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संशयितश्लोकाः ।
गर्भावासे शयित्वा कलिमलनिलये पूतिमध्ये जघन्ये
स्त्री कुक्षौ पीडिताङ्गः कथमपि विवरान् निर्गतः क्लेदलिप्तः ।
भूयस् तत्रैव रागप्रकृतिरिह नरो मन्दबुद्धिदुरात्मा
सोऽयं संसारचक्रे भ्रमति शठमतिर्लोकमध्ये यथान्धः ॥ २४१ ॥
गात्रं संकुचितं गतिर्विगलिता दन्ताश् च नाशं गता
दृष्टिर्नश्यति रूपमेव हसितं वक्रं च लालायते ।
वाक्यं नैव करोति बान्धवजनो भार्या न शुश्रूषते
न्च
हा कष्टं जरयाभिभूतपुरुषः पुत्रैरवज्ञायते ॥ २४२ ॥
चण्डालः किमयं द्विजातिरथ वा शूद्रोऽथ किं तापसः
किं वा तत्त्वनिवेशपेशलमतिर्योगीश्वरः कोऽपि किम् ।
९५
;
241 { V } Found in A ]) E3 ( extra ) + ( extra ) 11.2 SVP159 V ( extra
15 ) ; Punjab 2101 V100 [ Also BORM 328 V140 ( 33 ) ; BORI 329 V100; RASB
G 7747 ( extra ) ; Punjab 697 V120; NS2 V88 ( 87 ), 102 (100 ) ]. a)
1) वसित्वा ( for शयित्वा ). F1 किल मल-; 2 विमल-; SVP159. Punjab2101
किममल- (for कलिमल- ). 1: तमध्ये जघन्यै.. ") 12 पिंडितांग..
E3.1 रागः ( for राग.).
Punjab 2101 शठमये.
1) क्लेशलिप्तः.
112 - प्रकृतिहिनरो.
( ) 1) E3 शवमये; 11.2 SVP159.
242 {V, N } Om.in BCE (Es+ oxtra ) F; LI BORI 326. 327 Baroda
1781 BU Wai 2 Jodhpur1.3 NS1.2and. In 2 N51, VI12. " ) M+ विलुलिता;
९१.
J
Mo विदलिता (for विग ). S ( except Y9 M45 ) भ्रष्टा च दंतावली (Y1-0 T G... 5 °लिर्;
Y7 लीइ).
4 ) Y3 हष्टिर (for इष्टिर् ) 4 भ्राम्यति; X Y नस्यति S वर्धते बधिरता
(G० ते च बधिरं ) ( for रूपमेव हसितं ). D 63.4 F1. 2 ( Vai.) हसितं; 1 2 ( Niti) J 1.3 हसते;
F3 हरते; II + J2 हसते ( for हसितं ).
M1. 2 जनैर् (for जनो). I'2 [अ]पि
J M4. 5 जरसा.
") S (except M45 ) नायिते च (for नैव करोति . )
2
(for न ). J3 Y: शिश्रूषते; Wशुश्रूयते - ( ) DE
वपुषः D F2
E3 विभूत- (for [अ] भिभूत ). 1) 12 - 1 J X पुरुषं; M.
5
( Niti ). 3. ± J_M1.6 पुत्रोप्यवज्ञायते; X पुत्रोप्य मित्रायते. VY TGM 1-3 हा कष्टं पुरुषस्य
जीर्णवयसः (W1 पुषः) पुत्रोप्यमित्रायते.
BIS. 2103 (831 ) Bhartr ed. Bohl. 3. 71. Haeb and lith ed. III. 71 lith ed.
I. 73. Galan 67. Pañc. ed. Koseg. III. 195 ed. Bomb IV. 78. Prasañgābh 17; Sp.
4161 ; SRB. p. 96.16; SRK. p. 97. 5; SA 38. 67; S.S. 62. 1; SU. 1038 (Bh.);
SM. 1129; SN. 572; SSD 4. f. 11b; SSV. 1115; JSV. 81. 3.
243 {V } Om. in W. Y7 missing. - a ) Ait 2 Ba Eo. 5 IF +5 Y3 चांडाल : ; J3
जंडाल: B1 Gst किमथ 32 शूरोथ; F1 J2 शूद्रोपि; Y० शुद्रो न.
BFXY2 G1 - 3
M1.2.45 वां (for किं). G० वा कोपि वा; Ms वैश्योथ वा (for किं तापस:). – 2
0
) Gs कं ( for
किं ). B -निविष्ट; C -विशेष ; Y (Y7 missing ) I'in - विवेक (for -निवेश ). B H3t -निर्मल-
( for -पेशल- ), Yint पटुर् (for - मतिर् ). B कोप्यहो; Do Ja Ma 5 कोपि वा ; Ga M1.2
कश्चन ( for कोऽपि किम् ). – ") 133 विवेक (for -विकल्प - ). A0 - 2 - जाल ; D मोह-; Gat
गर्भावासे शयित्वा कलिमलनिलये पूतिमध्ये जघन्ये
स्त्री कुक्षौ पीडिताङ्गः कथमपि विवरान् निर्गतः क्लेदलिप्तः ।
भूयस् तत्रैव रागप्रकृतिरिह नरो मन्दबुद्धिदुरात्मा
सोऽयं संसारचक्रे भ्रमति शठमतिर्लोकमध्ये यथान्धः ॥ २४१ ॥
गात्रं संकुचितं गतिर्विगलिता दन्ताश् च नाशं गता
दृष्टिर्नश्यति रूपमेव हसितं वक्रं च लालायते ।
वाक्यं नैव करोति बान्धवजनो भार्या न शुश्रूषते
न्च
हा कष्टं जरयाभिभूतपुरुषः पुत्रैरवज्ञायते ॥ २४२ ॥
चण्डालः किमयं द्विजातिरथ वा शूद्रोऽथ किं तापसः
किं वा तत्त्वनिवेशपेशलमतिर्योगीश्वरः कोऽपि किम् ।
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15 ) ; Punjab 2101 V100 [ Also BORM 328 V140 ( 33 ) ; BORI 329 V100; RASB
G 7747 ( extra ) ; Punjab 697 V120; NS2 V88 ( 87 ), 102 (100 ) ]. a)
1) वसित्वा ( for शयित्वा ). F1 किल मल-; 2 विमल-; SVP159. Punjab2101
किममल- (for कलिमल- ). 1: तमध्ये जघन्यै.. ") 12 पिंडितांग..
E3.1 रागः ( for राग.).
Punjab 2101 शठमये.
1) क्लेशलिप्तः.
112 - प्रकृतिहिनरो.
( ) 1) E3 शवमये; 11.2 SVP159.
242 {V, N } Om.in BCE (Es+ oxtra ) F; LI BORI 326. 327 Baroda
1781 BU Wai 2 Jodhpur1.3 NS1.2and. In 2 N51, VI12. " ) M+ विलुलिता;
९१.
J
Mo विदलिता (for विग ). S ( except Y9 M45 ) भ्रष्टा च दंतावली (Y1-0 T G... 5 °लिर्;
Y7 लीइ).
4 ) Y3 हष्टिर (for इष्टिर् ) 4 भ्राम्यति; X Y नस्यति S वर्धते बधिरता
(G० ते च बधिरं ) ( for रूपमेव हसितं ). D 63.4 F1. 2 ( Vai.) हसितं; 1 2 ( Niti) J 1.3 हसते;
F3 हरते; II + J2 हसते ( for हसितं ).
M1. 2 जनैर् (for जनो). I'2 [अ]पि
J M4. 5 जरसा.
") S (except M45 ) नायिते च (for नैव करोति . )
2
(for न ). J3 Y: शिश्रूषते; Wशुश्रूयते - ( ) DE
वपुषः D F2
E3 विभूत- (for [अ] भिभूत ). 1) 12 - 1 J X पुरुषं; M.
5
( Niti ). 3. ± J_M1.6 पुत्रोप्यवज्ञायते; X पुत्रोप्य मित्रायते. VY TGM 1-3 हा कष्टं पुरुषस्य
जीर्णवयसः (W1 पुषः) पुत्रोप्यमित्रायते.
BIS. 2103 (831 ) Bhartr ed. Bohl. 3. 71. Haeb and lith ed. III. 71 lith ed.
I. 73. Galan 67. Pañc. ed. Koseg. III. 195 ed. Bomb IV. 78. Prasañgābh 17; Sp.
4161 ; SRB. p. 96.16; SRK. p. 97. 5; SA 38. 67; S.S. 62. 1; SU. 1038 (Bh.);
SM. 1129; SN. 572; SSD 4. f. 11b; SSV. 1115; JSV. 81. 3.
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जंडाल: B1 Gst किमथ 32 शूरोथ; F1 J2 शूद्रोपि; Y० शुद्रो न.
BFXY2 G1 - 3
M1.2.45 वां (for किं). G० वा कोपि वा; Ms वैश्योथ वा (for किं तापस:). – 2
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किं ). B -निविष्ट; C -विशेष ; Y (Y7 missing ) I'in - विवेक (for -निवेश ). B H3t -निर्मल-
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