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संशयितश्लोकाः ।
 
येषां नैर्झरमम्बुपानमुचितं रत्यै च विद्याङ्गना
मन्ये ते परमेश्वराः शिरसि यैर्बद्धो न सेवाञ्जलिः ॥ ३३३ ॥
शिरः शावं स्वर्गात् पशुपतिशिरस्तः क्षितिधरं
गिरीन्द्रादुनादवनिमवनेश् चापि जलधिम् ।
अधोधो गङ्गेयं पदमुपगता स्तोकमथ वा
 
विवेक भ्रष्टानां भवति विनिपातः शतमुखः ॥ ३३४ ॥
संपत्सु महतां चित्तं भवत्युत्पलकोमलम् ।
आपत्सु च महाशैलशिलासंघातकर्कशम् ॥ ३३५ ॥
संमोहयन्ति मद्यन्ति विडम्बयन्ति
 
निर्भयन्ति रमयन्ति विषादयन्ति ।
 
एताः प्रविश्य सदयं हृदयं नराणां
 
किं नाम वामनयना न समाचरन्ति ॥ ३३६ ॥
 

 
BIS. 6411 (2959 ) Bhartr. lith ed. II. 3. 87; SRH. 200.30 ( Bh. ).
334 V,Ņ} Om. in I, FVS 2387, BORI 329, Punjab 2101 Jodhpur 1 and
BVBE AS3 V07, N104 (extra) - — ) J1 G2t शिवः A3 E2. 3. 4 सार्व; F1 प्राप्ताः Fe
सार्थ; Js शर्व Mo शापं ( for शाब ). W1 - 8 स्वर्ग ( for स्वगांत्). W (Ws orig. ) पतवि
शिरसस्तव) Raja पशुपतिशिरस्तत्; Ms. पशुपतिपुरस्तः F2 किंतिभृतं; W: क्षतिधरं (for
क्षितिधरं)) B महीनाद Eat JS महीधादू ( M 1 महार); Eat महींधादू ( for
2.3.5
गिरीन्द्रादू ). Ao EoH02t उसंगादू
WA जलविधिं.
 
F० अवधेश्चापि. B2 जलधी:; Eat. 3t. 4 जलधिः;
 
● ) BE 2 - 1
 
F 2.3.5 J S ( except X Y 1 ) अधो ( W3X4-0.8 T1B Gr
M1.25 °थो) गंगा सेयं (M1.2-क्षेपं ; W+ orig. क्वेषा); C अधोधो गंगावत्; Eo. 5 अधोधो गांगेयं
C वयमुपगता; Eo (and Ee) पदमुपगतं; Y2 पथमुपगता; Y3 पदमपगता. C नूनमथ वा; Y2. t
Moस्तो ( G+ तो ) कमधुना; M स्तोकमधुरा. (d ) X 2 विनिवात:. "Js Yr Ms.6
 
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Gas
 
शतमखः.
 
BIS. 6456 (2982) Bhartṛ. ed. Bohl. and lith. ed. II. 2. 10. lith. ed. I. 9.
Galan 12; SRB. p. 41. 59; SRK. p. 35. 7 (Bh.); Alamkāraratnākara 496.
Alarhkāravimarsini. 27. 191; SSD. 2. f 132b; JSV. 208.3.
 
*
 
ww
 
335 {N} Om. in A. — 0 ) B1E0. 1. 206 J1 Y1.3 T1.2 G6 भवेदुत्पल - ) Ya
विपत्सु ; Es [अ]पि; G2 तु ( for च ). B2 महाघोल; Est शिलाशैल-; F1.2 महाशैलं.
 
BIS. 6876 ( 3188 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 56. Haeb. 29. lith ed. I and III. 65,
II. 66, Galan 68; Subhash. 306; SR.B. p. 45. 27 ; SBH. 200 ( Bh. ) ; SRE. 168.9
(Śṛṇgāra); SRK. p. 18. 73 (Prasangaratnāvalī); SK. 2. 75; PT. 1. 27; SSD. 1.
f94; SMV. 28.14.
 
336 { V, Ś } Found in F3 V106; H I and W [ Also BUV4; NS3 $111
( 112, extra ) ].
 
BIS. 6893 (3194) Bhartr. ed. Bohl. and Kavyas. 1. 21. Haeb. 23. Paño, ed.
Koseg. I. 210 Prabodhacandrodaya 1. 27. Subhāsh. 144; SRB p. 350 69; SRK.
p. 114 10 (Bh.) ; SS 44.5; SM, 1392 ; SN, 257; SSV. 1377; JS, 394.