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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
गङ्गातरङ्गकणशीकरशीतलानि
विद्याधराध्युषितचारुशिलातलानि ।
स्थानानि किं हिमवतः प्रलयं गतानि
यत् सावमानपर पिण्डरता मनुष्याः ॥ २३८ ॥
गङ्गातीरे हिमगिरिशिलाबद्धपद्मासनस्य
ब्रह्मध्यानाभ्यसनविधिना योगनिद्रां गतस्य ।
किं तैर्भाव्यं मम सुदिवसैर्यत्र ते निर्विशङ्काः
संप्राप्स्यन्ते जरठहरिणाः शृङ्गमङ्गे मदीये ॥ २३९ ॥
गजभुजंगविहंगमबन्धनं शशिदिवाकरयोग्रहपीडनम् ।
मतिमतां च समीक्ष्य दरिद्रतां विधिरहो बलवानिति मे मतिः ॥ २४० ॥
238 { V } Om. in BORI 326, BORI 329 and Punjab 2101.
a) C
-कर-; Xit -गण-; Y1 -भव- ; Y? Tic.v. -घन-; G 1 M1.2 हिम ( for -कण - ). A2 om.
- a
wrongly the second păda. c) A सानूनि ( for स्थानानि ). (d ) B येनापमान - ; C Fa
येनावमान ; F1 यच्छोचमान ; It यत्सावधान; Ic यत्सेव्यमान ; J1
J1 M+ तरा
यत्साधुमान J1
( for -रता).
BIS. 2053 (807) Bhartr. ed. Bohl. 3. 25. Haeb. and Galan. 22. lith. ed. I.
33, II. 63; SRE. p. 97.8; SRK. p. 78. 3 ( ST.).
239 { V } Om. in W.
a ) G1 M1 - 1 गांगे तीरे. 40 हिमगिर- A2 F2.4
- पद्मासनस्थ - ( 12 स्थो) – 4 ) CF1 2 4 X Yat. 3 'ज्ञाना' (for 'ध्याना' ). J3 - [अ] ध्यसन.
•
E2t. 4t - रभसा (for -विधिना ). F2 J1 'निद्रा ; Ms 'मुद्रां ( for 'निद्रां ). – . ) F3 ते ( for तैर् ).
°
G3 साध्यं ( for भाव्यं ). Y1u हृदि (for मम ). J Y1 T G1 - 3M येषु ते ( J1 तैर् ; J3 ये ) ;
T2. 3 एषु ते ( for यत्र ते ). B1 F2 निर्विशंकं. 2 ) A2 Eo. 3. 5 ( and Ec ) F 2. 3 संप्राप्यंते;
C_F1, 4 H_I_J_S (W om. ) कंडूयंते ( for संप्राप्स्यन्ते ). B2 D Eo. 2.5 X 2 Y1B 3 G1 M1. 3-- 5
जठर-; C G2.3 M2 जरढ- ABD E F2.35 शृंगकंडू विनोदं ( Est °दाः; F3 °दैः); X Y 21-0
T G1. ± 5 M स्वांगमंगे(के) मदीये.
BIS. 2054 (808 ) Bhartr. lith. od. I. 3. 92. Schiefner and Weber p. 24.
Santis. 4. 17. Hacb. p. 428; SRB. p. 369. 65; SDK 5.60.2 ( p. 317, Krsna);
AMD. 130 ; Hemacandra's Kāvyānuśāsana 2 ( KM. 71, p. 80 ) ; SM. 909 ; SSD.
4. f. 30a ; SSV. 891.
240 {N} Found in S [ Also ISM Kalamkar 195 N99 ( 101 ) ; Punjab
2885_N94 (85); NS3 N117 ( extra ) . ] Order in Ys, bacd.
a) W गजभुजं-
गमयोरपि; Gst गजविहंगभुजंगम - 0 ) Y2 गृह - ( for ग्रह ). - ) W Ys T1 विलोक्य; Ya
T3 निरीक्ष्य.
BIS. 2060 (811 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 87. lith ed. I. 89. Galan 92. Nitiprad.
4. in Haeb. 526. Pañc. ed. Koseg. II. 20. ed. Bomb. 19. Hit. ed. Schl. I. 45. ed.
Johns. 52. Vikramaca 262; Śp. 443; SRB. p. 92.68; SBH. 3125; SRK. p. 171.
14; Tantrākhyāyik& II 8 ; SHV. f. 64h. 671, 80a 66; SSD. 4. f. 2b ; JSV.
263. 1 ( bacd).
गङ्गातरङ्गकणशीकरशीतलानि
विद्याधराध्युषितचारुशिलातलानि ।
स्थानानि किं हिमवतः प्रलयं गतानि
यत् सावमानपर पिण्डरता मनुष्याः ॥ २३८ ॥
गङ्गातीरे हिमगिरिशिलाबद्धपद्मासनस्य
ब्रह्मध्यानाभ्यसनविधिना योगनिद्रां गतस्य ।
किं तैर्भाव्यं मम सुदिवसैर्यत्र ते निर्विशङ्काः
संप्राप्स्यन्ते जरठहरिणाः शृङ्गमङ्गे मदीये ॥ २३९ ॥
गजभुजंगविहंगमबन्धनं शशिदिवाकरयोग्रहपीडनम् ।
मतिमतां च समीक्ष्य दरिद्रतां विधिरहो बलवानिति मे मतिः ॥ २४० ॥
238 { V } Om. in BORI 326, BORI 329 and Punjab 2101.
a) C
-कर-; Xit -गण-; Y1 -भव- ; Y? Tic.v. -घन-; G 1 M1.2 हिम ( for -कण - ). A2 om.
- a
wrongly the second păda. c) A सानूनि ( for स्थानानि ). (d ) B येनापमान - ; C Fa
येनावमान ; F1 यच्छोचमान ; It यत्सावधान; Ic यत्सेव्यमान ; J1
J1 M+ तरा
यत्साधुमान J1
( for -रता).
BIS. 2053 (807) Bhartr. ed. Bohl. 3. 25. Haeb. and Galan. 22. lith. ed. I.
33, II. 63; SRE. p. 97.8; SRK. p. 78. 3 ( ST.).
239 { V } Om. in W.
a ) G1 M1 - 1 गांगे तीरे. 40 हिमगिर- A2 F2.4
- पद्मासनस्थ - ( 12 स्थो) – 4 ) CF1 2 4 X Yat. 3 'ज्ञाना' (for 'ध्याना' ). J3 - [अ] ध्यसन.
•
E2t. 4t - रभसा (for -विधिना ). F2 J1 'निद्रा ; Ms 'मुद्रां ( for 'निद्रां ). – . ) F3 ते ( for तैर् ).
°
G3 साध्यं ( for भाव्यं ). Y1u हृदि (for मम ). J Y1 T G1 - 3M येषु ते ( J1 तैर् ; J3 ये ) ;
T2. 3 एषु ते ( for यत्र ते ). B1 F2 निर्विशंकं. 2 ) A2 Eo. 3. 5 ( and Ec ) F 2. 3 संप्राप्यंते;
C_F1, 4 H_I_J_S (W om. ) कंडूयंते ( for संप्राप्स्यन्ते ). B2 D Eo. 2.5 X 2 Y1B 3 G1 M1. 3-- 5
जठर-; C G2.3 M2 जरढ- ABD E F2.35 शृंगकंडू विनोदं ( Est °दाः; F3 °दैः); X Y 21-0
T G1. ± 5 M स्वांगमंगे(के) मदीये.
BIS. 2054 (808 ) Bhartr. lith. od. I. 3. 92. Schiefner and Weber p. 24.
Santis. 4. 17. Hacb. p. 428; SRB. p. 369. 65; SDK 5.60.2 ( p. 317, Krsna);
AMD. 130 ; Hemacandra's Kāvyānuśāsana 2 ( KM. 71, p. 80 ) ; SM. 909 ; SSD.
4. f. 30a ; SSV. 891.
240 {N} Found in S [ Also ISM Kalamkar 195 N99 ( 101 ) ; Punjab
2885_N94 (85); NS3 N117 ( extra ) . ] Order in Ys, bacd.
a) W गजभुजं-
गमयोरपि; Gst गजविहंगभुजंगम - 0 ) Y2 गृह - ( for ग्रह ). - ) W Ys T1 विलोक्य; Ya
T3 निरीक्ष्य.
BIS. 2060 (811 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 87. lith ed. I. 89. Galan 92. Nitiprad.
4. in Haeb. 526. Pañc. ed. Koseg. II. 20. ed. Bomb. 19. Hit. ed. Schl. I. 45. ed.
Johns. 52. Vikramaca 262; Śp. 443; SRB. p. 92.68; SBH. 3125; SRK. p. 171.
14; Tantrākhyāyik& II 8 ; SHV. f. 64h. 671, 80a 66; SSD. 4. f. 2b ; JSV.
263. 1 ( bacd).