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वैराग्यश्लोकाः ।
न ध्यातं पदमीश्वरस्य विधिवत् संसारविच्छित्तये
स्वर्गद्वारकपाटपाटनपटुर्धर्मोऽपि
नारीपीनपयोधरोरुयुगलं स्वप्नेऽपि नालिङ्गितं
नोपार्जितः ।
मातुः केवलमेव यौवनवनच्छेदे कुठारा वयम् ॥ १५४ ॥
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्तास् तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः ।
कालो न यातो वयमेव यातास् तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥ १५५ ॥
वलिभिर्मुखमाक्रान्तं पलितैरङ्कितं शिरः ।
गात्राणि शिथिलायन्ते तृष्णैका तरुणायते ॥ १५६ ॥
अवश्यं यातारश् चिरतरमुषित्वापि विषया
वियोगे को भेदस् त्यजति न जनो यत् स्वयममून् ।
६१
154 Ba order bacd. a ) D युगपत् ( for विधिवत् ). X संसारमुच्छित्तये. B2 लोके
दोषहरं गुणोन्नतिकरं वित्तं च नोपार्जितं. 6) J_Y2. 1–6 T GM -कवाट ( for कपाट ). B1
M1.8 युगळी; M+
-युगळे;
F4m.v. केवलमध्य- B1
www
नो मार्जितः – C ) H रामा- (for नारी-). Dhs X 2 X 8 युगुलं;
Ms युगळौ. M1.3 नालिंगिता; Ms नालिंगितौ.
नराः (for वयम्).
d) Ea मातः
BIS. 3318 ( 1405 ) Bhartr.ed. Bohl. 3. 46. Haeb and Galan 42. lith ed. I. 34;
Šp. 4152 (Bh. ); SRB. p. 374 218 ( Bh.) ; SRK. p. 94. 8 ( Sphutaśloka ) ; Cāņakya-
nītidarpaņa 16. 1; SHV. app. I. f. 1a. 3 (Bh.); SSD. 4. f. 6b.
155 Om. in BU. 114 / 7. B2 order dbac; D, abde ; I, ucbd.
a ) X 1 भोगा न
भुंक्ता; T2. 3 भुक्ता न भोगा. X1 वयमेव भुंक्ता; T3 वयमेव भोक्ता. ° ) A3 जातासू; B2
जातस् (for यातास्).
BIS. 4631 (2070) Bhartṛ. ed. Bohl. Hael. Galan. lith. ed. I and III. 3. 8.
Subhash 117 ; Sp. 4150 ( Bh. ); SR.B. p. 374.209 ( Bh.) ; SBH. 3396 ; Ksemendra's
Aucityavicāracarca ( KM.1, p. 154, Parivrājaka ) ; SSD 4. f. 6b; SSV. 1109 ; JSV,
304. 4.
www
156 ) As विलिभिर्; E3 W2-4 X 2 बलिभिर्; H1 2 3t Ys वलीभिर्. b) Ji
पलितैरं कितः; Js फलितैरंकितं; X 2 पतितैरंकितं; X 3 - 3.8 T1 पलितेनांकितं; G1 M2 पतितैः
कंपितं; M1 वलितैरंकितं. X 2 शिरा:. c) J3 शिथिलं यांति. ") Est तृष्णैक-; Jat
त्रुणिका; J20 तृष्णिका.
BIS. 5993 (1948) Bhartr. ed. Bohl. Haeb lith. ed. I and Galan. 3. 9; Śp.
419 ( Bh. ) ; SRB. p. 76.4; SBH. 3242 ( Vyāsamuni ) ; SRK. p. 67.6 ( Prasanga-
ratnāvali ) ; SA 38. 71; ST. 33. 3 ( Bh. ) ; SK 2 195; SU. 1537; SL f. 40b (Bh.);
PMT. 291 (Bh. ) ; SSV. 1091.
157 Om. in NS2.
S
(a) C चिरपरिचिताश्चापि; J X Y 2 चिरपरिगृहीताश्च; F2
चिरतरमुषित्वा च. Eat. at विषयान्. - 0 ) B2 वेदस्; G 1 हेतुसू ( for भेदस् ). Fat.v. न मनो;
W2 -4 व जनो ( for न जनो ). A3 DW4 यस्त्वयममून्; C F3 यत्स्वयमसून;
F2 यत्स्वयमभूत् ;
d ) X सुखं
d.
F½ (m.v. as in text ) यत्स्वयमपि. - c ) F2 व्रजेतं; G० व्रजंत्य: Ms मनसां.
( for स्वयं ). DE 1 5 F3.5 J1 W1. 2. 4 T3 Gst. 4 त्यक्त्वा. W 2 चेदेते; Ws चेत्ते; W+ चेते
( for होते ). B1 शिवसुखम्; B2 शममुषम्; I [s १ ] समसुखम्; 5 श्रमसुखम् Hat, a, st
C
M.8 विदधते.
न ध्यातं पदमीश्वरस्य विधिवत् संसारविच्छित्तये
स्वर्गद्वारकपाटपाटनपटुर्धर्मोऽपि
नारीपीनपयोधरोरुयुगलं स्वप्नेऽपि नालिङ्गितं
नोपार्जितः ।
मातुः केवलमेव यौवनवनच्छेदे कुठारा वयम् ॥ १५४ ॥
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्तास् तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः ।
कालो न यातो वयमेव यातास् तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥ १५५ ॥
वलिभिर्मुखमाक्रान्तं पलितैरङ्कितं शिरः ।
गात्राणि शिथिलायन्ते तृष्णैका तरुणायते ॥ १५६ ॥
अवश्यं यातारश् चिरतरमुषित्वापि विषया
वियोगे को भेदस् त्यजति न जनो यत् स्वयममून् ।
६१
154 Ba order bacd. a ) D युगपत् ( for विधिवत् ). X संसारमुच्छित्तये. B2 लोके
दोषहरं गुणोन्नतिकरं वित्तं च नोपार्जितं. 6) J_Y2. 1–6 T GM -कवाट ( for कपाट ). B1
M1.8 युगळी; M+
-युगळे;
F4m.v. केवलमध्य- B1
www
नो मार्जितः – C ) H रामा- (for नारी-). Dhs X 2 X 8 युगुलं;
Ms युगळौ. M1.3 नालिंगिता; Ms नालिंगितौ.
नराः (for वयम्).
d) Ea मातः
BIS. 3318 ( 1405 ) Bhartr.ed. Bohl. 3. 46. Haeb and Galan 42. lith ed. I. 34;
Šp. 4152 (Bh. ); SRB. p. 374 218 ( Bh.) ; SRK. p. 94. 8 ( Sphutaśloka ) ; Cāņakya-
nītidarpaņa 16. 1; SHV. app. I. f. 1a. 3 (Bh.); SSD. 4. f. 6b.
155 Om. in BU. 114 / 7. B2 order dbac; D, abde ; I, ucbd.
a ) X 1 भोगा न
भुंक्ता; T2. 3 भुक्ता न भोगा. X1 वयमेव भुंक्ता; T3 वयमेव भोक्ता. ° ) A3 जातासू; B2
जातस् (for यातास्).
BIS. 4631 (2070) Bhartṛ. ed. Bohl. Hael. Galan. lith. ed. I and III. 3. 8.
Subhash 117 ; Sp. 4150 ( Bh. ); SR.B. p. 374.209 ( Bh.) ; SBH. 3396 ; Ksemendra's
Aucityavicāracarca ( KM.1, p. 154, Parivrājaka ) ; SSD 4. f. 6b; SSV. 1109 ; JSV,
304. 4.
www
156 ) As विलिभिर्; E3 W2-4 X 2 बलिभिर्; H1 2 3t Ys वलीभिर्. b) Ji
पलितैरं कितः; Js फलितैरंकितं; X 2 पतितैरंकितं; X 3 - 3.8 T1 पलितेनांकितं; G1 M2 पतितैः
कंपितं; M1 वलितैरंकितं. X 2 शिरा:. c) J3 शिथिलं यांति. ") Est तृष्णैक-; Jat
त्रुणिका; J20 तृष्णिका.
BIS. 5993 (1948) Bhartr. ed. Bohl. Haeb lith. ed. I and Galan. 3. 9; Śp.
419 ( Bh. ) ; SRB. p. 76.4; SBH. 3242 ( Vyāsamuni ) ; SRK. p. 67.6 ( Prasanga-
ratnāvali ) ; SA 38. 71; ST. 33. 3 ( Bh. ) ; SK 2 195; SU. 1537; SL f. 40b (Bh.);
PMT. 291 (Bh. ) ; SSV. 1091.
157 Om. in NS2.
S
(a) C चिरपरिचिताश्चापि; J X Y 2 चिरपरिगृहीताश्च; F2
चिरतरमुषित्वा च. Eat. at विषयान्. - 0 ) B2 वेदस्; G 1 हेतुसू ( for भेदस् ). Fat.v. न मनो;
W2 -4 व जनो ( for न जनो ). A3 DW4 यस्त्वयममून्; C F3 यत्स्वयमसून;
F2 यत्स्वयमभूत् ;
d ) X सुखं
d.
F½ (m.v. as in text ) यत्स्वयमपि. - c ) F2 व्रजेतं; G० व्रजंत्य: Ms मनसां.
( for स्वयं ). DE 1 5 F3.5 J1 W1. 2. 4 T3 Gst. 4 त्यक्त्वा. W 2 चेदेते; Ws चेत्ते; W+ चेते
( for होते ). B1 शिवसुखम्; B2 शममुषम्; I [s १ ] समसुखम्; 5 श्रमसुखम् Hat, a, st
C
M.8 विदधते.