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श्लोकः
 
क्षुभिताम्बुद्ध्यालोके ५१
 
चलति ३८
चूडाकेतक ४
 
जगतां पाता १२
जगतां मोदकर ! ३५
जगदहितोदग्राहक १९
जय जय भो ३८
जय वरदेशानन्त ! ३
 
जित्वा देवप्रभृति ३२
ज्वलदनलोपम ४३
तं स्थितमुपसाग १४
 
सत्र च सरसा ४१
 
यत्र च सादिव्यापत् ५६
 
तदनु कृताशा ४५
 
तहहनसमायां ९
 
तवचने ३०
 
तन्मा गच्छत ४३
 
तल्लोकेश ! ४
 
तस्मान्मानसमूहे ३५
 
तस्य पुरवधाय २६
 
तस्यैवं धन्यस्व २१
 
तान्यपि वासव १७
 
ताश्र विमान ४८
 
ते द्रुतमक्ष ३८
 
तेनैव समस्तारि ४८
 
७२
 
तैः कामो देवारि २९
 
सौ च सदानव १४
 
स्वतसुहृत् ४५
स्तरिपुं ५४
ब्रिजगत्समर ५८
स्वामवदातारम्भो ५७
 
पुटम् / श्लोक:
 
40 । दानं परमाहारं ४२
 
110 । घुगगन ४६
 
१०
 
धुसदामुदयान् ७३
 
द्विषतां तोदे १५
 
94
 
108 । धृतभासुर २
98 । धृतमशनाय १२
नगरीभव ८
 
103
 
89
 
46
 
नारदनामा ४०
 
113
 
60 निघ्नन् सोऽमरविघ्नं ३७
 
निजया ९
 
निरतः परमो ७
 
निरतर्जगदे ३१
 
निश्शङ्क ३९
 
पटुमनसा ३५
 
पदमपि मदनादरतः ३२
 
पदयोरापाशु २३
 
परमं धाम ध्येय ११
 
परमं धामानन्तं २०
 
33
 
42
 
114
 
92
 
69
 
77
 
54
 
73
 
103
 
न पतति तं ३२
 
नाथ! बलादेवाय
 
S
 
पुरचये मुदं ७४
 
पृथगहितावध्यं ३२
 
99
 
61
 
38
 
74
 
115
 
51
 
24
 
59
 
78 बबन्धुरेव ६१
118 । बभ्रुकराळं १३
 
87
 
87
 
पेतुः साध्यवसाया: ५०
 
प्राप्तेनासुर २३
 
प्रार्थो हि ८
 
प्रेक्ष्य पुरस्ता ४७
प्लुष्ट्वा पूर्वसुरसदः ५७
 
फलमपि न २८
 
बुद्धिरजाबाघातः ५४
 
मनसः सद्योगेहात् ४३
 
पुटम्
 
76
 
114
 
52
 
96
 
89
 
12
 
91
 
71
 
9 I
 
75
 
:09
 
10
 
56
 
25
 
75
 
28
 
107
 
19
 
12
 
98
 
52
 
26
 
39
 
64
 
56
 
37
 
120
 
68
 
122
 
59
 
85
 
35