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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
 
न गम्यो मन्त्राणां न च भवति भैषज्यविषयो

न चापि प्रध्वंसं व्रजति विविधैः शान्तिकशतैः ।

भ्रमावेशदतेङ्गे किमपि विदधद् भङ्गमसमं

स्मरापस्मारोऽयं भ्रमयति दृशं घूर्णयति च ॥ १२६ ॥

 
नूनमाज्ञाकरस् तस्याः सुभ्रुवो मकरध्वजः ।

यद् भुग्ननेत्रसंचारसूचितेऽपि प्रवर्तते ॥ १२७ ॥

 
इदमनुचितमक्रमश् च पुंसां यदिह जरस्यपि मान्मथो विकारः ।
 
C.
 
126 ) M+5 अगम्यो ( for न गम्यो ). 10-2 मंत्रीणां (for मन्त्राणां). Tः न भवति च
( for न च भवति ). D Y3 G+ विषया; F1. 2 °विषये. - ) Y± 5 चाति (for चापि ). Jat T3
प्रध्वस्तं ( for प्रध्वंसं). B1 विहितैः (tor विविधैः). Cशांतिकरसैः; J Xt M1.26 शांतिशतकैः;
Yz G+ शांतिकरणै:; Ma शांतिकतमैः - ) A Y1 भ्रमादेशादंगे; भ्रमावेशादंगं; D
c C
समावेशारंगे; Wat. st भ्रमावेषादंगे; Y2.1.5 Gat. 4 भ्रमावेशादंगैः. C किमिव; Y 1-8 T कमपि
( for किमपि ). Wat. + Y7 विविधद्; Wat विविधाद्; Y1 च विपत्; G विविदद्; G+ विविध-;
M विपद् ( for विदधद् ). B2 Y2 भंगमनसं; CF3 X Y1 - 0.8 T G5 M1. 3 भंगमसकृत् ;
भंगमधिकं; E3
Es भंगमषमं; F5 भंगमसिस; W भन्यमसमत्; Y1 संगमनकृत्; Y7 भागमपरं;
G1 M1.5 भंगुरसमं; G4 ध्वंसमसकृत्.
2 ) W2-4 X स्मरोप. A3 Eot दृशां; B दृशो;
C_G12t M2 45 भृशं ; H1 दृशौ ; X मनो; M3 दिशं ( for शं). Est M3 पूर्णयति; Es
चूर्णमति (for घूर्ण ).
 
D
 
d
 
BIS. 3217 (1365) Bhartr. ed. Bohl. and lith. ed. III. 1. 88. Haeb. 91. lith.
ed. II. 70. Satakav. 74; SRB. p. 250. 18; SK.M. 705 ( Trivikramabhatta) ;
SRK. p. 126. 3 ( Sp.) ; SLP.5.6 (Bh.).
 

 
127 = ) F2 न्यूनम् (for मूनम् ). D सोस्या: (for तस्याः) - 4) G1 M1-4 सुहशो ( for
सुध्रुवो) ~ ) B1 यद्धमे नेत्र ; Ba 1.20 H I J W Y10.7, 2, 4, 5, 7 8 T GM यतस्तक्षेत्र;
C यतस्तन्मैत्र-; D भृद्भुननेत्र-; F3 यत्र तन्नेत्र-; X यस्तद्भूभंग-; Y: यत्तद्भूभंग-; X: यसंगनेत्र ;
Yo यन्नेत्र- ( for यज्जुननेत्र- ). B2-विस्तार; C संवास; Wo Y3 -संचार:; X Y1 संचारैः
 
( for - संचार ). -4 ) A1 (orig. ) B1E ( except Eot) -सूचितोपि; A2 -स्वचितेपि; Ba DI
 
HIJS सूचितेषु; C -वित्तनाशं; Fam.v. स्वचित्तेषु (for -सूचितेपि).
 
BIS. 3807 (1637 ) Bhartr ed. Bohl. 1. 11. Haeb. 13. lith ed. II. 71;
Sp. 3298; SRB. p. 259.60; SBH. 2227; SKM. 53. 10; SRK. p. 275 1 and
p. 126 2; SK 5 133; SLP 5.7 (Bh.).
 
128 ) D अशरत्र; 15 अक्रमं हि; Y1 आश्रमस्थ ; G4 M4.6 अक्रमं च (for 'मय).
8 ) जरस्यपि is found only in A1.2 Ei-4 It; C जरत्स्वपि; Y14 and r जरासु; all the
rest जरास्वपि. 43BCDE F1.34 H I Y1B. 3 - 8 T G1. 2c 3-5 M3 - 3 मान्मथा; J1
मन्मथ-; J2 मान्मथ-; Y14 Gat मन्मथा (for मान्मथो). All MSS. ( except A1 2 Fac
G2t M1.2 ) विकाराः – ° ) A4 B2D Eat F1.3.68 ( except G1.4 Ms ) तदपि च; B1F4
HJ इदमपि; इयमिव ( for यदपि च ). Ao- 2 न हृते; C विकृति; Y+ M1. 2.4 विकृतं;
Yo. 7 G2.3.6 M3. निकृतं; G1 निकृतिर् (for न कृतं ). Esयनितंबिनीनां - ) Eat omits
खनपतनावधि Bः सनपतनाविधि: Fः कुचपतमावधि; Gat स्तनपतनादधि. Ba बरं वा; Ea
तरं वा; F2 रतामां; 7 रसं वा (for रसं वा).
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