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१२६
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
वरं प्राणच्छेदः समदमघवन्मुक्तकुलिश-
प्रहारैरुद्गच्छद्गहनदहनोद्गारगुरुभिः ।
तुषाराद्रे: सूनोरह ह पितरि क्लेशविवशे
न चासौ संपातः पयसि पयसां पत्युरुचितः ॥ ३२१ ॥
वरं शृङ्गोत्तुङ्गाद् गुरुशिखरिणः कापि विषमे
पतित्वायं कायः कठिनदृषद्न्तर्विदलितः ।
वरं न्यस्तो हस्तः फणिपतिमुखे तीक्ष्णदशने
वरं वह्नौ पातस् तदपि न कृतः शीलविलयः ॥ ३२२ ॥
वर्णं सितं झटिति वीक्ष्य शिरोरुहाणां
स्थानं परं परिभवस्य तदेव पुंसाम् ।
321
{N} Om. in Y2, BORI 329, Ujjain 6414and NS2. — @ ) J3 Y4-4 T2.3
"
G2 - 5 M. 1. 2 प्राणत्यागः; W X Y1 पक्षच्छेदः; T1 M3 - 5 प्राणोच्छेदः (for प्राणच्छेदः). D th
समर- ( for समद ). A3 मघवन्मुक्ति; M1-3.5 मघवोन्मुक्त:
– 6 ) J1 G2 M4 उद्भच्छन्; G उद्गच्छद्भिर् BD E0 1 3 5 F2f
कुशिल - ( for कुलिश).
X Y1.44 T1.2m.v.3
G 1.5 M 2 बहुल; C_E2 F 4 5 H®W 1 - 3 Y3 G4 M1. 8 - 5 - बहल ; Ps -वदन-; J1 दहन; Ta
-गरळ - ( for -गहन - ). DF 2. 3 X Y1 रुधिरोद्वार; J3 दहनोदार- T2 (m.v. as in text)
गहनोद्गार; G1 M2- दहनोद्गारि- ( M3 गारि - ). Y 8 हतिभिः; G1 M18 रुचिभिः- () Jg
-तुषाराद्वि; We तुहिनाद्वे: J2 सानोर् (for सूनोर् ). Filacuna;' Jit. 2 वडवाशेष; Jic.s
वडवाश्लेष- (for पितरि क्लेश- ). – ( ) F3 संवास:; XIAt संयंता (for संपात: ). Fs Wst भर्तुर्
( for पत्युर् ). W½ यत्पुरचितः.
M2
W
BIS. 5972 (2744 ) Bhartr. ed. Bohl. 2. 29. Haeb 58 Fith ed. I and II. 36.
G&lan 39; SRB p. 215 11; SSD. 2. f. 54.
")
322 {N } Om. in W. – 4 ) A0- 2 शुंगे तुंगे; A3 शृंगे वासो; C J2.3 Y2 G2.80
शृंगात्तुंगाद; Do I Y8 शृंगोत्तंगाद्; F1.2.4XY17T1 2 G1 3 45 M1 - 3 शृंगोत्संगादू. Eo - 2.5
वर-; X Y1.4−8 G1–4M हिम- ( for गुरु- ). F½ - शिखरिणां ( for °रिणः ). D F1.2 J2.3 Y1
विषये. - 0 ) J3.3 पतत्वायं ; G1.2 M1 - 3 पतित्वाध: J2 - दुमदंतै; T1. 2 G6 - दृषदंते ( for
विषदन्तर्- ). B2 F3.6 I J Y7 T1. 2 G2 - 5 °विगलितः; M3 -निदलितः; Ms - विलिखितः.
F2 न्यस्तो हस्ते ; F3 हस्तो न्यस्तः (by transp. ). Ao.1 B2 Eo फणपति-; A2 फणमति.
-) C कुतः; F2 कृता; Y1 5 Gat वरः; T3 ततः ( for कृतः ). F2 शीलस्वविषयः;
4. 6 T3 M4.5
शीलविषमः.
BIS. 5954 ( 2731 )
323 { V, N } Om
Bhartr ed. Bohl. 2. 77. Haeb 86; SSV. 1343; JS. 375.
·
in B CE ( but E3 Vextra 6 ; E4 V115 [114, extra ] )
Fs H I M45 and Mysore 582. F1 V107 ; F2 N52, V107 ; F3. 4 N52; BORI 327
and Punjab 2101 V99; BORI328 V139 (132 ) ; RASB G7747 V111 (114);
Punjab 2885 V73 (74) ; Ujjain 6414 N51; NS2 V90 (89). – ") D F2 ( Niti ). 4
X श्वेतं पदं ; E+ Y3 वर्ण शितं; Fat.v. आरोहणं; Y० वर्णान्वितं. DF+m.v. X Y 1 शिरसि; Es
( Niti). 4 समभि-; J2 रुदति; Js Yy T३ झडिति; X 2. 3
J3 Yr T३ झडिति; Y2. 3 झटति; Y4.0 G2 3 जगति; W Gaom.
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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
वरं प्राणच्छेदः समदमघवन्मुक्तकुलिश-
प्रहारैरुद्गच्छद्गहनदहनोद्गारगुरुभिः ।
तुषाराद्रे: सूनोरह ह पितरि क्लेशविवशे
न चासौ संपातः पयसि पयसां पत्युरुचितः ॥ ३२१ ॥
वरं शृङ्गोत्तुङ्गाद् गुरुशिखरिणः कापि विषमे
पतित्वायं कायः कठिनदृषद्न्तर्विदलितः ।
वरं न्यस्तो हस्तः फणिपतिमुखे तीक्ष्णदशने
वरं वह्नौ पातस् तदपि न कृतः शीलविलयः ॥ ३२२ ॥
वर्णं सितं झटिति वीक्ष्य शिरोरुहाणां
स्थानं परं परिभवस्य तदेव पुंसाम् ।
321
{N} Om. in Y2, BORI 329, Ujjain 6414and NS2. — @ ) J3 Y4-4 T2.3
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G2 - 5 M. 1. 2 प्राणत्यागः; W X Y1 पक्षच्छेदः; T1 M3 - 5 प्राणोच्छेदः (for प्राणच्छेदः). D th
समर- ( for समद ). A3 मघवन्मुक्ति; M1-3.5 मघवोन्मुक्त:
– 6 ) J1 G2 M4 उद्भच्छन्; G उद्गच्छद्भिर् BD E0 1 3 5 F2f
कुशिल - ( for कुलिश).
X Y1.44 T1.2m.v.3
G 1.5 M 2 बहुल; C_E2 F 4 5 H®W 1 - 3 Y3 G4 M1. 8 - 5 - बहल ; Ps -वदन-; J1 दहन; Ta
-गरळ - ( for -गहन - ). DF 2. 3 X Y1 रुधिरोद्वार; J3 दहनोदार- T2 (m.v. as in text)
गहनोद्गार; G1 M2- दहनोद्गारि- ( M3 गारि - ). Y 8 हतिभिः; G1 M18 रुचिभिः- () Jg
-तुषाराद्वि; We तुहिनाद्वे: J2 सानोर् (for सूनोर् ). Filacuna;' Jit. 2 वडवाशेष; Jic.s
वडवाश्लेष- (for पितरि क्लेश- ). – ( ) F3 संवास:; XIAt संयंता (for संपात: ). Fs Wst भर्तुर्
( for पत्युर् ). W½ यत्पुरचितः.
M2
W
BIS. 5972 (2744 ) Bhartr. ed. Bohl. 2. 29. Haeb 58 Fith ed. I and II. 36.
G&lan 39; SRB p. 215 11; SSD. 2. f. 54.
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322 {N } Om. in W. – 4 ) A0- 2 शुंगे तुंगे; A3 शृंगे वासो; C J2.3 Y2 G2.80
शृंगात्तुंगाद; Do I Y8 शृंगोत्तंगाद्; F1.2.4XY17T1 2 G1 3 45 M1 - 3 शृंगोत्संगादू. Eo - 2.5
वर-; X Y1.4−8 G1–4M हिम- ( for गुरु- ). F½ - शिखरिणां ( for °रिणः ). D F1.2 J2.3 Y1
विषये. - 0 ) J3.3 पतत्वायं ; G1.2 M1 - 3 पतित्वाध: J2 - दुमदंतै; T1. 2 G6 - दृषदंते ( for
विषदन्तर्- ). B2 F3.6 I J Y7 T1. 2 G2 - 5 °विगलितः; M3 -निदलितः; Ms - विलिखितः.
F2 न्यस्तो हस्ते ; F3 हस्तो न्यस्तः (by transp. ). Ao.1 B2 Eo फणपति-; A2 फणमति.
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4. 6 T3 M4.5
शीलविषमः.
BIS. 5954 ( 2731 )
323 { V, N } Om
Bhartr ed. Bohl. 2. 77. Haeb 86; SSV. 1343; JS. 375.
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in B CE ( but E3 Vextra 6 ; E4 V115 [114, extra ] )
Fs H I M45 and Mysore 582. F1 V107 ; F2 N52, V107 ; F3. 4 N52; BORI 327
and Punjab 2101 V99; BORI328 V139 (132 ) ; RASB G7747 V111 (114);
Punjab 2885 V73 (74) ; Ujjain 6414 N51; NS2 V90 (89). – ") D F2 ( Niti ). 4
X श्वेतं पदं ; E+ Y3 वर्ण शितं; Fat.v. आरोहणं; Y० वर्णान्वितं. DF+m.v. X Y 1 शिरसि; Es
( Niti). 4 समभि-; J2 रुदति; Js Yy T३ झडिति; X 2. 3
J3 Yr T३ झडिति; Y2. 3 झटति; Y4.0 G2 3 जगति; W Gaom.