2023-07-18 07:08:04 by jayusudindra
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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
न जाने भोक्तारं क इह समुपस्थास्यत इति ॥ २०३ ॥
अनावर्ती कालो व्रजति स वृथा तन् न गणितं
दशास् तास् ताः सोढा व्यसनशतसंपात
कियद् वा वक्ष्यामः किमिव बत नात्मन्युपकृतं
वयं यावत् तावत् पुनरपि तदेव व्यवसितम् ॥ २०४ ॥
अपसर सखे दूरादस्मात् कटाक्षविषानलात्
प्रकृतिविषमाद् योषित्स
इतरफणिना दष्टः शक्यश् चिकित्सितुमौषधैश्
चटुलवनिता
अप्रियवचनदरिद्रैः प्रियवचनाढ्यैः
Weber p. 22; Śp. 3271 ( Kālidāsa ); SRB. p. 255 25 (Kalidāsa ); SBH. 1332
(Kalidāsa); SRK. p. 286 8 ( Sakuntala); AMD. 713; Sarasvatikanthabharapa
(KM. 94, p. 246 ) 4. 44; SK 5. 317 ; SU. 742 ( Kalidāsã); Sabhyālañkarapa of
Govindajit. f. 8a (Kālidāsa).
204 {V } Collated A D E F1 H [ Also BORI 389 V37 ; Punjab 2101 V36 ;
Punjab 697 V35; BORI 328 V39; Jodhpur3 V39; NS1 V42; NS3 V109
(extra).] – In F‡, this stanza runs into दुराराध्यः स्वामी. E is generally corrupt.
.
- ) D जनावर्ती कल्ये ; F+ अनावर्तः कालो. ) सहसा ( for स वृथा ). 43 गदितं; Est
गुणितं ( for गणितं). – 4 ) D दृशस् ( for दशास् ). Hit. 2.3t संताप - ( for -संपात - ).
)
Eo. 2.5 चक्षाम;
3 वक्षामः ( for वक्ष्यामः ). D Eo. 23 F1 ( orig. ) H अपकृतं ( for उप ).
- 2 ) H त्वया ( for वयं ).
a
BIS. 284. Bhartr. lith ed. I. 3. 99, II. 34. IV. 96. Subhāsh. 312.
205
S
Kgepahca.
{9} Om in C ( but C2583 ) X Tanjore 4920. Y1 com. calls this
")
a ) Wt अपसर वै ( W1 अथ सर सबै ) ( for अपसर सखे ). Y1. 2 खेदादू ( for
दूरावु ). F3 विषमानलात्; Fs WG 1 °विशिखानलात्; M. विषोल्बणात् (for 'विषानलात्).
4 ) A1 प्रकृत- ( for प्रकृति-). W2-1 ( all text only ) 'विलाभृतः; M4.6 °फणानिलात् (for
" ) F3 इति च ( for इतर ). 'T 3 - भणिना ( for - फणिना ). D दृष्ट:; एक दष्टाः;
Y7 दृष्टं ( for दष्ट: ).
'फणाभृतः ).
W दृष्टाः;
W
Eat साक्षाच; Fs W शक्याश; J Yr कश्चिय् (for शक्यश).
6
d
E2 औषधं; Est ओषधैश; J ईहते (for औषधैश ). – 2) S ( except Y2m.v.8 G6 M4. 6 )
चतुर (for चटुल-). C2 FW -भोगग्रस्तं . D मंत्रिणी; M1. 2.5 मंत्रिका..
F
BIS. 410 (142) Bhartṛ. ed. Bohl. and lith. ed. III. 1. 83, I. 84. Haeb. 86.
Satakāv. 73; SRB p. 350.74; SLP. 6.17 ( Bh. ).
{N } Om in E S ( except W; Srtigeri 309 N85 ) Jodhpur 1 and 3,
8 ) A1c D F3 I W नायै:; Fo and Śrngeri 309 °नाथै: ( for नायैः ). As BF4H
206
I J1 संतुष्टै: (for 'परितुष्टैः) - ) BF Wa ( by corr.) पराप' (for परपरि ). FsJs