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संशयितश्लोकाः ।
दिश वनहरिणीभ्यो वंशकाण्डस्थलीनां
कवलमुपलकोटिच्छिन्नमूलं कुशानाम् ।
शकयुवतिकपोलापाण्डुताम्बूलवल्ली-
दलमरुणनखा: पाटितं वा वधूभ्यः ॥ २५७ ॥
 
दुराराध्यः स्वामी तुरगचलचित्ताः क्षितिभुजो
 
वयं तु स्थूलेच्छा महति च पदे बद्धमनसः ।
जरा देहं मृत्युर्हरति सकलं जीवितमिदं
 
10
 
सखे नान्यच् छ्रेयो जगति विदुषोऽन्यत्र तपसः ॥ २५८ ॥
दुर्ग्राह्यं हृदयं यथैव वदनं यदर्पणान्तर्गतं
 
भावः पर्वतसूक्ष्ममार्गविषमः स्त्रीणां न विज्ञायते ।
 
ar
 
257 {Ś} Om. in IW. " ) B2_D F1.24t. v. यदिवन-; Eit - दिनवन; X 1
दिशि वन; X 2 दिशि दिशि; Y2 दशवदन; X7 विशवन- Y 1 - 3 T1 M1. 2 -हरिणेभ्यो; Ms
करिणीभ्यो, H2 वांशकांड-; X शंसुशुक्ति; Y3 वंशकंड. Ba - स्थलानां; CF 4.5 HJ X2
Y1.148TG.M. च्छवीनां; XI टवीनां; Y3 स्थवीनां – 0) Jit
-
कुशलम्; Y: पटलम् (for
कवलम्). D F1.24tv - लभेयं ( for -लकोटि - ). F + X छन्न - ( for -च्छिन्न-).
" ) A Bet
C D E F H X Y7_G+ शुकयुवति; युवतिजन; 11 वरयुवति; X 2 शरयुवति; X 8 उत
X7 )
J
युवति; Ms.5 अपि मधुर- ( for शकयुवति- ). [ Bcom. शक जे यवन तेहनि स्त्री ]. M. 3, 6
-मुखीभ्यः (for कपोला ). – 4 ) F1 -नखामे. J1 स्फाटितं. F2 व्यावधूभ्यः.
 
BIS. 2809 (1161). Bhartr. in Schiefner and Weber p. 22. Cf. Sāhityamīmāṁsā
( p. 141 ) 7 quoting "शकयुवतिकपोलापाण्डुने." Also Kgemendra's Aucityavicära-
careã (KM1, p. 142) "कीरीकपोलतलकान्ततनुः शशाङ्क:- Also Kavyānuśāsana of
Vägbhata (KM 43, p. 5) "किं चेदानीं यवनतरुणीपाण्डुगण्डस्थलीभ्यः कान्तिः स्तोकं रचयति
पर्द नागवल्लीदलेषु R"; SLP. 4.63 ( Bh.).
 
""
 
258 { V } Om. in J.
 
TG
 
± ) C W10, 20, 3c. 4 X Y T GM दुराराध्याश्चामी. F2 -बल-
4 ) C S च ( for तु ). C_F2.3.5 H
 
( for -चल- ). Wat क्षितिभृता; X X7 क्षितिभृतो.
 
फले; T2 भवे ( for पदे).
 
W1–4 X Y1, 3−4 ( Y1 om. ) TGM सुमहति ( for महति च ). Y24 - 6.8 T1.3 G2.35 Mg
CFs We Y: दत्त - ; IF 1.3 ब्रह्म - ( for बद्ध - ) .
CF1.4.4 H W1t X Y ( except Y2 ) TGM दयितं; Eat शकलं; F2 यदिदं.
F2 इयं ( for इदं ). a ) E2 शखे; G+ सुखे ( for सखे). Gat जयति ( for जगति ). F1
विदुषो नात्र; F2 विदुषो यत्र; Wat. st, st विदुषामत्र. F तपसा.
 
●) Wat Y: देहे.
43 We अपि;
 
BIS. 2389 ( 1175 ) Bhartr ed. Bohl. 3. 78. Haeb and lith, ed. III. 75, lith.
ed. I. 77. Galan 71; SSD 4. f. 26.
 
259 { N } Found generally in N; F1 N49 and 77. Om. in S.
 
") CE
 
: Io भग्राह्यं; It आप्रायं. J 2 वदनं ( for हृदयं ).
 
B2 CEst F ( F1 second time ) तथैव;
 
J1 तदेव ( for यथैव ). B1 H I स-, IFi
 
तद्-
( for यद् ).
 
Est F1-4 स्थितं (for -गतं).
 
0 ) F14 J1 दुर्गमार्ग; J2. 3 मार्गदुर्ग ( for सूक्ष्ममार्ग ). - ० ) J2 ज्ञातं दुष्कर BC