This page has been fully proofread once and needs a second look.

२००
 
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रह
 
सुजनो न याति वैरं परहितबु द्धिर्विनाशकालेऽपि ।

छेदेऽपि चन्दनतरुः सुरभयति मुखं कुठारस्य ॥ ८०१ ॥

 
सुतारा विक्रीता स्वजनविरहः पुत्रमरणं
 

विनीतायास् त्यागो रिपुबहुलदेशे च गमनम् ।

हरिश्चन्द्रो राजा वहति शलिलं प्रेतसदने
 

ह्यवस्था तस्यैषाप्यह ह विषमाः कर्मगतयः ॥ ८०२ ॥

 
सुधामयोऽपि क्षयरोगशान्त्यै नासाग्रमुक्ताफलकच्छलेन ।

अनङ्गसंजीवनदृष्टिशक्तिर्मुखाम्बुजं ते पितीति चन्द्रः ॥ ८०३ ॥

 
सुवर्णपुष्पितां पृथ्वीं विचिन्वन्ति त्रयो जनाः ।
 

शूरश् च कृतविद्यश् च यस् तु जानाति सेवितम् ॥ ८०४ ॥

 
सुवृत्तस्यैकरूपस्य परप्रीत्यै धृतोन्नतेः ।
 

साधो: स्तनयुगस्येव पतनं कस्य तुष्टये ॥ ८०५ ॥

 
सुहास्यमुखपङ्कजे नयनचञ्चलालोचने
 

वदे मधुरभाषणे अतिविलासकामाञ्जने ।

गजेन्द्रगतिसंभ्रमे पदसरोरुहे कोमले
 

न होति न च यौवनीकषणभावरम्यस्थले ॥ ८०६ ७.

 
सूनुः सच्चरितः सती प्रियतमा स्वामी प्रसादोन्मुखः

स्निग्धं मित्रमवञ्चकः परिजनो निःकेक्लेशलेशं मनः ।

आकारो रुचिरः स्थिरश् च विभवो विद्यावदातं मुखं

तुष्टे विष्टपहारिणीष्टदहरोंरौ संप्राप्यते देहिनाम् ॥ ८०७ ॥
 
801 ISM Gore144 V189. BIS. 7099 (5258) Bohl. cn Bhartr. 2. 62.
Subhash. 274; Śp. 237 (Ravigupta); SRB. p. 47. 110 (Ravigupta); SBH. 241
(Ravigupta); SKM. 6. 12 (Ravigupta); SDK; 5. 35. 3 (p. 301, Śrīvyāsapāda);
SRH. 31. 21; SRK. p. 10. 4 ( Sphutaśloka); SS.26.28; SK. 2. 76; PT. 1. 43;
SG. f. 10b; SL. f. 256; SSD. 2. f. 97D; SSV. 464; SMV. 9. 11; SKG. f. 17b.
 
;
 
SK. 6.438 ; S.M.V. 8. 10.
 
802 A N37.
 
803 E Ś36. - ") मुखामृतं NSI S10.
 
p. 260. 120; SRK. p. 277. 2 (Sp.); SHV
 
(Vaidyanatha); SK 3 23, 5
 
125.
 
.
 
804 GVS734 N95.
 
·
 
Sp. 3305 ( Vaidyanātha); SRB.
 
app. II f. Da 46; SU. 265
 
BIS. 7133 (3284)
 
Mbh. 5. 1255-6. ( = ( var. )
BORI crit ed 5.35 64 ). Panic od. Koseg. I. 61 ed. Orn. 31 ed. Bomb. 45.
Kuvalayānanda 60; SRB. p. 148. 254; SRH 181 17 ( Mbh. ); PT. 9. 2.
 
805 CN37.
 
BIS. 7134. Subhash 273; SRB. p. 46. 75; SBH. 219
(Kşemendra); SRIL. 31. 8 ( Bh.); SSV. 407.
 
806 Ana624529, " only in text, rest Marathi trans. Kavi Bala.
 
807 W and Pun2885 N25; NS3N110.
 
BIS. 7160 ( 3288 ) Bhartr ed.
Bohl, extra4, lith. ed- I. 2. 24, II. and Galan. 25; SRB. p. 179. 1020. SHV. app.
 
I f lb 40; SMV. 25. 7.
 
www.