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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
ब्रह्मा येन कुलालवन् नियमितो ब्रह्माण्डभाण्डोदरे
विष्णुर्येन दशावतारगहने क्षिप्तो महासंकटे ।
रुद्रो येन कपालपाणिपुट के भिक्षाटनं कारितः
 
सूर्यो भ्राम्यति नित्यमेव गगने तस्मै नमः कर्मणे ॥ २८५ ॥
ब्रह्मेन्द्रादिमरुद्गणांसू तृणगणान् यत्र स्थितो मन्यते
यत्स्वादाद् विरसा भवन्ति विभवासू त्रैलोक्यराज्यादयः ।
बोधः कोऽपि स एक एव परमो नित्योदितो जम्भते
 
भो साधो क्षणभङ्गुरे तदितरे भोगे रतिं मा कृथाः ॥ २८६ ॥
भवन्तो वेदान्तप्रणिहितधियामत्र गुरवो
विदग्धालापानां वयमपि कवीनामनुचराः
 
Bls. 4196 ( 1993 ) Bharly. ed. Bohl. 3. 91. Hao
76; Śp. 263 (Bh. ); SRB. p. 798 (B.); SBH. 499
ST. 43. 22 (Bh); SK. 7. 22,
 
and Galan 87 lith ed. 11.
(Bh.); SKM. 7. 1 (Bh.);
 
11le He W2. 3 सदा; It
पाणिरनिशं; Get
J1.3 Y2.4–6_'T_G4
d) Eat भ्रामति;
 
285 {N } Om. in X.
महा ).
 
तथा ( for
 
" ) Ws - गहन- (ior - गहने ).
( ) X 1शंभुर ( for रुद्रो). 1 पाणिपिटके;
भिक्षाटने; J1.2M+ भिक्षाश ( J2 (स ) नं; 12 भिक्षाटणं.
M 4, 5 सेवते; J2 Y: सेवित:; Gity. कुर्वते; Get कार्यतः (for कारित:).
Ms भ्रम्यति
 
"पात्रपुटके.
 
यहशेन ( for नित्यमेव ). Xo. 7 गहने ( for गगने ).
 
BIS. 4197 (1994 ) Bhartr ed. Bohl. and lith ed. I. 2. 93. Haeb. 38. Galan
97. lith. ed. II. 95, III. 1. Astarataua 4 in Hach. p. 8. Vikramacarita 261; Sp.
435 (Bh.); SRE. p. 93. 98 ( Bh. ) ; SBIH. 3102; SRK. p. 76. 1 (Śp.) ;
Garulamahapurana 113 15; 85. 46. 7 ; SL f 39&; SN. 799; SSD. 4. f. 5&; SSV.
298 ; JSV. 262. 2.
 
286 { V । Ci. 254 Genorally om. in N, iound in S [ Also NS3 V30; Punjab
2883 V39; 1SM Kajamkar 195 V37 ] — ") X G
") X G°लवान्; Y०.३ समान्; Y 1 - 6.8
TG2.3 M. 3हणानू; Y: 'कृतान् (for 'गणान् ). XIY मन्यसे. – ' ) W
- 3.
Y:
) W यच्छापादू;
 
X
 
2
 
ये साक्षात्; Y० यत्स्वादौ; योगा; Y यत्स्वारा; यत्सांक्षात् (for यत्स्वादादू ). x
Y:
G)
करुणोद्; IT विरसी-; G+ -करणाद् (for विरसा). Xi वितथा; X 2 वितपा; G+ विरसास् (for
विभवास).
 
c ) W बोधे; Y TG2.35 M12.45 भोगः ( for बोध: ). Y3 एष ( for एक ).
– d) Y1 G1 M12 हे ( for भो ). Y1 वृत्तिं वृथा; G1 M1. 2 भोगे मातें; Mo भोगे शयी ( for
भोगे रतिं ). Y2 मा कृधाः.
 
BIS. 4498 (1995) Bhartr. ed. Bohl. 3. 41. Ilaeb. and Galan 37. lith, ed. I.
38, II. 73; SSD. 4. f. 17).
 
287* { } This may be genuine. Cf. अमाराः सन्त्वेते and discussion in
Introduction. Om. in Fs II I J X Y, ISM Kalankar 195, Ujjain 6414, and
Wai2. NS3 Ś101 (105, extra ), Fs order club. 4) B1 वेदांते. A2 D Eo
प्रणहित - B1 धिया (for धियाम् ). FW आप्त- (for भत्र ). F1.4 मुखरा ( for गुरवो).