2023-07-18 07:27:28 by jayusudindra
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लोकत्रयं जयति कृत्स्
कान्तेत्युत्पललोचनेति विपुलश्रोणी
त्पीनोत्तुङ्गपयोधरेति सुमुखाम्भोजेति सुभ्रूरिति ।
दृष्ट्वा माद्यति मोदतेऽभिरमते प्रस्तौति विद्वानपि
प्रत्यक्षाशुचिपुत्रिकां स्त्रियमहो मोहस्य दुश्चेष्टितम् ॥ २३१ ॥
किं कूर्मस्य भरव्यथा न वपुषि क्ष्मां न क्षिपत्येष यत्
किं वा नास्ति परिश्रमो दिनपतेरास्ते न यन् निश्चलः ।
किं चाङ्गीकृतमुत्सृजञ् जन इव श्लाघ्यो जनो लज्जते
निर्वाह: प्रतिपन्नवस्तुनि सतामेतद् हि गोत्रव्रतम् ॥ २३२ ॥
९१
BIS. 1626 (633 ) Bhartr ed. Bohl. 2. 76. JIael). 77. lith ed. I. 105, II. 107.
Galan 108 ; SRB. p. 78. 12; SRK. p. 15. 47 ( Prasangaratnāvalī ) ; SK 2. 81;
SSD. 2. f. 99b; JSV. 173.5.
231 {Ś} Om. in B I F12 M45 Mysore 582 Jodhpur 1.3 NS2 BORI 329 ;
extra in Punjab 2101.
a.
Q
" ) H पृथुल ( for विपुल ). E1 (orig. ) F5 Y 3 -श्रेणी-
C, उज्ज्वलतू-; F3.4tvs W उत्सुक: ( for उन्नमत्-).
6) Fit.v. सुमुखा
-
( for - श्रोणी- ).
भोगेति. ● ) Est मद्यति मोद्यते . Hst J W 2 - 1 [5]ति; W1 Yo च ( for [s ] भि- ). Ja
प्रस्तौतु. W जानन् (for विद्वान् ). - ) F3 ° पूतिकां; W+ पूत्रिकां; Y1 (printed text only ).
4
4–6.8 T1 (c.v. as in text ) 2 G ( G2.3c.v. as in text ) M1 - 3 °भस्त्रि ( ( 1 स्त्र ) कां; T3
° पुत्रिभ- (for 'पुत्रिकां ). J 1 W 2 - 1 मोहच; Y3 होमस्य ( for मोहस्य ). [ Ecom. कान्ते etc.
as vocative and reads अत्युत्पल' etc. up to अतिसुभ्रू ].
०
BIS. 1633 (635) Bhartr. ed. Bohl. 1.72. Haob. 75. Prabodhacandrodaya 4.
8; SRB. p. 250. 19; SSD. 4. f. 21b; SMV. 26. 5 ; JSV. 131. 3.
F3
232 { N } Om in S ( but Y3 N71 ) BORI 329 NS3 and Harilāl's lith.
ed. – a ) Y3 उत्क्षिपद्वेष (for न क्षिपत्येष ). Eo.1.3.5 I एव ( for एष ). Fo.1.6 F3 Y3 यः
( for यत्). – 0) D E ( except Est ) यो; X 3 वै ( for यन् ). J2 निश्चयः; J3 निश्चलं. — °)
B D J F तु (for च ). J3 अर्थी - ( for [अ]ङ्गी- ). J2.3 कृतवान् (for कृतमुत्- ). Com. ;
D F5 - सृजेन्; J2. 3 स्रजं ( for - सृजन् ). 42om.; B सुमनसः; Cन मनसां; D Eo. 1. 3.0 I न
मनसा; Eit.v. तु मनसा; 52
F2 जन इतः;
P3 च मनसा;
सुमनसा;
F+ जनवर; F5 न सहसा;
Hc.v. समनसा; J2 जनमनं;
J2 जनमनं; J3 जनमन:-; Y3
स्वमनसा ( for जन इव ). J2.3 श्लाघ्यं ( for
लाग्यो ). C Est लज्जतां; F2 J1 लज्यते. d) C निर्वाहं; F3 नैवं हि. B1 वस्तुनि स तान्;
F1.4 Y3 वस्तुषु सताम्; Jit 'वस्तुविनताम्. F1 एकं हि गोत्रव्रतं; 3 एतत्सतां चेष्टितं;
Js एतद्धि गोत्रं.
BIS. 1737 (672) Bhartr. ed. Bohl. 2. 69. Haeb. 101. Satakäv. 92. Subhāsh.
316; SRB. p. 53. 269; Mudrārakşasa II 18; SKG. f. 17b.