2023-07-21 08:58:27 by jayusudindra
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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
तत्क्षणादेव नश्यन्ति
द्यूतं मांस सुरां वेश्या खेटं चार्य पराङ्गनाः ।
महापापानि
द्विरष्टवर्षा योषि
अनयोर्नितरां प्रीतिः स्वर्ग इत्यभिधीयते ॥ ५३७ ॥
द्वौ विप्रो विमग्निं वा दम्पत्योर्नृपनृत्तयोः ।
अन्तरे न हि गन्तव्यं हरस्य वृषभस्य च ॥ ५३८ ॥
धनतनयविपत्तिव्याधिदुःस्थो गृहस्थो यतिरपि नियमस्थो नीतिसुस्थो वनस्थः ।
गुरुपरवशकारी क्लिश्यते ब्रह्मचारी हरिचरण
धन्यानां नवपूगपूरितमुखश्यामाङ्गनालिङ्गन-
त्रस्तानेकसुख
अस्माकं तु कुटुम्बशम्बलकथासंतापचिन्ता
Busi
ज्वालाजागरजागरूकमनसां सैवातिदीर्घाय<flag></flag> ॥ ५४० ॥
धन्या
अन्येऽपि संततिभवार्णवतोयदक्षा ये पाशमोहमवतीर्
धन्या
योगाभ्यासेऽतिलीना गिरिवरगहने यौवनं ये नयन्ति ।
")
535 NS1 V13. d) श्रीहीकान्तिकीर्तय:; ISM Kalamkar692 V7.
बचनाद्वारे.
●) निर्यान्ति तद्वचः श्रुत्वा.
SRE. p. 73. G; SRK, p. 60.15 ( 8 p. ). BN,
500; SSD. 2. f 138b; SSV 1270.
536 HU2145 N71 ( 1 ).
BIS. 2991 (1262). Vikramaca. 267.
537 BORI329 S53 (54) ; Pun2101554 ( 56 ); BORI Limaye273 $30;
Somadeva's Yaśastilakacampū (KM. 70. II. p. 251 ). द्वादशवर्षा योषा षोडशवर्षो-
चितस्थितिः पुरुषः । प्रीतिः परा परस्परमनयोः स्वर्गः स्मृतः सिद्धिः ॥ (Dhümadhvaja?).
-
538 HU2145 NG (1). Cf. BIS. 6160 (5013) Vrddhacā, 7. 5. Berl.
MS 255.
539 ISM Kalamkar195. N extral on marg. last fol. ( not as Bhartr. Sloka.?)
540 M +, 5 Ś V-20. - 0 ) Ms प्राप्तानेक SDK 2. 175 1 (p. 182) ; SSD,
2. f. 141a. 541 ISM Kalamkar846 $92.
542 A Ś100.
a ) A1 com. संसारसङ्गा; F1 599. 2) संसारसका.
3 ) ब्रह्मज्ञाने ( for योगाभ्यासे)....नयन्ते. ९) येsपि ( for अम्ये ).
- d) गाढं
'मृदुशयनतले; BU Ś103; Jod3 S98; NSI $103 ( 203 ) ; NS2 598; BORI3298102*
( 103 ); Bar1781 $103 (106) Some Ms. ये विरक्ता (for वीतरागा in a ); RASB G