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वैराग्यश्लोकाः ।
 
तस्मादनन्तमजरं परमं विकासि
 
तद् ब्रह्म वाञ्छत जना यदि चेतनास्थाः ।
यस्यानुषङ्गिण इमे भुवनाधिपत्य-
भोगादयः कृपणलोकमता भवन्ति ॥ १८८ ॥
पातालमाविशसि यासि नभो विलय
 
दिङ्मण्डलं भ्रमसि मानस चापलेन ।
भ्रान्त्यापि जातु विमलं कथमात्मनीनं
 
तद् ब्रह्म न स्मरसि निर्वृतिमेषि येन ॥ १८९ ॥
महीशय्या शय्या विपुलमुपधानं भुजलता
वितानं चाकाशं व्यजनमनुकूलोऽयमनिलः ।
 
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BIS. 4520 ( 2006 ) Bhartr. ed. Bohl. and lith. ed. I. 3. 69. Haeb and lith, ed.
III. 67 Galan 63. Subhash 314.
 
188* Om. in Jodhpur 1. BVB 5 V105 ( extra), First quarter missing
in E3. — " ) Y1 यस्माद् J3 W3. + परमा.
W3. + परमा. AE Fs H1c. 2 3 I J 1 W10. 3 Y1. 3 विकाशि;
 
M
 

 
B प्रकाशं ; Eat X विशोकं; 12 निकाशि; Ms.5 विभाति ( for विकासि ). – ( ) A2 वांछित
बुधा ( for जना ). A3 Eo. 3. 5 ( and Ec ) चेतनस्था:; D It चेतनास्ति
 
D
 
BC Eat F 2 - 5 H
 
J ð generally तद्ब्रह्म चिंतय किमेभिरसद्विकल्पैः [bul Y3 रे ब्रह्म; G1 M1-3 तश्चित्त (for
तद्रा).
Q 1 M2 किमस्त्यसकृद् ( for किमेभिरसद् ). F2.3 Y3 असिद्धकल्पैः; W2-1 अविद्ध-
कल्पै: (for असद्विकल्पैः). ] – °) Ao. 1 com. and Hi3 com. alternatively gloss अनुषङ्गिणः
as gen. sing. others nom. pl. Eo. 2, 5 Ji waanfuge- (J₁t °&); F2.3 W₁ G2t M₁. 5
भवनाधिपत्य
भुवनाधिपत्यं.
d) Y1.1 - 0 राज्यादयः; Y1 T2.3 G+ - लोकादयः ( for भोगादयः). E
-लोकरता; F2 -लोकतमा.
 
BIS. 2522 (1012) Bhartr. ed. Bohl. and lith. ed. 1. 3. 70. Haeb. 68. lith. ed.
II. 69. Galan 64. Satakāv. 35. Nitisamk. 81. Kāvyakal. Subhash 314; SBE.
3452 ( Bh. ) ; Sāntis. 3. 24 ( Haeb p. 424 ) ; SSD 4. f. 28a; JSV. 304.6.
 
189* Om. in BORI 329, aud Srngori 309.
 
-
 
a ) A3 याहि ; Y: वासि ( for
यासि ). A3 विलंब्य. - 4 ) Ao. 1 BEHI X2 Y7.8 दिग्मंडलं; Gat ङूमंडलं. Y7 विशसि
( for भ्रमसि ). B2 Y3 मानसि. E com. मानसचापलेन - मानस + चापलेन. ° ) C G2. 3
Y1 भ्रांत्वापि. B -चिदहो; X 2 Y । विमले ( for विमलं ). F3 कृतम् ( for कथम्). C Ft.v.
आत्मनिष्ठं; F2. 3 J W X Y1. 2. 4 - 0 G2 - 5 M आत्मलीनं; Fsm.v. आत्मनोयं. – ") C F3 JS
( except X Y 3 ) न ( for तद् ). B C J1G5 संस्पृशसि; D F3 W Y1.2.4-8 TG_M
संस्मरसि; J2.3 चिंतयसि; Y3 न स्पृशसि. I'1 एधि; Y3 M3 एष ( for एषि ). W केन.
 
BIS. 4026 (1756) Bhartṛ. ed. Bohl. and lith. ed. I. 3. 71. Haeb. 69. Galan
65. lith ed. II. 70. Nitisamk. 79. Satakāv. 35and 105. Subhāsh. 314; SBH 3447
( Argata ) ; SA 38. 2 (º only, rest var. ) ; SSD. 4. f. 31a.
 
190* F8.6 BU Substitute the paraphrase भू: पर्यो; missing in Yr. a)
Eot. 2t मही रम्या; F2 मही मृट्ठी; H1c. 2. 30 मही शक्ता; X 1 मही गुर्वी; X1 - 6.8 T महाशय्या ( for
महीशय्या). Bat.v. Eat, st शक्ता; Cशायी: D Est at रम्या; Le (gloss or reading ) X4-6, 6
 
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