This page has been fully proofread once and needs a second look.

भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
स्मृता भवति तापाय दृष्टा चोन्मादवर्धिनी ।
 

स्पृष्टा भवति मोहाय सा नाम दयिता कथम् ॥ ३४८ ॥

 
स्रजो हृद्यामोदा व्यजनपवनश् चन्द्रकिरणा:

परागः कासारो मलयजरजः सीधु विशदम् ।

शुचिः सौधोत्सङ्गः प्रतनु वसनं पङ्कजदृशो
 

निदाघर्तावेतद् विलसति लभन्ते सुकृतिनः ॥ ३४९ ॥

 
स्वल्पस्नायुवसावशेषमलिनं निर्मांसमप्यस्थिकं
 

श्वा लब्ध्वा परितोषमेति न च तत् तस्य क्षुधाशान्तये ।
 
१३६
 
Ś
 
348 {S } Om. in Fs I, BORI 326, BU and Punjab 697. E3 order acbd.
a ) F1 J2 W1 1 Y23 G1.35 Ms श्रुता; J1 W2 Y6.0 श्रुत्वा
 
Eat Yit पापाय ; : तप्ताय; Wiतामाय.
 
W 3 स्मृत्वा ; G2 श्रुतं
 
6 ) A2 Eo. 2t. 3 J
Eo.1 F+ वर्धनी; F1-8
4 ) 123t दृष्टा; J W 2 - 1 Y1B G+ स्पृष्ट्वा
 
CG1 पापाय;
भवतु.
Jic दोषाय (for मोहाय ). D स्पृष्टा मोहाय जगतां. - ( ) J 1
सा नामा; Y० साधूनां; Y7 सा नारी (for सा नाम ).
 
( for स्मृता ).
W X 2 Y7 G+
H Y1B 2.6.4 T
 
Y1B
 
B2 ( orig. )
M. 3. 3 दृष्ट्वा . BE ( and Ec ) F2 H तु ( for •
G1-30 °कारिणी (for वर्धिनी ).
 
BIS 6565 (3320) Bharir ed. Bohl. 1.73 Haeb 76 lith ed: 11.530. Subhash,
17, 133 and 293; SBH. 1225; SRH 183 3 ( Vallabha); SS. 44. 26; SU366;
SN. 275 ; SSV. 1393; JS. 104; SLP. 4. 75 (Bh.)
 
Fs.
 
349 {S} Om. in C, Jodhpur's and Ujjain 6414.. Omitted or missing in
Wrongly om. in B. NS11394, V3. – a ) J G1 हृद्यामोद; X हृबसोदो. F2. 4
 
- पवनाश; H - पवनं; G1 - किरणश (fo1 - पवन ). B1 T3 G1. +3M7-1 चंद्रकिरण: ; H चंद्रकि
रणान्; Gat चंद्रि किरण.
6 ) H परागं; J1 प्रसन्नः; Mo वरांग: ( for परागः ). E2 कासारान्;
 
F+ पुष्पाणां; H कासारं. B1 F2 1 ItJ Y1 M1 - 3 °रख:: D G¥रसाः; H °रसं. A2 Eac,
 
O
 
F 1.2 Y3 G1.2t सिंधु विश ( ( ( 1 दः ) ; D शीपुबिशदं; Eat. 3c J2 X 2 X + - 8T1. 3 Ga शीधु
विशदं; W+ सीधु विषदं; G3 M1.5 शीथु विशदं; G+ लोध्रविशद :; M1. 2 शीथु विशदः; M3 शीत-
विशदः. ९) H शुचिं; G1 रुचिः:. H सौधोत्संगं. A Est at Fs वचनं,
Ys -वसनाः;
 
3
 
G₁
 
co
 
- तपन:; Ms -वचना: ( for वसनं ). – ") D निदाघार्ते चैतद्; E J2 X 2 T2 Mt. 6 निदाघार्तावेतवू ।
Fa निदाघार्ताश्चैता; W निदाघास्तू ( W1'त्तू ) र्ण तद्; X निदाघार्तावेते; Y3 निदाघांते चैतद्; G
निदाघावर्तापिदू; Gs निदाघातौ केचिद्; Ms निदाघे तानेतान्; M3 निदाघार्तापेतादू. W X
सुखमुप (for विलसति ). YB भवंते ( for लभन्ते ).
 
BIS. 7263 ( 3322) Bharty ed. Bohl. 1. 39. Haeb. 42. lith ed. II. 93. Sata.
kāv. 67. SK. 3. 335; SLP. 5.29 ( Bh. ) .
 
350 {N } Om. in X
 
Ys
 
a ) A3 J2 स्वम ; B2DF 3-5 W H Y1 स्वल्पं Jat.
अल्प-; Y: स्वल्प: A1 E3 Jat चशावशेष; B2 -वशाविशेष-; E0 - 2.6 °वशादशेष ; FiW4
(by corr. ) Y1.4-4 T G 4.5 M वसावसेक; F2 G1 -चसाव सैक; Fs -वशावशेन; Io
•वसाविशेष ; G2. 3 - वसावसेन. CF1. 2 JW Y3-8 T G+ M4.5 अप्यस्थि गो:; M.8 अप्य-
स्थितं. -') B1 स्व / लब्ध्वा ; B2 C D Eo - 3. 5t W1. 2 Y3 श्वा लब्धा; Ic Ms कं लब्ध्वा; Ja
st
श्वालब्धो. F 1 ( m.v as in text ) नितरामात्म; Jit लभतस्तस्य; W न तु तत्तस्य; Xx