This page has not been fully proofread.

भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
चित्तं पुष्करपत्रतोयतरलं विद्वद्विराशङ्कितं
 
नारी नाम विषाङ्कुरैरिव लता दोषैः समं वर्षिता ॥ २५९ ॥
दूरादर्थं घटयति नवं दूरतश् चापशब्द
 
त्यक्त्वा भूयो भवति निरतः सत्कथापादनेषु ।
मन्दं मन्दं रचयति पदं लोकचित्तानुवृत्त्या
 
कामं मन्त्री कविरिव सदा खेदभारैरमुक्तः ॥ २६० ॥
दैवेन प्रभुणा स्वयं जगति यद् यस्य प्रमाणीकृतं
 
तत् तस्योपनयेन् मनागपि महान् नैवाश्रयः कारणम् ।
सर्वाशापरिपूरके जलधरे वर्ष त्यपि प्रत्यहं
 
सूक्ष्मा एव पतन्ति चातकमुखे द्वित्राः पयोबिन्दवः ॥२६१॥
धिक् तस्य मन्दमनसः कुकवेः कवित्वं
 
यः स्त्रीमुखं च शशिनं च समीकरोति ।
 
१०२
 
Eo. 2. 4.0 चपलं ( for तरलं ). BCEF 11 आशंसितं ( C 'शंसिता; E2 शंशितं;
C
'संशितं ). – d ) Js विषलतां and वर्धितां F1.2 नारी नाम नरस्य मोहनलता स्वर्गाप्रमार्गार्गला.
BIS. 75 (21) Bhartr ed. Bohl. oxtra 15. Haeb. 250; SRB. p. 350. 76;
SN. 269.
 

 
E3
 
Bardin
 
a) Ja
Fs
 
260 { N } Found generally in N ( J2 corrupt ) and om. in S.
दूरादनमर्थ. 12 नवां ; Est भवं; F3 च परं; F+ न वा; Fs न तं; J2 om. ( for नवं ).
-शब्दः; F+ - शब्दांस ( for शब्दं ). - 2 ) A3 J2 त्यक्ता; E (except Est) कृत्वा . C संमतापादनेषु;
D सत्सभारंजनेषु; E F3.4 I सत्सभापादनेषु; 11 सत्पथापादनेषु; 12. सत्यभारं जनेषु; Ji.s
 

 
1)
 
;
 
सत्त्वभावो धनेषु; J2 सत्त्वं चाभावोदयेपु. - ") F5 चरयति ( for रचयति ). C °चित्तेनु ( for
'चित्तानु" ). 4 ) F3 कामं कामं; / कार्य मंत्री ( for काम मन्त्री ). As कविरपि. C
स्वेदयुक्तरयुक्तः; D खेदभावरमुक्तः;
 
"
भेदभावैरमुक्त:-
Ja
 
BIS. 2911 (1215 ) Bhartr. ed. Bohl. 3. 18. Haeb
SR.B. p. 142.31; SN. 844.
 
2 102. Subhāsh. 316;
 
261 { N } Om. in W M2, NS3. a ) J H3 देवेन.
( for स्वयं ). F3 जयति यद्; ( 1 M3 जगदिदं ( for जगति यद् ).
 
AII सदा; G+ [अ]न्वहं
A
Y7 प्रमाणे कृतं. 6 ) F5
Gi
 
G2t शमेन्; X 2 X 3 °नयन्; X2.7 °गमेन्; Y4-0.8 T 61.20.36 °नमेन्; Ga Ma 6 गमे ; Ms
 
6
 
a
 
"रमेनू ( for नयेन् ) . E ( except E3 ) मदान्; J 1 महा; G1 M3 तथा; Ga महन् ( for महान् ).
C नैवात्र यत्; J3 एवाश्रमः; X 2.1 नैवाश्रयं; M ½ नेवाश्रयः. c) E3 पूजके; F+ पूरिते; Ja
'हारके; Y: पूर्तके ( for पूरके).
 
BIS. 2980 (1255) Bhartr ed. Boil. 2.90. Haeb. 103. Subhāsh 316; SRB.p.
95. 123; SN. 805; SSD 4. f. 3b.
 
262 { } Found in A E2 ( Ś 106, 108 extra ) H. [ Also C2 562 ; Es and
Baroda 1781 (Ś106, 108 extra ) ; BVB2 559 (58) ; Ujjain 6414860; NS3