2023-07-23 08:49:59 by jayusudindra
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इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे हा हन्त हन्त नलिनीं गज उज्ज़हार ॥ ७१२
रामस्य व्यसनं बलेर्नियमनं पाण्डोः सुतानां वनं
वृष्णीनां निधनं नलस्य विपदं भीष्मस्य शत्रोर्हतिम् ।
विष्णोर्वामनतां तथार्जुनवधं संचिन्त्य लङ्केश्वरं
सर्
रामाणां रमणीयमूरुपुगलं स्वैरं नितम्बस्थली
पृथ्वीं चन्द्रविनिद्रमास्यमतुले नेत्रे स्तनौ प्रोन्नतौ ।
यद्येतानि जगत्रयीजय
सौख्यानि प्रलपन्तु हन्त कुधियः
रामोऽपि भर्ता गणको वशिष्ठः सूर्योऽभिषेकी शुभलग्नचन्द्रः ।
सुखं न भुक्तं परमेषु सीता न कर्मणः कोऽपि बली समर्थः ॥ ७१५ ॥
रामो येन विडम्बितोऽमृतमयश् चन्द्रः कलङ्कीकृतः
क्षाराम्भः सरितांपतिश् च नहुषः सर्पः कपाली हरः ।
माण्डव्यो वधशूलपीडिततनुर्भिक्षाभुजः पाण्डवा
नीतो येन रसातलं बलिरसौ तस्मै नमः कर्मणे ॥ ७१६ ॥
रुष्टे का परपुष्टे मन्दे का हन्त मारुते चर्चा ।
त्वयि गतवति हृदयेशे जीवनदातापि जीवनं हरति ॥ ७१७ ॥
रे दारिर्द्र्य नमस् तुभ्यं सिद्धोऽहं
अहं सर्वत्र पश्यामि न मां पश्यति कश्चन ॥ ७१८ ॥
रे रे कोकिल मा भज मौनं किंचिदुदञ्चय पञ्चमरागम् ।
नो चेत्
712 ISM Kalarhkar692 V72 ; Śrñ309 V45. BIS. 5777 (2625). Bhrama-
rästaka 8. in Haeb 241. Kāvyakal. 91. Kāvyasaih. 18. Kuvalayānanda _159; Śp.
1181; SRB p. 223. 78; SBH. 751; SKM. 195; SRH. 35.52 (Śrigāraprakāśa);
SSV. 1096 ; SKGf 14b
713 Ady XXIX-E-2 N IX-12. BIS. 5782 ( 2630). Pañc. ed. Koseg. IIT.
268. ed. Bomb. V. 68 Vikramaca. 80; SRB. p. 94. 108; SL. f. 40a : SN. 810;
BPB. 28; SSD. 4. f. 6a. 714 Meh Ś109. 715 Wai2 extra 4.
ab
716 Nag299N111; Bik3280 N 124 ( 25 ) ; IO 1854 f. 25a ( extra ) ; HU2146
717 Wai2 Ś102 ( ad corrupt ) .
N51 (38).
- SRB. P. 288. 19.
Cf. BIS. 2784 (1148). Vikramaca. 155.
d) तूते (for चूते).
718 HU2145 V3.
SR.B.p. 225.
131; 8RK. p. 188, 2 ( Sp. ) ; ST. 10.5; VS. 106; SK. 3, 108; SU. 1178; SSD,
719 Wai2 extra11;
BUN94 (92).
2. f. 22a.