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संशयितश्लोकाः ।
जराजीटइव
वलीमण्डिततनुर
नरः संसारा विशति यमधानीजवनिकाम् ॥ २३५ ॥
क्षान्तं न क्षमया गृहोचितसुखं त्यक्तं न संतोषतः
सोढा दुःसहशीतवाततपनक्लेशा न तप्तं तपः ।
ध्यातं वित्तमहर्निशं नियमितप्राणैर्न शंभोः पदं
तत् तत् कर्म कृतं यदेव मुनिभिस् तैस् तैः फलैर्वञ्चिताः ॥ २३६॥
क्षान्तिश् चेत् कवचेन किं किमरिभिः क्रोधोऽस्ति चेद् देहिनां
ज्ञातिश् चेदनलेन किं यदि सुहृद् दिव्यौषधैः किं फलम् ।
किं सर्पैर्यदि दुर्जनाः किमु धनैर्विद्यानवद्या यदि
ब्रीडा चेत् किमु भूषणैः सुकविता यद्यस्ति राज्येन किम् ॥२३७॥
८
९३
D Y1 यमधानिं; J1 W2. + X 1 Y3 T2 G1 - 3.5M 1.5 यमधानीं (G1 यानीं). B1 जवनिका;
F2–4 F1 Ic (also as in text ) J S ( except X Y1. 3 ) - यवनिकां ( 13 'निका ) ; F3
-यमिनिकां; F+ - यमनिकां.
BIS. 2004 ( 779 ) Bhartr. ed. Bobl. 3. 51. Haeb and lith ed. IlI. 48. lith.
ed. I. 39, II. 99. Galan 47. Subhāsh. 317 ; Śp. 4094 ( Bh. ) ; SRE. p. 368. 38;
3
SBH. 3319 ( Bh. ) ; SRH. 196.22; SRK p. 95. 10 ( Bh. ).
•
V. Om. in W.
236
a) H3e I (orig. ) G1 संतोषित:. 6 ) X 2 सोढुं ( for
सोढा). D 'शीतलाश्च ; J1.3 °वातशीत- (for 'शीतवात- ). D
-पवनाः; Eot -पवनात्; Ea
(and Ec ) तपनाः; Est -तपनात्; J1 -पवनः; X - पवन- (for-तपन ). D E -क्केशान्; X क्लेशैर्
- ;
G 1 - क्षोभा; M3 -क्लेशं ( for -क्लेश ( ).
चित्तम्; G1 नित्यम् ( for वित्तम् ).
E1 ( by corr. ). st J1 नियमितः;
. ) . st Ji नियमितः; G2t निशमित
कृतं; B1 तत्कर्म क्रियते; J यत्तत्कर्म कृतं. A3
Y1 वाञ्छिताः.
J3 ततः ( for तपः). c ) E3 ध्यानं. 1D Eo. 3.4 F2
43CX नियमितैः; 112.2.3.1 (orig. ) . se Ja नियमतः;
J3 प्राप्तं न विष्णोः पदं. (d ) A3 यद्यत्कर्म
Eo. 2.5 J तदेव. C वञ्चितान्; FI X वञ्चितः;
X
C)
BIS, 2015 (784) Bhartr. Schiefner and Weber. p. 23. lith, ed. II. 3. 13; Sp.
4153 ( Bh. ) ; SRB. p. 374 219 ( Bh. ) ; SBH 3178; SDK 5 53. 1 ( p. 312, Bh.) ;
Santis. 1.9; SU. 1035 ( Bilhana ? ) ; SSD. 2. f. 141b, 4. f. 6b; JSV. 296. 5.
.
a
237 { N } Found only in S [ Also Punjal) 2885N21 ( 17 ) ; NS3 N108
(extra )]. – ) W1-3 वचनेन ( for कवचेन ). - 6 ) X1 ज्ञातिश्वेच्च दलेन. Wat मुहूर
( for सुहृद् ).
( for किमु ).
९ ) X विद्यास्ति वंद्या यदि . d ) Y7 क्रीडा ( for ब्रीडा ). Y: यदि
BIS. 2016 (785) Bhartr ed. Bohl. 2. 18 lith ed. I and III. 20. Galan 21.
Nitisamk. 27. Pañcaratna 4. in Haeb. p. 4. Kavitāmṛtak 50; SRB. p. 178. 1019;
SRH. 181.64 ( Bh. ) ; VS. 882 ( Bh. ) ; SSD. 2. f. 157a.
जराजीटइव
वलीमण्डिततनुर
नरः संसारा विशति यमधानीजवनिकाम् ॥ २३५ ॥
क्षान्तं न क्षमया गृहोचितसुखं त्यक्तं न संतोषतः
सोढा दुःसहशीतवाततपनक्लेशा न तप्तं तपः ।
ध्यातं वित्तमहर्निशं नियमितप्राणैर्न शंभोः पदं
तत् तत् कर्म कृतं यदेव मुनिभिस् तैस् तैः फलैर्वञ्चिताः ॥ २३६॥
क्षान्तिश् चेत् कवचेन किं किमरिभिः क्रोधोऽस्ति चेद् देहिनां
ज्ञातिश् चेदनलेन किं यदि सुहृद् दिव्यौषधैः किं फलम् ।
किं सर्पैर्यदि दुर्जनाः किमु धनैर्विद्यानवद्या यदि
ब्रीडा चेत् किमु भूषणैः सुकविता यद्यस्ति राज्येन किम् ॥२३७॥
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D Y1 यमधानिं; J1 W2. + X 1 Y3 T2 G1 - 3.5M 1.5 यमधानीं (G1 यानीं). B1 जवनिका;
F2–4 F1 Ic (also as in text ) J S ( except X Y1. 3 ) - यवनिकां ( 13 'निका ) ; F3
-यमिनिकां; F+ - यमनिकां.
BIS. 2004 ( 779 ) Bhartr. ed. Bobl. 3. 51. Haeb and lith ed. IlI. 48. lith.
ed. I. 39, II. 99. Galan 47. Subhāsh. 317 ; Śp. 4094 ( Bh. ) ; SRE. p. 368. 38;
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SBH. 3319 ( Bh. ) ; SRH. 196.22; SRK p. 95. 10 ( Bh. ).
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V. Om. in W.
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a) H3e I (orig. ) G1 संतोषित:. 6 ) X 2 सोढुं ( for
सोढा). D 'शीतलाश्च ; J1.3 °वातशीत- (for 'शीतवात- ). D
-पवनाः; Eot -पवनात्; Ea
(and Ec ) तपनाः; Est -तपनात्; J1 -पवनः; X - पवन- (for-तपन ). D E -क्केशान्; X क्लेशैर्
- ;
G 1 - क्षोभा; M3 -क्लेशं ( for -क्लेश ( ).
चित्तम्; G1 नित्यम् ( for वित्तम् ).
E1 ( by corr. ). st J1 नियमितः;
. ) . st Ji नियमितः; G2t निशमित
कृतं; B1 तत्कर्म क्रियते; J यत्तत्कर्म कृतं. A3
Y1 वाञ्छिताः.
J3 ततः ( for तपः). c ) E3 ध्यानं. 1D Eo. 3.4 F2
43CX नियमितैः; 112.2.3.1 (orig. ) . se Ja नियमतः;
J3 प्राप्तं न विष्णोः पदं. (d ) A3 यद्यत्कर्म
Eo. 2.5 J तदेव. C वञ्चितान्; FI X वञ्चितः;
X
C)
BIS, 2015 (784) Bhartr. Schiefner and Weber. p. 23. lith, ed. II. 3. 13; Sp.
4153 ( Bh. ) ; SRB. p. 374 219 ( Bh. ) ; SBH 3178; SDK 5 53. 1 ( p. 312, Bh.) ;
Santis. 1.9; SU. 1035 ( Bilhana ? ) ; SSD. 2. f. 141b, 4. f. 6b; JSV. 296. 5.
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237 { N } Found only in S [ Also Punjal) 2885N21 ( 17 ) ; NS3 N108
(extra )]. – ) W1-3 वचनेन ( for कवचेन ). - 6 ) X1 ज्ञातिश्वेच्च दलेन. Wat मुहूर
( for सुहृद् ).
( for किमु ).
९ ) X विद्यास्ति वंद्या यदि . d ) Y7 क्रीडा ( for ब्रीडा ). Y: यदि
BIS. 2016 (785) Bhartr ed. Bohl. 2. 18 lith ed. I and III. 20. Galan 21.
Nitisamk. 27. Pañcaratna 4. in Haeb. p. 4. Kavitāmṛtak 50; SRB. p. 178. 1019;
SRH. 181.64 ( Bh. ) ; VS. 882 ( Bh. ) ; SSD. 2. f. 157a.