागदा-
श्लिष्टपुलकितकण्ठन्ले लक्ष्णतानाहत पीताम्बरान्वितकटि-
भागे भगवति लवमानवनमालाधरे दामोदरे तपस्थति सति
10
2. M - अपश्नितान्तो
2. A, T. धावत रे
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3. This is the emended reading
An miss, have निभाय
4. M. वश्याम:
0
ङ. T-
पञ्चजन्य
6. A,M हेतु"
7. AM - अपकृतो. पि
13
8. A.M. संरक्षित
9. A विनय वैनतेय
टेल - विनयेन ते
10. M - दृष्ट
0
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11. M. पाठक
12. M- धारि... निमग्न
13. A omits तिष्ठ
14. (A.M. गाथालिष्ठ
होगामगाश्लिष्ट
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