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संशयितश्लोकाः ।
पाणि पात्रयतां निसर्गशुचिना भैक्षेण संतुष्यतां
यत्र कापि निषीदतां बहुतृणं विश्वं मुहुः पश्यताम् ।
अत्यागेऽपि तनोरखण्डपरमानन्दावबोधस्पृशाम्
अध्वा कोऽपि शिवप्रसादसुलभः संपत्स्यते योगिनाम् ॥ २६८ ॥
पाणिः पात्रं पवित्रं भ्रमणपरिगतं मैक्ष्यमक्षय्यमन्नं
विस्तीर्ण वस्त्रमाश।दशकमपमलं तल्पमस्वल्पमुवीं ।
येषां निःसङ्गताङ्गीकरणपरिणतिः स्वात्मसंतोषिणसू ते
धन्याः संन्यस्तदैन्यव्यतिकरनिकराः कर्म निर्मूलयन्ति ॥ २६९ ॥
पातितोऽपि कराघातैरुत्पतत्येव कन्दुकः ।
प्रायेण साधुवृत्तानामस्थायिन्यो विपत्तयः ॥ २७० ॥
१०५
268
{ V } Found only in S (missing in Y7 ) [ Also Punjab 2885 V89 (90).]
Gst पाणिः; M5 पाणी. Y2. 3 शुचिनां.
6 ) X 1 निषादतां ; Y: निषेचतां.
a) X
c ) X 1 आत्यागेपि; Y3 आयोगेपि.
- स्पृहां ( G6 °हा ) ; T3 - स्पृशो. - 4 ) W मर्त्यः; XI
a
Wat.et Xa Y1 - 3 12.3G 1.2 भैक्ष्येण.
W X 2-5 (43.5
लब्ध्वा; Xa लब्धा; Y । मध्ये ; Y3 G2. 3.5
[T] महा::
मत्वा;
Get संपद्यते ..
G1 अद्वा. W1 °सुलभां; W2-1 (1.2t सुलभाः; X सुलभे. X संपत्सते;
B19 2021 (1754) Bhartr. ed, Bohl. 3. 91. Haeb 52. lith ed. I. 43. Galan
85 ; SDK. 5. 67.1 (p. 321, Nagnacārya); SSD 4. f. 25b.
269 { V } Om. in I J Wand Harilal's lith, ed. Missing in Y7.
M3 भ्रमणपतगुता.
a ) Xa
पाणे:.
B2 D Ko. 24t F3 4 X1 Y1, 4–6. 9 T CG 3. 1 M भैक्षम्; Hot लब्ध-
( for भैक्ष्यम् ). Hॐ भैषय्यम्; X 1 अप्येक्षम् ( for अक्षय्यम् ).
M3 अंग (for अन्नं ). – 1)
;
Y?
A दशकमविकलं; F2 [उ ]दकमपि विमलं; X दशकमपतुलं; Y. T1G4 दशकमचपलं; T2.3
-
'दशकमपरुषं; G० - धवलमपमलं; M4.5 दशकमलमलं. Y 3 तव्यम् ( for तल्पम् ).
आकल्पमुर्वी; M: अल्पं स्वमुर्वी. - ") X Yin T3 Ma एपां; Ys योषा - ( for येषां ). Xi
निःसंगिता (for निःसङ्गता - ). 12 [अं]तःकरणपरिणतिः 13. [ अं]गीकरणपरिणति-; X
+ [
-[ अं]गीकरणपरिणता ( X ३ तान् ) : X14 - 6.8 T G M1 - 3 -[अं [गीकरणपरिणत- ( T2.3 G1. 2
apier
°तः); Y2 [अं ]गीकरणपरिगत; M+5 -[ आलिंगनसुखमतुलं.
B Fm.v. H X2 Y1-0 T G
M स्वांत- ( for स्वात्म-). – 4) B 'निरताः (Bat.v. as in text ). Y3 कर्ममन्मूलयंति; 12
B
कर्म निर्मूलयंतः; T3 कर्म निर्मूलयंती; M3 कर्ममुन्मूलयंति.
BIS. 4019 (1753 ) Bhartr. Galan 3 84. Nitisaink. 83. Santis. 4.7; SRB
p. 371 113; SSD. 4. f. 25a.
270 { V } Cf. 276. Ow. in X Y T GM ( but Ys N IX - 4 ) and Harilal's
lith. ed. - © ) Ja Wi पतितोपि. B1 पराघातैर. - ) 31 हत्यनत्येव; ० उत्पतत्यैव; Wa
8 Es
(by corr: ) उत्पतत्रैव. W2 कंटुक: - () D साधुवृत्तीनां; Eat F1 - + H11. 2. 8t हि सुवृत्तानाम्.
a) C Eot F5 J1 W 4 आस्थायिन्यो. CI विभूतयः.
BIS. 3886 (1685 ) Bhartr. ed. Bobl. 2. 83. Haeb. 26. lith ed. I and Galan
84. Subhash 195; Sp. 486; SRB p. 45 30; SBH 222; SA. 24. 117 ; SHV app.
१४ भ. सु.
पाणि पात्रयतां निसर्गशुचिना भैक्षेण संतुष्यतां
यत्र कापि निषीदतां बहुतृणं विश्वं मुहुः पश्यताम् ।
अत्यागेऽपि तनोरखण्डपरमानन्दावबोधस्पृशाम्
अध्वा कोऽपि शिवप्रसादसुलभः संपत्स्यते योगिनाम् ॥ २६८ ॥
पाणिः पात्रं पवित्रं भ्रमणपरिगतं मैक्ष्यमक्षय्यमन्नं
विस्तीर्ण वस्त्रमाश।दशकमपमलं तल्पमस्वल्पमुवीं ।
येषां निःसङ्गताङ्गीकरणपरिणतिः स्वात्मसंतोषिणसू ते
धन्याः संन्यस्तदैन्यव्यतिकरनिकराः कर्म निर्मूलयन्ति ॥ २६९ ॥
पातितोऽपि कराघातैरुत्पतत्येव कन्दुकः ।
प्रायेण साधुवृत्तानामस्थायिन्यो विपत्तयः ॥ २७० ॥
१०५
268
{ V } Found only in S (missing in Y7 ) [ Also Punjab 2885 V89 (90).]
Gst पाणिः; M5 पाणी. Y2. 3 शुचिनां.
6 ) X 1 निषादतां ; Y: निषेचतां.
a) X
c ) X 1 आत्यागेपि; Y3 आयोगेपि.
- स्पृहां ( G6 °हा ) ; T3 - स्पृशो. - 4 ) W मर्त्यः; XI
a
Wat.et Xa Y1 - 3 12.3G 1.2 भैक्ष्येण.
W X 2-5 (43.5
लब्ध्वा; Xa लब्धा; Y । मध्ये ; Y3 G2. 3.5
[T] महा::
मत्वा;
Get संपद्यते ..
G1 अद्वा. W1 °सुलभां; W2-1 (1.2t सुलभाः; X सुलभे. X संपत्सते;
B19 2021 (1754) Bhartr. ed, Bohl. 3. 91. Haeb 52. lith ed. I. 43. Galan
85 ; SDK. 5. 67.1 (p. 321, Nagnacārya); SSD 4. f. 25b.
269 { V } Om. in I J Wand Harilal's lith, ed. Missing in Y7.
M3 भ्रमणपतगुता.
a ) Xa
पाणे:.
B2 D Ko. 24t F3 4 X1 Y1, 4–6. 9 T CG 3. 1 M भैक्षम्; Hot लब्ध-
( for भैक्ष्यम् ). Hॐ भैषय्यम्; X 1 अप्येक्षम् ( for अक्षय्यम् ).
M3 अंग (for अन्नं ). – 1)
;
Y?
A दशकमविकलं; F2 [उ ]दकमपि विमलं; X दशकमपतुलं; Y. T1G4 दशकमचपलं; T2.3
-
'दशकमपरुषं; G० - धवलमपमलं; M4.5 दशकमलमलं. Y 3 तव्यम् ( for तल्पम् ).
आकल्पमुर्वी; M: अल्पं स्वमुर्वी. - ") X Yin T3 Ma एपां; Ys योषा - ( for येषां ). Xi
निःसंगिता (for निःसङ्गता - ). 12 [अं]तःकरणपरिणतिः 13. [ अं]गीकरणपरिणति-; X
+ [
-[ अं]गीकरणपरिणता ( X ३ तान् ) : X14 - 6.8 T G M1 - 3 -[अं [गीकरणपरिणत- ( T2.3 G1. 2
apier
°तः); Y2 [अं ]गीकरणपरिगत; M+5 -[ आलिंगनसुखमतुलं.
B Fm.v. H X2 Y1-0 T G
M स्वांत- ( for स्वात्म-). – 4) B 'निरताः (Bat.v. as in text ). Y3 कर्ममन्मूलयंति; 12
B
कर्म निर्मूलयंतः; T3 कर्म निर्मूलयंती; M3 कर्ममुन्मूलयंति.
BIS. 4019 (1753 ) Bhartr. Galan 3 84. Nitisaink. 83. Santis. 4.7; SRB
p. 371 113; SSD. 4. f. 25a.
270 { V } Cf. 276. Ow. in X Y T GM ( but Ys N IX - 4 ) and Harilal's
lith. ed. - © ) Ja Wi पतितोपि. B1 पराघातैर. - ) 31 हत्यनत्येव; ० उत्पतत्यैव; Wa
8 Es
(by corr: ) उत्पतत्रैव. W2 कंटुक: - () D साधुवृत्तीनां; Eat F1 - + H11. 2. 8t हि सुवृत्तानाम्.
a) C Eot F5 J1 W 4 आस्थायिन्यो. CI विभूतयः.
BIS. 3886 (1685 ) Bhartr. ed. Bobl. 2. 83. Haeb. 26. lith ed. I and Galan
84. Subhash 195; Sp. 486; SRB p. 45 30; SBH 222; SA. 24. 117 ; SHV app.
१४ भ. सु.