2023-07-18 06:29:15 by jayusudindra
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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
क्षीबस्यान्तःकरणकरिणः संयमालानलीलाम् ॥ १७६ ॥
वयमिह परितुष्टा वल्कलैस् त्वं च लक्ष्म्या
सम इह परितोषो निर्विशेषो विशेषः ।
स तु भवतु दरिद्रो यस्य तृष्णा विशाला
मनसि च परितुष्टे कोऽर्थवान् को दरिद्रः ॥ १७७ ॥
भोगा मेघवितानमध्यविलसत्सौदामिनी
आयुर्वायुविघट्टिता
लोला यौवनलालना तनुभृतामित्याकलय्य द्रुतं
भङ्गुरम् ।
योगे धैर्यसमाधिसिद्धिसुलभे बुद्धिं विदध्वं बुधाः ॥ १७८ ॥
B DFs Io J W Y1. 2. 4-6 T G1 - 3.5M 1. 2 , + -गाढगूढा; Y3 G + -गूढगाढा. Fo. 2-4 W Y1
[अ]भिमानः; Fs X 2 -[ अ ] भिमानं; Hit J1.3 [ अ ] भिमाना. – 4 ) F2 क्षीबश्शांत:-;
- Fs
-क्षीबस्वांतः-; J Ms - क्षीणस्यांत:-; Gst - क्लीबस्यांत:-; M3 -क्रीडस्यंत :- A2 Wit Gat -करण-
-[
किरणः;
D - कनककरिण: ; F -करणकरिणं; X -करणकरिणां J1 संयमालानि - ; Ys T1 (c.v. as in
text ). 2.3 संयमानाय
;
Fs X G5-लीनं ; J3 Ms - लीला ( for लीलाम् )..
BIS. 1060 (401 ) Bhartr. ed. Bohl. 3. 82. Haeb. 77. lith ed. I. 80, II. 46,
III. 78. Galan 76; Śp. 4105 ( Bh. ) ; SRB. p. 369.61.
•
a
177 ) Y7.8 अपि ( for इह ). Y2 परितृप्ता. F3 W X Y1 – 3.7.8 T G1.45 M
दुकूलै: (for च लक्ष्म्या). – 4 ) B2 समम्. C D F1 J1 2 Y1B 4-0 T G5
1 6T इव; Y8 इति; M+
-हित (for इह ). M3 परितोषे. E निर्विशेषा (Eot.3 षो) वशेष:; X 1 निर्विशोको विशेषः;
G+ निर्विकल्पो विशेषः - ") F2 स च; T3 सति. CH W2.3.1c Y1. 8 – 8 T3 G1-3 M2 भवति.
–
W दरिद्वी ~) Eo. 4. 4 ( and Ec ) Iतु ( for च ). F1 दरिद्री
BIS. 5941 (2722) Bhartṛ. ed. Bohl. and Haeb. 3. 54. lith. ed. I. 45, II. and
Galan 50. lith. ed. III. 55. Dasarūpāvaloka 4. 12. (ज्ञानाद्यथा भर्तृहरिशतके ); Sp. 308
(Bh); SRB. p. 75. 17 ( Bh. ); SBH. 3475; SDK 5. 64 4 ( p. 320, Krsnamiśra);
SRK. p. 53. 2 (Bh.). Rasaratnahara; Rasaratnapradīpikā; SHV. f. 76a. 846; SK,
2. 230; SU. 1596.
c
178 ) J3 रोगवितान F1-विभ्रमलसत्- (for -मध्य विलसत्- ). T2 सौदामनी Js
संचरा. — 4 ) Y3 [ to avoid hiatus ] चायुर्. B °ताब्द-; C Fì Ie T ° ताज (for ताभ्र-).
B F5 -पटलच्-
B Fs We -छिना; CF Wt Y2 -लीला; Eot -नीला-; F+m.v. -लंबा ; Y7
C
a
-कीर्णा ( for - लीना ). – ° ) BD G1 - लालनास; Es F2 G2. 3M 4.5 लालसा; F3-5 I J2, 3
-
W X Y T G±. 3 -लालसास्.
5
G3t स्तनभृताम्. इत्याकलय्य श्रुतं; I इत्याकलय्याद्भुतं; J2.8
इत्याकलय्य ध्रुवं; X इत्याकुलैर्य परं; X 3 आलोक्य सर्व द्रुतं. - ) Fs योगि. A2 धेय - ; C F2.5
ध्येय-; Fध्यान- ( for धैर्य ). A -राशि- ( A1-रासि-) ; X Y 4-8 (?) G+M1-3-सिद्धू-; Y: - चित्त-
( for - सिद्धि - ). A3 - सुभले; C D E3 4 F1 X - सुभगे; F2 - सुलभा; It - सुभदे; J2. 3 °सुलभां.
F2बुद्धिर् A विदध्याद; F1 कुरुध्वं; Fः विदध्य; Y4-0 (1) T1B G6 (1) विधध्वं. Ta. 8 ददध्वं.
Y3
-
Fa
A बुध.