2023-07-18 07:00:10 by jayusudindra
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कान्ताविश्लेषदुःखव्यतिकरविषमे
नारीणामप्यवज्ञाविलसितनियतं वृद्धभावोऽप्यसाधुः
यौवने विप्रयोगः ।
संसारे रे मनुष्या वदत यदि सुखं स्वल्पमप्यस्ति किंचित् ॥ १९९ ॥
आयुर्वर्षशतं नृणां परिमितं रात्रौ तदर्धं गतं
तस्यार्धस्य परस्य चार्धमपरं बालत्ववृद्धत्वयोः ।
शेषं व्याधिवियोगदुःखसहितं सेवादिभिर्नीयते
जीवे वारितरङ्ग
८०
O
199 Om. in NS1. a ) H10. 30 विमूत्रां' (for कृच्छ्रणा ). Wt निपतित- ( for
नियमित - ). X Y 1.6 G4.5 नीयते; Y3 नश्यते ( for स्थीयते). BCDF45J W Y2-1 T
(G1 - 3.5 M गर्भवासे; F1. 2 H गर्भगर्ते; X Y1G4 गर्भवासः --- 1 ) B D Eat F3-5 I J X1. 6–4
T G2 - 5 M1: 3-5 -विषमो; CW -विषये; X -विषमैर् 3.5 (orig.) यौवनो. E2c Fi Jit
बिप्रयोगा:; 8 ( except G2. 3 ) चोपभोगः (M. गाः). © ) B Eo. 5 ( and Ec ) F1 3 5 HI
विलसति (for-विलसित-). C वचने; D Eat Fs J वसतिर्; F+ वपुषो ( for नियतं ). CF+
H वृद्धभावे BD [अ]सार:; F3 [अ]सारे (for [अ] साधु: ). S वामाक्षीणामवज्ञाविहसित ( Y
G2.8 विलसित; Y2 "विनहत; G+पहसति; 15 पहसित ) वसतिर्; (12 वनतिर्; (iat वसती)
- - -
वृद्ध ( Gst 'त) भावोप्यसाधुः. २) X Y1.4.17 M± संसारेस्मिन्; G1 संसारे
G 1 संसारे सन्-; M3 संसारे
सा. Eot बनन (3) ; Eoc वदंतु ( = कथयंतु ) ; F4 J3 X 2 वदति; M3 भवत ( for वदत ). B
सुखलवोप्यस्ति किं क्वापि (for यदि - व्यस्ति ). Eat. st X1 स्वल्पमल्पस्ति.
d
०
BIS. 1851 (711) Bhartr. ed. Bohl. 3. 38. Haeb. and Galan 34. lith. ed. I and
III. 35, II. 94; SRB. p. 89.6; SRK. p. 93. 7 and p. 99.6 ( Bh. ) ; SU. 1069; SSD.
4. f. 23a.
200 Om. in NS1. $108 ( 7 ) extra in BORI 381 of 1884-87. – ") C राज्या
ततोधं हृतं; Eot रात्री तदधं कृतं; I रात्रौ तदर्धीकृतं – 6) F2 तस्याधं च; G1 तस्याप्यर्ध.
E20.3.4.50 It कदाचिद्; Y3 पर: स ( for परस्य ). A F3 शेषमपरं; E20. 3. 4. 50 It अर्धमधिकं;
X चार्धमधिकं. A Eat Ic J12 W2-4 Ga (orig.) बाल्यरधवृद्धत्वयोः; Est It वृद्धत्वबाल्ये
गतं [ बालत्व is grammatically correct; but original may have been बाल्यत्व-]. -)
Eot. ot -विदेश (for -वियोग- ). A -दुःखसहितैः; B1 - भोगसहितं; B2 रोगसहितं; C
दुःखकल हैर; E -शोकसहितं; H10. 80 दुःखबहुलं; I रोगजनतैर् B कामादिभिर्नीयते; C भूपालसे-
वारसैः; Hit. 2 क्लेशादिभिनयते; I दुःखादिभिनयते – 4) Eot F4 जीवेद्वारि CF5 X
-बुहुदसमे; F+ बुद्बुदसमं; H1c. 80 बुद्बुदचले; W1 चंचलतले; Ys भंगचपले (for-चञ्चलतरे).
E+t धर्म: ( for सौख्यं ).
.
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.
;
BIS. 996 ( 378) Bhartr. ed. Bohl. 3.50. Hasb. 47. Galan 46 lith ed. IT. 95.
Subhāsh. 82; SRB. p. 373 180; SRK, p. 94, 9 ( Bh. ) ; SA. 38, 6; SS. 50. 12;
SSV. 125; SMY. 30.8.