This page has been fully proofread once and needs a second look.

वैराग्यश्लोकाः ।
 
उत्खातं निधिशङ्कया क्षितितलं ध्माता गिरेर्धातवो

निस्तीर्णः सरितां पतिर्नृपतयो यत्नेन संसेविताः ।
 

मन्त्राराधनतत्परेण मनसा नीताः श्मशाने निशाः
 

प्राप्तः काणवराटकोऽपि न मया तृष्णेऽधुना मा भव ॥ १४९ ॥
 

 
खलोल्लापाः सोढाः कथमपि तदाराधनपरैर्
 

निगृह्यान्तर्बाष्पं हसितमपि शून्येन मनसा ।

कृतो वित्तस्तम्भप्रतिहतधियामञ्जलिरपि
 

त्वमाशे मोघाशे किमपरमतो नर्तयसि माम् ॥ १५० ॥

 
आदित्यस्य गतागतैरहरहः संक्षीयते जीवितं

व्यापारैर्बहुकार्यभारगुरुभिः कालो न विज्ञायते ।
 
५९
 

 
:
 
149 ) W2. 4 X 2 क्षितितले. A2B1 W2 Xit ध्याता; Y7 धौता (for ध्माता). - )
J1c. 8 विस्तीर्ण: A3 B2 युद्धेन संतोषिताः; C D Eo. 2–4. 5e F1. 2 (orig. ) 3. 4 (m.v. as in text )
H I Jīt W X Y1B. 46.8 T G यत्नेन (Jit यांतेन ) संतोषिताः; J1c. 2.3 युद्धे समाराधिताः.
- 0 ) Jit Gst नीता. Eo. 3. 5t H2.3 W1. 2 X Y 2. 3 T3 स्मशाने B1 Est Fam.v. क्षपाः; Jit
X2 Gst निशा; J10 निशां; X 1 निषा; I3 वने. 4 ) A3 Ba प्राप्तः काणकपर्दकोपि; C
संप्राप्तो वराटको हि; Eot. 21 लब्धः काणवराटकोपि; X प्राप्तं काण. J3 तया (for मया ). ABD
Est_F4, 5_J1c. 2, 3 X [5] धुना मुंच मां; CEstt. F1H I Jat W_Y2-4 T GM
सकामा भव; E0. 2 ( and Ec) F8 [ 5 ] धुना मां त्यज; F2 [s] धुना मुंचति; Y1 ह्यकामा भव
( for ऽधुना मा भव).
 
BIS. 1170 (439) Bhartṛ. ed. Bohl. Haeb. and Galan 3. 5. lith. ed. II. 4.
Yates Skt. Gram. p. 397. Halhed in Bohl. Subhāsh. 287 ; SRB. p. 77. 49 ; SRH.
175. 28 (Bh.); SRK. p. 66. 4 ( Bh.); SHV. f. 76b. 861 ( Bh. ) ; SS. 35. 4; SK. 2.
201, 7. 24; SU. 1040 (Bh.) ; SN. 334; SSD. 4. f. 7a; SSV. 1094; JSV. 140. 2.
150 ) Est Y3 खलोल्लासा: ; F3 X Y1. 2 T_G4_M खलालापाः; Ws
खलाल्लापाः; Gat
खलोल्लोपाः. – ') D निगृह्यांतर्बाह्यं; F2 'यैतद्वाप्पं; W2. 'ह्यांते बाष्पं; W: 'ह्यं तद्वाप्पं. - . )
A E2 F4.4m.v. X Y : कृतश्चित्त - ; E+5 Fs W 1 कृतोचित्त E ( except Eit ) F3 5 J28X1
स्तंभ:. ( E com. चित्तस्तंभः कृतः ). B1 W2-1 Y2 ( by corr. ) प्रणिहित. d) Eo. 4
( and Ec) मोघासि; G2.3 [s] मोघाशे ( com. अमोघाशे - अप्रतिहतोद्योगे ). I X 2 T2.3
किमपरमितो; J2 किमपि रमतो; J3 W1 किमु परमतो. J [S] नर्थयसि. F2om. मामू.
 
a
 
BIS. 2047 (801) Bhartr. ed. Bohl. Haeb. lith. ed. I, II, III and Galan 3.
6; SRB. p. 77. 43 ( Bh. ) ; SBH. 3261 ( Bb. ) ; SRH 175 25 ( Bh. ) ; SRK. p. 87.
9 (Śp.); SHV. t 76b. 860 (Bh.) ; SL. f. 40a; SSD. 4. f. 7b.
 
151 ) Est at यौवनं; F+ J 1 W3 X 2 जीवनं (for जीवितं). – ) J2 गुरु- ( for बहु-).
A8 Ba D Fs - कर्मभार ; X 1 X 8 कार्यभाग-; G12t M1-3 - भारकार्य- (for कार्यभार ). Jat
गुरुणा. D_F3_J X 2 Y2. 4 – 8 T G2 - 5 Ms कालोपि न ज्ञायते. c) Eo. 5 ( and Ec)
-वियोग (for -विपत्ति ). Es वासस्तु. F2 नोदीयते - d) Hit मोहमयं. W1 प्रसाद- ( for
प्रमाद ). [ H1.3 com. उन्मत्तेन मदाविष्टेन भूतं समं अस्ति । उन्मत्ततुल्यमित्यर्थ:; T com.
उम्मत्तभूतं - श्रीवकल्पं.]