This page has not been fully proofread.

Stanza
 
अहरिव जनयोगं
 
अहो अहीनामपि
 
अहोऽत्यर्थेऽप्यर्थे
 
( अहो धन्याः केचित् )
अहौ वा हारे वा
 
आकारवेषसौभाग्यैः
आकारसंवृतिः कार्या
 
आकाशमुत्पततु
 
( आक्रान्तं मरणेन जन्म )
आगतोहं
 
*
 
*
 
आघ्रातं मरणेन जन्म
आघ्राय पुस्तकं धन्याः
(आच्छाधचन्दनरसा )
आजीवोच्छित्तये
आशा कीर्तिः पालनं
आढ्यः कश्चिदपण्डितो
आत्मान धर्मकृत्यं च
आदानस्य प्रदानस्य
 
( आदाय पुस्तकं धन्याः)
आदित्यस्य गतागतै
( आदीर्घेन चलेन)
 
( आदेयस्य प्रदेयस्य )
 
: आदौ मजन चीरहार
आधिव्याधिशतैर्वय-
(आन्ध्यं धियो हरति )
 
आपन्मूलं खलु युव
आमर्षान्मदनः सद्यो
 
आमीलितनयनानां
 
आमोस्ते दिशि दिशि
 
(आयातेति मनोरमं)
 
आयासशतलब्ध स्य
 
आयुलेखा पवनच-
आयुर्वेदविदां रसा-
आयुर्वर्षशतं नृणां
आयु: कल्लोललोलं
आरभ्य गर्भवसति
 
( आरभ्यते न खलु )
आरम्भगुर्वी क्षयिणी
( आरोहणं समभिवी-)
 
(आद्रोच्छचन्दनरसा )
 
आलस्यं हि मनुष्याणां
आलापयत्यकार्याणि
आलिङ्गत्यन्यमन्यं
आलोकय पन्थानं
 
आलोड्य सर्वशास्त्राणि
 
आवर्तः संशयानाम-
No.
 
३९३
 
३९४
 
२६
 
३३७
 
२१३
 

 
१३
 
३९५
 
१९७
 
३०
 
१९७
 
२१४
 
९८
 
८२
 
३९७
 
२१४
 
१५५
 
१२९
 
३९७
 
३९८
 
१९८
 
४२
 
३०९
 
४०
 
२१५
 
८२५
 
१२४
 
४००
 
४०१
 
९९
 
२००
 
१९२
 

 
२७७
 
६२
 
३२३
 
९८
 
२१६
 
२८
 
४०२
 
७१
 
४०३
 
लोकानुक्रमणिका ।
 
Page
 
१४३
 
१४३
 
२१५ ( आवासः संशयानाम )
 
१३२
 
आविष्करोति न स्नेहूं
 

 
८५
 
Stanza
 
२२२
 
१४३
 
आवास: किलकिश्चित-
आवासः क्रियतां गांगे
 
आशया ये कृता दा
 
आशा नाम नदी मनो-
२०६
 
२०६
 
१४३
 
७९
 
२०८
 
७९
 
८५
 
३९
 
इतः स्वपिति केशवः
 
२०६ इतो विद्युदल्लीविल
 
२७
 
इदं नासीन चोत्पन्नं
 
आशा नाम मनुष्याणां
 
आसंसारं त्रिभुवन
आसमस्ता क्षिविक्षेप
 
आसारेण न हर्म्यतः
 
आस्तां सकण्टकमिदं
आहारनिद्राभयमै-
इदमनुचितमक्रमश्च
 
इन्द्रं यक्षधरं अमंथ
 
१४४
 
इन्द्रः प्रधानं दिवि
८५ इमानि प्रायशस्तानि
५९ । इमे तारुण्यश्रीनव-
५१ । इयं पल्ली भिल्लैरनुचित
 
१४४ इयं बाला मां प्रत्यनवर
१४४ इयत्येतस्मिन्वा निर-
७९ इयमुच्चधियामलौकिकी
 
१८
 
( इयमुन्नत सत्वशालि )
१४४ । इयमुदरदरी दुरन्त
 
२०८ । इलिका भ्रमरी ध्यानं
 
इह किं कुरङ्गशावक
 
इह तुरगशतैः प्रयान्तु
 
( इह हि बहुभिरुक्तै:)
 
इह हि मधुरगीतं
 
->
 
२०२
 
४९
 
१४४
 
१४४
 
२२५ ईर्ष्याद्धि कुप्यते वेश्या
 
८०
 
७६ । उक्तस्ते रुधिरेणाह
२१२ । ( उचितमनुचितं वा )
 
१०८ । उच्चैरेष तरुः फलं
२५ उच्छिष्टं करखपरं
१२६ । उडुगणपरिवारो
३९
 
उत्खातं निधिशङ्कया
८६ । उत्खातान्प्रतिरोपयन्
 
२०७ उत्तानोच्छूनमण्डूक
 
१४४ उत्तिष्ठ क्षणमेकमुद्रह
 
२१० । उत्तुङ्ग शैलशिखरे
 
१४४ । उत्पादिता स्वयमियं
 
३७ उत्सवादपि नीचानां
 
No.
 
१३८
 
१३५
 
९४
 
२७
 
४०४:
 
१७३
 
४०५
 
१७६
 

 
१४२
 
४०६
 
४०७
 
१३७
 
४०८
 
१२८
 
४०९
 
४१०
 
६९
 
२१७
 
४११
 
२१८
 
४१२
 
४१३
 
४१३
 
४१४
 
८२६
 
४१५
 
४१६
 
८५
 
१०२
 
२४
 
३४
 
४५
 
४१७
 
४१८
 
४१९
 
१४९
 
४२०
 
४२१
 
४२२
 
८४०
 
४२३
 
४२४
 
२२७
 
› Page
 
५४
 
५३
 
३७
 
२०७
 
१४५
 
६८
 
१४५
 
६९
 
२०६
 
१४५
 
१४५
 

 
५३
 
१४५
 
५०
 
१४५
 
१४५
 
२१०
 
८६
 
१४५
 
८६
 
१४६
 
१४६
 
१४६
 
१४६
 
२०३
 
१४६
 
१४६
 
३३
 
४१
 
२०७
 
२०८
 
૨૮
 
१४६
 
१४६
 
१४७
 
५९
 
१४७
 
१४७
 
१४७
 
२०४
 
१४८
 
१४८