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संशयितश्लोकाः ।
भोगा भङ्गुरवृत्तयो बहुविधासू तैरेव चायं भवस्
तत् कस्यैव कृते परिभ्रमत रे लोकाः कृतं चेष्टितैः ।
आशापाशशतोपशान्तिविशदं चेतः समाधीयतां
कामोच्छित्तिवशे स्वधामनि यदि श्रद्धेयमस्मद्वचः ॥ २९२ ॥
भोगास् तुङ्गतरङ्गभङ्गचपलाः प्राणाः क्षणध्वंसिनः
स्तोकान्येव दिनानि यौवनसुखं प्रीतिः प्रियेष्वस्थिरा ।
292 {V} Om. in F1 NS1.2, and BU114/7. " ) F2 बहुविधैस्; Wat.at
[5]
पि बहुधा (for बहुविधास् ). Ba lacuna from चायं up to शतोप in third pāda.
W3 -विधस्; X G2. 3 भवो; Y+ -6 भ्रमस्; M. 1
Ms हितः.
हतस्;
second păda is missing and third päda is given twice.
In Ms, the whole
4 ) B1 CD F5 H I J2.3
·
Wat X Y1. 2.8 T G4.5 तत्कस्येह; Es Ji Mi तत्कस्येव ; F2 सक्तस्येह; F3 तस्यैवेह; W1c. 2.30, 40
तत्कस्मै ह; Wat तत्कस्मै हि; Y+ -6 सत्तस्यैव; G2.3 यत्तत्कस्य ; G1 Me चक्रस्येव ( for तत् कस्यैव ).
F2 परिभ्रमलते; W1.2.3c X Y1.2 G2-4 परिभ्रमत हे; Wat परिमज हे; Ga परिभ्रमतटे; M1
परिभ्रमथरे ; M2 परिभ्रमतदे; M+ वरभ्रततरो ( for परिभ्रमत रे ). F2 T3 M. 4 लोकः; F3 J1
लोका; Y: G1 M2.3 लोकै:. 31 सुखं तिष्ठत; W1-3 X Y7 G1. 3. 4tv. M2.3 कृतं चेष्टितं.
c) Y1 -हतोप J 'शांतविश (J1 ष) दं; W3 शांतिविषदं; Yr Ma( second time )
'शांतिविवशं; Ms ( first time ) शांतिविवरं. Y: समाधीयते. d ) A कामोच्छित्तिविधौ; C
तापोच्छित्तिवशे; D F3 Ie J W‡t Y2 ( orig. ).5.6 G1.3 M1.2.4 कामोन्पत्तिवशे; Fa
कामापत्तिवशे; F5 Y1 Mo कामोत्पत्तिवशं; W1.2.3t.te G+ काम्योत्पत्तिवशे; W3e कामोत्प
F
.
त्तिवशी; X काम्योत्पत्तिविश; Y: ( by corr. ) 3 G2 कामोत्पत्त्यवशे ( Y3 (श - ) ; Y4.7.8 TG5
कामोत्पत्तिवशात्; M3 गम्योत्पत्ति * *.
Fs स्वधाम्नि च यदि; X स्वधामनियतं. G+ अस्मद्वशः.
F3
B क्वाप्यात्यंतिकसौख्यधामनि यदि श्रद्धेयमस्मद्वचः.
1
११५
F
BIS. 4632 (2071) Bhartṛ. ed. Bohl. 3. 40. Haeb. and Galan 36. lith. ed. I.
37, II. 90 ; SRK. p. 93. 8 ( Bh. ) ; SSD. 4. f. 18a.
X1
293 { V } Om. in A E ( but Es V115, extra ), BORI 326, NS1. 3, BU114/7,
and Harilal's lith, ed. Benares 1860. 2 ) B C चंचलतरा:; F+ -लोलचपल-;
a -
J1
-भंगचपल-; Y1. 3-4 TGM - भंग ( G± om. hapl. भंग ) तरला: B1 Y क्षिणध्वंसिनः;
W+ क्षणं
ध्वंसिनः – 6 ) D सुखा प्रीतिः; Fs मुखं प्रीतिः; J Go 'सुखप्रीतिः; W Y+-8 TG1 M
W_Y4−4 M
'सुखस्फूर्तिः; X 1 'सुखं मिथ्यं; X 2 सुखां मित्थं; G+ सुखं सूक्ति- (for सुखं प्रीतिः ). F1 प्रियेव
स्थिरा; F+ नते सुस्थिरा; J Gs प्रियेषु स्थिता. ( Ji ताः ) ; Y1.3.0.7T G4 M1.5 प्रियासु स्थिता
(Ms 'रा); W ( Wa doubtful) क्रियासु स्थिता (W4 °वा: ); X प्रियासु स्थितं; Y4.5 सुखा
सुस्थिता; Y8 प्रिया नस्थिरा; G1 तथा सुस्थिता; G2.3 स्थिता वस्तुषु; M2 तथा सुस्थिता; M3
प्रियाय स्थिरा; M4 प्रियास्वस्थिरा ( for प्रियेष्वस्थिरा). [ The original reading may have
been प्रिये अस्थिरा].
C subst. the second half of 198* for ot
") D एवममर्ल;
F+6 G1 M1 - 1 एवमखिलं; Y3 एतदखिलं. Hit. 2. 3t मत्वा; J1 W1.2.4 बुद्धा; X 2 Y 4 बुद्ध्या
( for बुवा ). DE5s M1. बुधान्; G+ बुधैर्; M2 बुधो BF H यौवने; DE5 F1-8 I J
Ys G2. 3 M1 बोधये; Fs बोधने; Y7 G1.4 M2 बोधको; Go बोधितो; M3 जंतवो ( for
बोधका ). – ( ) X 2 लोकानिग्रह; X 3 कालानुग्रह. Y: वरसा (sic ) ( for मनसा ).
d
भोगा भङ्गुरवृत्तयो बहुविधासू तैरेव चायं भवस्
तत् कस्यैव कृते परिभ्रमत रे लोकाः कृतं चेष्टितैः ।
आशापाशशतोपशान्तिविशदं चेतः समाधीयतां
कामोच्छित्तिवशे स्वधामनि यदि श्रद्धेयमस्मद्वचः ॥ २९२ ॥
भोगास् तुङ्गतरङ्गभङ्गचपलाः प्राणाः क्षणध्वंसिनः
स्तोकान्येव दिनानि यौवनसुखं प्रीतिः प्रियेष्वस्थिरा ।
292 {V} Om. in F1 NS1.2, and BU114/7. " ) F2 बहुविधैस्; Wat.at
[5]
पि बहुधा (for बहुविधास् ). Ba lacuna from चायं up to शतोप in third pāda.
W3 -विधस्; X G2. 3 भवो; Y+ -6 भ्रमस्; M. 1
Ms हितः.
हतस्;
second păda is missing and third päda is given twice.
In Ms, the whole
4 ) B1 CD F5 H I J2.3
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Wat X Y1. 2.8 T G4.5 तत्कस्येह; Es Ji Mi तत्कस्येव ; F2 सक्तस्येह; F3 तस्यैवेह; W1c. 2.30, 40
तत्कस्मै ह; Wat तत्कस्मै हि; Y+ -6 सत्तस्यैव; G2.3 यत्तत्कस्य ; G1 Me चक्रस्येव ( for तत् कस्यैव ).
F2 परिभ्रमलते; W1.2.3c X Y1.2 G2-4 परिभ्रमत हे; Wat परिमज हे; Ga परिभ्रमतटे; M1
परिभ्रमथरे ; M2 परिभ्रमतदे; M+ वरभ्रततरो ( for परिभ्रमत रे ). F2 T3 M. 4 लोकः; F3 J1
लोका; Y: G1 M2.3 लोकै:. 31 सुखं तिष्ठत; W1-3 X Y7 G1. 3. 4tv. M2.3 कृतं चेष्टितं.
c) Y1 -हतोप J 'शांतविश (J1 ष) दं; W3 शांतिविषदं; Yr Ma( second time )
'शांतिविवशं; Ms ( first time ) शांतिविवरं. Y: समाधीयते. d ) A कामोच्छित्तिविधौ; C
तापोच्छित्तिवशे; D F3 Ie J W‡t Y2 ( orig. ).5.6 G1.3 M1.2.4 कामोन्पत्तिवशे; Fa
कामापत्तिवशे; F5 Y1 Mo कामोत्पत्तिवशं; W1.2.3t.te G+ काम्योत्पत्तिवशे; W3e कामोत्प
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त्तिवशी; X काम्योत्पत्तिविश; Y: ( by corr. ) 3 G2 कामोत्पत्त्यवशे ( Y3 (श - ) ; Y4.7.8 TG5
कामोत्पत्तिवशात्; M3 गम्योत्पत्ति * *.
Fs स्वधाम्नि च यदि; X स्वधामनियतं. G+ अस्मद्वशः.
F3
B क्वाप्यात्यंतिकसौख्यधामनि यदि श्रद्धेयमस्मद्वचः.
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BIS. 4632 (2071) Bhartṛ. ed. Bohl. 3. 40. Haeb. and Galan 36. lith. ed. I.
37, II. 90 ; SRK. p. 93. 8 ( Bh. ) ; SSD. 4. f. 18a.
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and Harilal's lith, ed. Benares 1860. 2 ) B C चंचलतरा:; F+ -लोलचपल-;
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J1
-भंगचपल-; Y1. 3-4 TGM - भंग ( G± om. hapl. भंग ) तरला: B1 Y क्षिणध्वंसिनः;
W+ क्षणं
ध्वंसिनः – 6 ) D सुखा प्रीतिः; Fs मुखं प्रीतिः; J Go 'सुखप्रीतिः; W Y+-8 TG1 M
W_Y4−4 M
'सुखस्फूर्तिः; X 1 'सुखं मिथ्यं; X 2 सुखां मित्थं; G+ सुखं सूक्ति- (for सुखं प्रीतिः ). F1 प्रियेव
स्थिरा; F+ नते सुस्थिरा; J Gs प्रियेषु स्थिता. ( Ji ताः ) ; Y1.3.0.7T G4 M1.5 प्रियासु स्थिता
(Ms 'रा); W ( Wa doubtful) क्रियासु स्थिता (W4 °वा: ); X प्रियासु स्थितं; Y4.5 सुखा
सुस्थिता; Y8 प्रिया नस्थिरा; G1 तथा सुस्थिता; G2.3 स्थिता वस्तुषु; M2 तथा सुस्थिता; M3
प्रियाय स्थिरा; M4 प्रियास्वस्थिरा ( for प्रियेष्वस्थिरा). [ The original reading may have
been प्रिये अस्थिरा].
C subst. the second half of 198* for ot
") D एवममर्ल;
F+6 G1 M1 - 1 एवमखिलं; Y3 एतदखिलं. Hit. 2. 3t मत्वा; J1 W1.2.4 बुद्धा; X 2 Y 4 बुद्ध्या
( for बुवा ). DE5s M1. बुधान्; G+ बुधैर्; M2 बुधो BF H यौवने; DE5 F1-8 I J
Ys G2. 3 M1 बोधये; Fs बोधने; Y7 G1.4 M2 बोधको; Go बोधितो; M3 जंतवो ( for
बोधका ). – ( ) X 2 लोकानिग्रह; X 3 कालानुग्रह. Y: वरसा (sic ) ( for मनसा ).
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