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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
रथ्याक्षीणविशीर्णजीर्णवसनैः संप्राप्तकन्थासखो
निर्मानो निरहंकृतिः शमसुखाभोगैकबद्धस्पृहः ॥ २८९ ॥
 
११४
 
भिक्षाहारमदैन्यमप्रतिसुखं भीतिच्छिदं सर्वदा
दुर्मात्सर्यमदाभिमानमथनं दुःखौघविध्वंसनम् ।
 
सर्वत्रान्वहमप्रयत्नसुलभं साधुप्रियं पावनं
 
शंभो: सत्रमवार्य मक्षयनिधिं शंसन्ति योगीश्वराः ॥ २९० ॥
 

 
भू: पर्यङ्को निजभुजलता कन्दुकं खं वितानं
 
दीपश् चन्द्रः सुमतिवनितालब्धसङ्गप्रमोदः ।
 
दिक्कान्ताभिः पवनचमरैर्वीज्यमानः समन्ताद्
 
भिक्षुः शेते नृप इव भुवि व्यक्त सर्वस्पृहोऽपि ॥ २९१ ॥
 
H
 
-विजीर्ण- (for -विशीर्ण- ). D वस्त्र - ; F3.3.5 J (G2.3 - चीर-; H -कीर्ण- ( for -जीर्ण-). F2 J
Y1.4–6.4 T1.2 G1–+ M2.16 - वसनः; H वसन; T3 वसनं संस्यूत-; D संप्रार्थ;
- C
-प्रान्तोत्थ- (for संप्राप्त - ). Bat.v. CF2. 3. 1t. v. कंथाधरो; 1 + Hst कंथासखे; Fs कंथाधनो;
J X Y (Y7 missing ) T G M -कंथासनो ( for - कन्थासखो). -- 4 ) F2 निर्मायो; M3 निर्मानी
( for निर्मानो ). Js निरहंकृत: C शमसुधा; F2 समसुखो; Eot J Y3 M3 शमसुखो; F4
समसुखा;
शमसुखे. F2 Ms - योगेकबद्धस्पृहः; X भोगेकदत; G1 M1245 भोगेक
लब्ध; G2t - भोगैरबद्ध
 
C
 
Y3
 
BIS. 4585 (2045 ) Bhartr ed. Bohl. 3.95. Haeb. 90. Galan. 89; SSD. 4.
f. 26a.
 
290 { V } Om. generally in N.
V29 ; Punjab 2885 V29 ; NS3 V27 ].
 
Found in S [ Also ISM Kalamkar195
") W अप्रतिहतं. W X 1 भीतिच्छदं; G1 M1 - 8
तापच्छिदं. Y6. T M 1.5 सर्वतो ( for सर्वदा ). - ० ) X 2 दुर्माच्छर्य Y+5.7 दमनं; Ga
M1. 2 शमनं ( for 'मथनं ). (G1 M1. 2 दुःखेषु ( for दुःखौध- ). X 7 विध्वंसिनं; Ys Ga Ma 25
५) Y3 सर्वत्र क्रमता प्रयत्न.
 
विध्वंसकं.
 
X भावनं ( for पावनं ).
 
BIS. 4586 (2046) Bhartr ed. Bobl. 3. 31. Haeb and Galan 27. lith, ed.
I. 28. Śatakāv. 98; SRB p. 370.101; SRK. p. 78.7 ( Bh. ).
 
291 { V } A paraphrase of महीशय्या शय्या. Found in W (V86 ) ; &lso F3.5
V75; BVB2 V73 [ Also Jodhpurl V69; BU V80.] - 2 ) BVB2 भूमिः शय्या ( for
भूः पर्यको ). F3 गलकं; Fo गेंदुक: ; BVB2 गंडुकं ( for कन्दुकं ). - 4 ) Fs विरति ( for
F5
-
सुमति - ) Fs - संगलब्धप्रबोध:; W2. 4 -लब्धसंगः प्रमोदः . - ● ) F3.5 BVB2 दिक्कन्याभिः and
वीज्यमानोनुकूलं. – ) BVB2 सुखं ( for भुवि ). F3 BVB 2 त्यक्तसर्वेषणोपि.
 
BIS. 4601 (2054 ) Bhartr ed. Bohl. 3. 93. Haeb. 16. lith ed. I. 89, III. 87.
Galan 90. Subhash. 146; Sp. 4097; SRB. p. 369 60; SHV. f. 76 855 ( Bh, );
SS. 36.9; SU. 1008 ; SM. 905; SSD 4. f. 256; SSV. 886.
 
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