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संशयितश्लोकाः ।
 
प्रकृतिसुभगा विस्रम्भाः स्मरोदयदायिनो
 
रहसि किमपि खैरालापा हरन्ति मृगीदृशाम् ॥ २७३ ॥
प्रथितः प्रणयवतीनां तावत् पदमातनोतु हृदि मानः ।
भवति न यावच् चन्दनतरुसुरभिर्मलयपवमानः ॥ २७४ ॥
प्रदानं प्रच्छन्नं गृहमुपगते संभ्रमविधिः
 
प्रियं कृत्वा मौनं सदसि कथनं चाप्युपकृतेः ।
 
१०७
 
Gi
 
Y4.0 T रसाश्रयतां गताः ; Y7 रसाश्च यथा तथा; Xs रसोदय निर्भरा; G1 रसाई यथा तथा;
(3 रसैः कृतनिर्भरा; (रसाइयो यथा; रसाश्रयतां तथा; M. रसोदयघातवो; Ms रसाईतया
M:
तथा (for रसाइलसास् तथा ). – 6 ) A B C E ( except Fot; Es missing ) 1 F3 XX1
भगित - ; Eot W2-1 भगति - ; P1.9 रणित-; Jit प्राणिति; Jie G2 प्रणित-; W1 Y:2 G+ प्रणति - ;
Y 1 - 7 T2.3 फणिति-; 'I' 1 पणिति- ( for भणिति ). B14 चतुग; Ms -मधुना ( for -मधुरा ).
C मुग्धाः प्रायः; a
A X 2 +
 
Fa Jit Yr Q3 मुग्धा ( (3 ग्धाः ) प्राया: B Hic. 30 प्रकासित
 
G2.3 -मन्मथा:;
 
Yt - नर्मदाः; W -प्रमा: (Witमुदा:);
 
°मुदाः); G11 M2.8 संमता: ( for -संमदाः).
- c ) F3 -सुलभा; Jit शुभगा; Get -स्वभगा.
A X7 विश्रंभार्या:; BE It विभा:; Ba
विख्यातार्थाः; विसंभावर्थाः; F विश्वंभायाः (t.v. विसंभाया: ); 14 विश्रब्धार्थाः; 10 विधं-
भार्द्राः; II विश्रभार्थाः (Hit: विष्टं ); Lic... v. Ic -[ आ ] विर्भूतार्था:; J4 विसंभाई-; Ja
1
Y2. 4–6, 4 'T G_M1-3 विघं ( 12 'श्रं ) भा; 13 विश्वंभा: (for विखम्भा :). यायिनो
C
( for दायिनो ). 4 ) Ms हरसि ( for रहसि ). B1 न खलु; Y1 M3 कमपि ( for किमपि ).
A B2 Ie Ji (gloss) स्वेच्छालापा; B1 कंठालापा; He Y100 स्मेरालापा; W स्वैरालापान्.
Ye
C हरंत; रचंति; X7 दर्हति; G+ जयंति (for हरन्ति ). IH W2-1 मृगद्दशां; Jit Ms मृगीदृशः.
BIS. 4218 (1836 ) Bhartr. cd. Bohl. and lith ed. III. 1. 30 lith ed. II. 56,
Satakāv. 65; SLP. 4.98 ( Bh. ) .
 

 
274 {Ś} Om. in CJs, Wai 2, Ujjain 6414, Nagpur 1087, BORI 326. ed
missing in Fs. * ) D प्रश्रय-; Eot.atI X7 13 प्रथित-; at प्रायः; F2 प्रथिताः; Is X प्रयतः;
F½ प्रथयति; J2 पतितः; Yo दयित: ; M० प्रथितं ( for प्रथितः ). (( 1 प्रणयवनितानां Baks
W प्रियपुरतो ( B2 'पुरुषो ) युवतीनां; II प्रिये प्रणय कुपितानां - 4) F1.3 तां तां (for तावत् ).
A3 B E3t F‡ (by corr. ) Hit. 2.3t X X 1.3 पदमातनोति; F1.3 मुदमातनोतु; M1.5 स्थानं
तनोति (for पदमातनोतु ). Ms मानं ( for मानः ). (c ) E5 न भवति; Y3 वहति न ( for
भवति न ). M3 स्त्रीणां ( for चन्दन - ). X यावद्भवति न चंपा. - 4 ) M3 चंदनतरु ( for तरु-).
(
-
Fot - सुरति -; F2 W1G1 M3 - सुरभि Eot -निर्मलयपवमानः; 2 G1-मलयपवनः; 2 मल्यपवनः.
W1 - मधुरनिर्मलः पवनाः; W2-1 मधुनिर्मल: पवन: ( W com. यावन्मलयानिलो न भवति ).
 
C
 
a
 
E
 
BIS. 4347 (1916 ) Bhartr. ed. Bohl. 1. 32. lith ed. II. 91. Satakav.
65; SLP.5.24 (Bh.).
 
275 { N } Om. in X Y7. A later addition on a new fol. in Adyar XXIX-
E-2. J3 Ya order acbd. " ) ELo प्रधानं; J1 प्रसादं ( gloss = प्रसन्नत्ववु ).
a
 
Y1A
 

 
गृहमपगते. 4 ) J3 कदनं. C F‡ W ( W1 doubtful ) G1 M3 न ( for च ). F2 [अ]
प्यपकृतेः; J1.8 [अ] ]प्युपकृते; X० [अ] भ्युपगतेः - ( ) B1 अनुत्स्थेको; E3 F+ अनुस्सेका;
Esc अनुच्छेदो; I Y1 अनुच्छेको; Y: निरुत्सेको; G1 Ms. 3 अनुद्वेगो 4 लक्ष्मीभिरनुभवसाराः;
D लक्ष्म्या निरभिभवसागरा:; E2 F4 लक्ष्मानि( F+ °नि) रभिभवनीयाः; Eat लक्ष्मणविभवसाराः;
E30 लक्ष्म्या निरभिभवनीयाः; F3
I 3 लक्ष्म्या अतिविभव ; Fs It लक्ष्म्यां ( FEs °क्ष्म्याः) चिरविभव-
सारा: ( It रा. ); Io लक्ष्म्या न रतिभवसारा; Ja Ys T13 G5 M15 लक्ष्म्यां निरभिभवसाराः;
 
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