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संशयितलोकाः ।
 
आत्मारामः फलाशी गुरुवचनरतस् त्वत्प्रसादात् स्मरारे
 

दुःखं मोक्ष्ये कदाहं समकरचरणे पुंसि सेवासमुत्थम् ॥ ३४५ ॥

 
स्पृहयति भुजयोरन्तरमायतकरवालकररुह विदीर्णम् ।

विजयश्रीर्वीराणां व्युत्पन्न प्रौढवनितेव ॥ ३४६ ॥

 
स्फुरत्स्फारज्योत्स्नाधवलिततले काक्वापि पुलिने

सुखासीनाः शान्तध्वनिषु रजनीषु घुद्युसरितः ।

भवाभोगोद्विग्नाः शिव शिव शिवेत्यार्तवचसः
 

कदा स्यामानन्दोद्गतबहुलबाष्पप्लुतदृशः ॥ ३४७ ॥
 
ध्याये ध्याने निवेश्य; J3 धैर्यध्यानं निवेश्य; X ध्यायचित्ते निवेश्य; Y1.3 G+ ध्याये ध्यानं
निवे ( Y2 °वि ) श्य; Y3 ध्येये ध्यानं विशेष्य; Ms ध्येये ध्यानं निषेव्य; M. ध्यायं ध्यायं भवंतं.
F3 - कुहरे ग्राव;
Ys M - कुहरनाम F० पर्यकमूलं; W शय्यानिषण्णः.
-
° ) BEat X
'रामोपलीनो; B2 m.v. Gas रामोफलाशी: 3 रामकलाभो; Fs रामोपि लीनो;
'रामे फलाशी; J रामोपि लीला (for रामः फलाशी ). परस्; M3 - गतस् ( for रतस्).
पं
-
J1.2t. 3 तत्प्रसादात्; X ] कृत्पुरस्तात्; Xa त्वत्पुरस्तात्.
D I ( orig. ) Y4.5 मुरारे; Eo Fs
Jat स्मरारेइ; X Y3 M3 पुरारे (for स्मरारे ). – ) Ec दुःखान्. DE Is Get मोझे कदाई,
Eo. 3t F2 मौक; W: मोक्ष्यै क; X1 मोक्ष्ये कदा हे. F3. 3 समचरणकरे; Jat. a
समकरचरणं; 429 करचरणसमं; X "स्मरहरचरणे; G+ करचरणसमे [commentators factor
समकर स + मकर or भ्रम + कर; W.vom. मकरध्वजे पुंसि मदने सेवा.]. I समर्थ; Y3
समुख G1 समर्थः दुःखं मोक्ष्ये (Eo.ॐ , Le दुःखान्मोक्ष्ये ) कदाहं तव चरणरतो
ध्यानमाकप्रश्नः (Ioघस्रैः ).
 
B19. 7238 (3313 ) Bhartr ed. Bohl. 3. 88. Haeb 83 litli ed. I and II. 86,
III. 84. Galan 82.
 
346 {N} Om. ‡n A CJ1 S BORI 326. -- 4 ) B1 F -विदीर्णा; It -विकीर्णा;
J2.3 विदीर्णा. ● ) F1.3 J2 विजयश्री.
J3 उत्पन्नवनिताविव.
 
d
 
* ) Eo. 3 व्युत्पन्ना; J2 वृक्षं न ( for व्युत्पन्न ).
 
.
 
१३५
 
BIS. 7251 (5327 ) Bhartr. ed. Bohl. extra 18. Haeb. 2.97. Satakāv. 92;
 
SR.B. p. 78.5.
 
347 { V } Om in I, BORI 329 and Punjab 2101. Yr missing.
Yr missing. — a) D
शरंबद्र; Eo. 2-1 स्फुरत्स्फारा; F2 Ja
X स्फुरचंद्र;
स्फुरस्कार;
G2t स्फुरत्स्फूर- ( for
स्फुरस्स्फार-). - 0 ) Eo. 20.6 Y: T3 M+ सुखासीनः;
4 ) Eo. 200 Ys T3 M + सुखासीन; E3 सुखाशीना:; F1. समासीनाः; Ja
2
समासीन: C श्रांत-; W2 T2 शांता ( for शान्त ). D क्व सरितः; F3 व परितः ( for
धुसरितः ). - ) Eo.8.5 गोभिः; Hit 3st T3 J2 गोद्विघ्नाः B Ea Hic 23 Ms "त्यात्त-;

F1 ° त्यस्त-3 J1 'त्यर्थ - ; W X_Y2. 4 - 6.8 Ti ( c.v. as in text ) G1.45 M1.2 °त्युच्च ; Y1
'त्यच्छ-; M3 °त्युक्त- (for °त्यार्त - ). A2 E3. + वचसा; A3 वचना a ) Ja कथं ( for कदा).
 
● E स्यामो हर्षोद्रत ; F स्यामो मोदोद्गत; F3 स्यामो नंदोहत; W Y+-6.8 T G4. 6
यास्यामोंतर्गत; X स्यामो नंदामृत; G1 M1-3 नु ( Msom. नु) स्यामोंतर्गत (for स्यामानन्दो-
इव - ). C D E2. 4 F2 - 5 W1 Y3 M - बहल-
G1.46 M1 - 8.5 - बाष्पाकुल-; Est M 1 - बाप्पाडत-
Y: T13 - दर्शा; Ticv. -दृशं ( for -इश:) .
 
CF2.3.6 JW X Y ( Y7 missing ) T
A2 Eo. 3-5 W½ -दृशा; Y4-0 T2 - हशां;
 
BIS. 7254 ( 3317 ) Bhartr ed. Bohl. 3. 85 Haeb. 80 lith ed. I. 83, II, 42,
III. 81. Galan 79; SSD. 4. f 30&.