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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
मिथुनैर्मिथोऽवधारितमर्चितमिदमेव कामनिर्वहणम् ॥ २१५ ॥
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महारिपुः ।
 
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ॥ २१६ ॥
इमे तारुण्यश्रीनवपरिमलाः प्रौढसुरत-
प्रतापप्रारम्भाः स्मरविजयदानप्रतिभुवः ।
चिरं चेतश्चौरा अभिनव विकारैकगुरवो
 
विलासव्यापाराः किमपि विजयन्ते मृगदृशाम् ॥ २१७ ॥
इयं बाला मां प्रत्यनवरतमिन्दीवरदल-
प्रभाचौरं चक्षुः क्षिपति किमभिप्रेतमनया ।
 
Y2.7
 
I -संविदां; J संविदा ; Y2.4.5 G2.3.5 -संपदं; Y3.1 संविदो. J Y 3 - 0 TG½. 5 भाति;
G23 Ms भवति GI सुरतरसानुभवसंविदां भाति;
 
G1
 
M1.
 
यत्सुरतमहोत्सवात्सुखं भवति. - )
2 ) B1 F1. 2 अर्थितम् ; B2 F3-5 I
 
C मिथोवतारितम् ; 61 मिथोपधारित - ; (G4 मिथो विभाति.
 
C
 
J2 W Y T G2. 4, 5_M1 अवितथम्; Com.; G1 M2 विततम् ; M3 वितथम् ( for अर्चितम्).
F2.5 इदमेक-; X अपि ( for इदमेव ). A3 F1.3 W कामनि ( Wat 'वि ) बर्हणं; C कामनिवर्हणं
च; D कामनिर्वाणं; E20 J1 G2. 3 कामिनिर्वहणं; s कामनिर्घहनं; X 1 - + कामनिर्हरणं; M3
कामिनीवहनं. G+ मीलितनयनकामिनिर्वाणं.
 
DIS. 977 ( 365 ) Bhartr ed. Bohl. 1. 27 lith, ed. II. 67; SLP 5. 3 ( Bh. ).
216 { N } Om. in C X Y T GM but Y3 and Tanjore 4916, N X-12 [ gene-
2 ) Eot. 2 F3 आलस्यो
 
rally found in all N MSS. Adyar XXIX-E. 2 N III-4 ].
 
6
 
')
 
( for °स्यं ). – ' ) 1) देहे संस्थो . D F1.2.5 H J2 3 W2 - + Y3 महात्रिपुः – °) Eot at F1.5
नास्त्युथ ( F1 द्या) मपरो; Eoc.1.20.5 नास्त्युद्यमात्परो; W2 नात्युद्यमसमो.
J2.3 कृत्वा यन्; Eo - 2.5 I यं कृत्वा; W कुर्वाणो; Y3 यत्कृत्वा ( for कृत्वा यं ).
J2 नावसिध्यति.
 
4 ) A0 – 2 F2. 8
 
J1 नावसिद्धति;
 
BIS. 1030 (389) Bhartr. ed. Bohl. 2. 74. Haeb. 61. lith. ed. III. 85. Galan
86. Sanskrtapāthopa. 62. Galan ( var. ) 230; SRB p. 83.15; SRK. p. 74 7 ( Bh.);
SHV. f 102b 88; PT. 7. 15 ; JSV. f. 303a ( marg. ) ; SKG. f. 17b.
 

 
217 {Ś} Om. in W. – " ) C J2 तारुण्यस्त्री. A8 ID Eat J1 X Y1G4 नवपरिमल - 3
" -
Y7 - धवपरिमलाः – 6 ) 5 - प्रतान-; M 1.5 प्रदोष - ( for प्रताप ). J1 G4 प्रारंभ. F3 स्मरवि-
-
जयि. G1 -मान- ( for
° ) ID F 3 4 J S 'श्रोश: ( for 'चौरा: ). Y2.8.7 G8
त्वभिनव
d) G1 M2. 3 विशाल A G2t. + किमिव विज; O
किमपि मृग; Y क्षणमपि ज (for किमपि विज ). B1G1 Ms मृगदृशः.
 
J G+ M. 2. 8
 
-दाम- ) .
-विलासैक-.
 
BIS. 1123 (3752 ) Bhartr. lith. od. II. 1. 85.in Schiefner and Weber p. 23;
SR.B. p. 255. 30; SLP 5.22 ( Bh. ).
 
218 {6, V } Om. in Fa H I ISM Kalamkar 195 NS2 and Harilal's lith ed.
V (extra 2) in Punjab 2101 ; NS3 $ 108 ( 109, extra ). Punjab 2885 on margin
only of fol. 15a Repeated in D $19, V71; in F4V73 (72), $20 [ also repeated in
GVS 2387. V2, V54 ; Punjab 697819 (20), V69 ]. – ) C संप्रत्य. W -दलं. – 1)
- "
Ba DE24F1 ( 8 ) J8 ( except X ) चोरं (for 'चौरं ). A किमभिप्रेत्य विनयात्; Est Ja
 
A