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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
इह हि भुवनान्यन्ये धीराशू चतुर्दश भुञ्जते

कतिपयपुरखास्वाम्ये पुंसां क एष मदज्वरः ॥ १६२ ॥

 
त्वं राजा वयमप्युपासितगुरुप्रज्ञाभिमानोन्नताः
 

ख्यातस् त्वं विभवैर्यशांसि कवयो दिक्षु प्रतन्वन्ति नः ।

इत्थं मानद नातिदुदूरमुभयोरप्यावयोरन्तरं
 

यद्यस्मासु पराङ्मुखोऽसि वयमध्प्येकान्ततो निःस्पृहाः ॥ १६३ ॥

 
अभुक्तायां यस्यां क्षणमपि न यातं नृपशतैर्
 

भुवसू तस्या लाभे क इव बहुमानः क्षितिभुजाम् ।

तदंशस्याप्यंशे तदवयवलेशेऽपि पतयो
 

विषादे कर्तव्ये विदधति जडाः प्रत्युत मुदम् ॥ १६४ ॥
 
BIS. 6155 (2829 ) Bharty. ed. Boil and Haeb. 3. 58 lith ed. I. 49, II. 22,
III. 42. Galan 53. Santis. 2.13 ( Haeb 417) Subhāsh. 310; SRB. p. 80.37; SBH.
532 ( Bh. ) ; SDK 5. 39. 1 ( p. 303, Bh. ) ; SRH. 167. 22; Suvrttatilaka of
Kşemendra (KM. 2, p. 52, Bh. ); Namisādhu.
 
;
 
163 Om. in. Ji.
 
a ) Fam.v. अहम् ( for वयम् ).
D [3] पासिगुरवः; Ya [ अ ]पासितगुरु-; M3. + [उ ]पासितगुरु:
 
'धानोन्नताः; G1 M2 मानौजसः - 5) Wat.st. it च (for न.).
 
( orig.) J2.8 W3 Y1. 1-8 T G M1 - 3 5 °धनाति-; Hs व नाति-; W1.2.4 °धनानि; X M+ धनादि ;
Y2.3 °धनावि
 
[210.1 conms. मा + नद - मत गूंजि; E com. मानं ददाति and मानखंडन;
a) Gst यद्यस्मात्स.
 
W2t + M+ [s]पि
 
Hi com. मानद - महन्]. W2.3 -दूरगतयोर्.
 
:)
 
( for ऽसि ). B1D E3.40 5
 
F1 - 3.5 J23 X 1 G+M निस्पृहाः ( Fo 'हाहा: ) ; X 2 Xs निःस्पृहः
BIS. 2654 (1078 ) Bhartr ed. Bohl. 3. 52. Haeb 49, lith ed. I. 41, II. 23.
Galan 48. Subhāsh. 310; Sp. 204 ( Bh. ) ; SRB. p. 80.42; SBE 3473; SDK.
5.40 5 ( p. 304).
 
Bu
 
B2 E2 W+ [ उ ]पाशितगुरु ;
DW M4 मानोन्नतः; Js
 
") D मानवतोपि; F1-3 I
 
a)
 
Bing
 
164 Missing in J1 but traces survive in com. on विपुलहृदयैः Om. in GVs
2387, probably on missing fol. in original. NS2. V22 (21), and V97 (95 ). — ª)
ist अभुक्तानां. B यातं; J2.8 क्षमायां ( for यस्यां ). Y 1.5G क्षणमिव B यस्यां; C J2. 38
( except Wic ) जातं; P2 नीतं ( for यातं ).
F2 नीतं ( for यातं). - 1 ) I Y1 (printed text only ) Ga (orig. )
लोभे (for लाभे). CFam.v. W Y7 G5 M० क इह; T3 कैव. B Wat. 8.4 X Y1.4-4 T
G1.46 M1 - 3 क्षितिभृतां - ") Y: यदंशस्य. D [ अं ]ते ( for [ ] शे ). Ya यदवयव X
Y8 :
"लेशे नृ; Y1.4.5 Gs -लेशाधि; Y 2 -लेशस्य; Yr G+ - देशेपि (for -लेशेऽपि ). - ) CFs Mo
2
J8 निजः; Y3 जहा:; M3 मृडा: ( for जडा: ). Jat M4 प्रत्युतमिदं ; X 3 प्रस्तुतमुदां.
BIS. 507 (193) Bhartr ed. Bohl. and Hueb. 3. 59. lith ed. I. 50, II. 24.
Galan 54. Subhāsh. 310; SRB. p. 80.34 ( Bh. ) ; SBH. 533 ( Bh, ).
 
जनाः;